हाड़ौती की 6 सीटों पर क्या रहेगी बीजेपी की रणनीति? पिछले चुनावी आकड़ों में कांग्रेस का जलवा
Rajasthan Assembly Election 2023: राजस्थान में चुनावी रणभेरी बजने के साथ ही सियासी उबाल बढ़ता जा रहा है। एक-एक दिन गुजरने के साथ ही भाजपा-कांग्रेस समेत सभी पार्टियां चुनावी मैदान पर अपनी रणनीति को लेकर गहन मंथन कर चुकी है। इस बीच राजस्थान के हाड़ौती की 17 विधानसभा सीटों में से 6 सीटें भाजपा के लिए चुनौती बनी हुई है। इन सीटों में हिंडोली, बारां, अंता, बारां अटरू व किशनगंज, कोटा की कोटा उत्तर और सांगोद सीट शामिल है। आइए जानते है इन 9 सीटों के समीकरण क्या है।
अंता में कांग्रेस के प्रमोद जैन भाया मजबूत
परिसीमन के बाद बारां की सीट से अलग हुई अंता विधानसभा सीट पर कांग्रेस मजबूत स्थिति में नजर आ रही है। पीछले तीन चुनाव में अभी तक दो चुनाव कांग्रेस के प्रमोद जैन भाया ने जीते है। मोदी लहर में 2013 में भाया को यहां से हार का सामना करना पड़ा था। वहीं, 2008 और 2018 में प्रमोद जैन भाया यहां से चुनाव जीते थे। जबकि 2013 के चुनाव में इस सीट पर बीजेपी के प्रभु लाल सैनी जीते थे।
कोटा उत्तर से शांति धारीवाल की हैट्रिक
कोटा उत्तर सीट पर भी कांग्रेस का दबदबा पिछले तीन चुनावों से देखने को मिल रहा है। यह सीट परिसीमन के बाद दो हिस्सों में बंट गई थी। इस सीट से वर्तमान यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल लगातार तीन बार जीत चुके है। धारीवाल ने 2008 व 2018 में जीत हासिल की है।
आदिवासी बाहुल्य किशनगंज पर भी कांग्रेस का दबदबा
बारां जिले की किशनगंज सहरिया आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र में भी कांग्रेस का दबदबा देखने को मिल रहा है। इसका अनुमान इस बात से लगाया जा सकता है कि बीते पांच चुनाव में बीजेपी केवल एक बार जीत पाई है। 1998 में कांग्रेस के हीरालाल ने बीजेपी के हेमराज मीणा को हराया था।
इसके बाद 2003 के चुनाव में टिकट कटने से नाराज बीजेपी से बागी होकर हेमराज मीणा ने निर्दलीय चुनाव लड़ा। उन्होंने हीरालाल नागर को चुनाव हराया। वहीं, बीजेपी प्रत्याशी मोहनलाल तीसरे नंबर पर रहे थे। 2018 में कांग्रेस ने निर्मला सहरिया को टिकट दिया और उन्होंने ललित मीणा को चुनाव हराया।
कोटा की सांगोद सीट
कोटा जिले की सांगोद विधानसभा सीट पर भी कांग्रेस का दबदबा है यहां से पूर्व मंत्री भरत सिंह को 2008 और 2018 में उन्होंने जीत हासिल की है। जबकि, यहां से 2013 में बीजेपी से हीरालाल नागर से विधायक बने। पहले यह सीट दीगोद थी, जिसमें दोनों बार कांग्रेस विजयी रही थी। 2003 में भरत सिंह ने बीजेपी के दिग्गज नेता ललित किशोर चतुर्वेदी को हराया था।
बून्दी की हिंडोली सीट
हिंडोली सीट पर बीते 5 चुनाव में कांग्रेस को चार बार सफलता मिली है। जबकि, भाजपा एक बार 2008 में कामयाब हुई है। 2013 में मोदी लहर के बाद भी यह सीट कांग्रेस के खाते में गई थी। यहां से अशोक चांदना ने चुनाव जीता था। इसके बाद 2018 में भी वे यहां से विधायक बने हैं। केवल 2008 में भाजपा के प्रभु लाल यहां से विधायक बन पाए है।
हिंडोली सीट से 15 में से 10 चुनाव जीती कांग्रेस
1951 से लेकर अब तक हुए 15 विधानसभा चुनावों में से 10 में कांग्रेस पार्टी ने जीत हासिल की है. वहीं 1951, 1967, 1977, 1985, 2001 में हुए उप चुनाव और 2008 समेत छह बार भाजपा सहित गैर कांग्रेसी प्रत्याशियों ने जीत हासिल की है।