कोरोना से मृत बताकर अस्पताल ने जिसका कर दिया था अंतिम संस्कार, दो साल बाद जिंदा लौट आया वहीं शख्स
बड़ौदा। मध्यप्रदेश में बड़ौदा में हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है। एक व्यक्ति की कोरोना काल में मौत हो गई। देश में लगातार बढ़ते कोरोना मामले के चलते अस्पताल वालों परिजनों को दूर से बॉडी दिखाकर उसका अंतिम संस्कार कर दिया। ऐसे में घर वाले अपने बेटे को मरा हुआ मानकर जीवन व्यतीत करने लगे। लेकिन शनिवार को अचानक से वह व्यक्ति घर लौट आया। उसके जिंदा होने की खबर गांव में आग की तरह फैल गई। बेटे को जिंदा देखकर परिजनों का खुशी का ठिकाना नहीं रहा। बेटे को देख उसके बूढ़े पिता की आंखों में आंसू आ गए। दो साल से विधवा का जीवन जी रही पत्नी अपने पति को देखकर उसके चेहरे की मुस्कान लौट आई। इसके बाद उस व्यक्ति ने विधवा की जिदंगी जी रही अपनी पत्नी की दोबारा मांग भरी और एक बार फिर उसे सुहागन बना दिया।
अस्पताल ने मृत घोषित कर किया अंतिम संस्कार
दरअसर, मामला धार जिले का है। दो साल पहले साल 2021 में बदनावर तहसील के ग्राम कड़ोदकला निवासी कमलेश पुत्र गेंदालाल पाटीदार कोरोना की दूसरी लहर में संक्रमित हो गया था। बड़ौदा के एक निजी अस्पताल में उपचार के दौरान चिकित्सकों ने कमलेश को मृत घोषित कर दिया। अस्पताल की सूचना पर परिवार वाले वहां पहुंचे, लेकिन कमलेश के कोरोना पॉजिटिव होने से परिजनों को उसकी बॉडी दूर रखा गया। बॉडी पॉलीथिन में लिपटी थी, इसलिए परिवार वाले सही तरीके से बेटे की पहचान नहीं पाए और डॉक्टरों की पुष्टि को ही सही मानते हुए बड़ौदा में ही कोविड टीम से अंतिम संस्कार करवाने के बाद वापस गांव लौट आए। बेटे को खो चुके परिजनों ने घर आकर पूरे रीति-रिवाज पूरे किए। पूरा गांव तेरहवीं के कार्यक्रम में शामिल हुआ। वहीं कमलेश की पत्नी रेखा बाई ने भी खुद को विधवा मान लिया। लेकिन, दो साल बाद अचानक कमलेश के जीवित घर लौटने पर परिवार वालों की खुशी का ठिकाना नहीं रहा।
किसी गिरोह के चंगुल में फंस गया था कमलेश…
दो साल बाद शनिवार को अचानक से कमलेश अपने मामा के घर पहुंच गया। मामा के घरवालों को पूरी बात बताई। जिसके बाद कमलेश के मामा ने उसके परिजनों को सूचना दी। कमलेश की जीवित होने की खबर सुनकर परिजनों को पहले तो विश्वास नहीं हुआ। लेकिन, जब वीडियो कॉल पर कमलेश को दिखाया तो परिजन कमलेश को लेने कड़ोदकला से बड़वेली (सरदारपुर) पहुंचे। यहां पर कमलेश को देखकर परिवार के हर सदस्य की आंखों से आंसू छलक आए। इस मामले में कमलेश का कहना है कि उसे बदमाशों के किसी गिरोह ने बंधक बना लिया था। उसे काफी प्रताड़ित किया गया। जैसे ही मौका मिला, वह बदमाशों के चंगुल से भागकर शुक्रवार रात अपने मामा के घर सरदारपुर तहसील में पहुंच गया और वहां से पुलिस को सूचना दी।
कमलेश ने स्वजनों के बताया…
कमलेश ने बताया कि कोरोना से ठीक होने के बाद वह अहमदाबाद में किसी गिरोह के चंगुल में फंस गया था। उसने बताया कि उसे अहमदाबाद में पांच से सात युवकों द्वारा बंधक बनाकर रखा गया था। गिरोह के लोग उसे एक दिन छोड़कर नशीली दवाओं का इंजेक्शन देते थे। इंजेशक्शन के असर से वह हर समय बेसुध ही रहता था। शुक्रवार को चार पहिया वाहन से अहमदाबाद से कहीं और ले जा रहे थे। इसी दरमियान गिरोह के लोग एक होटल पर स्वल्पाहार के लिए रूके। इसी बीच मौका पाकर वह अहमदाबाद से इंदौर आ रही यात्री बस को देखकर चार पहिया वाहन से उतरकर बस में बैठ गया। देर रात्रि में सरदारपुर उतरा और वहां उपस्थित लोगों को अपने मामा के घर बड़वेली पहुंचने की बात कही। तब लोगों के सहयोग से वह बड़वेली पहुंचा था।