हिमाचल में सौ-दो सौ नहीं, 17 हजार भूस्खलन के खतरे वाली जगहें; एक्सपर्ट ने बताई 'प्रलय' की असल वजह
शिमला। विशेषज्ञों का कहना है कि पारिस्थितिकीय रूप से संवेदनशील हिमालय में अवैज्ञानिक निर्माण, घटते वन क्षेत्र और नदियों के पास पानी के प्रवाह को अवरुद्ध करने वाली संरचनाएं हिमाचल प्रदेश में भूस्खलन की बढ़ती घटनाओं का कारण बन रही हैं। भूगर्भ विशेषज्ञ प्रोफेसर वीरेंद्र सिंह धर ने कहा कि सड़कों के निर्माण और उनको चौड़ा करने के लिए पहाड़ी ढलानों की व्यापक कटाई, सुरंगों और जलविद्युत परियोजनाओं के लिए विस्फोट में वृद्धि भी भूस्खलन की बढ़ती घटनाओं के मुख्य कारण हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, तलहटी में चट्टानों के कटाव और जल निकासी की उचित व्यवस्था की कमी के कारण हिमाचल में ढलानें भूस्खलन के प्रति अत्यधिक संवेदनशील हो गई हैं और उच्च तीव्रता वाली वर्षाराज्य में हालात को बदतर बना रही है।
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वैज्ञानिक (जलवायु परिवर्तन) सुरेश अत्रे ने पहले कहा था कि बारिश की तीव्रता बढ़ गई है और भारी बारिश के साथ उच्च तापमान के कारण तलहटी में नीचे की ओर कटान वाले स्थानों पर परत कमजोर होने के कारण भूस्खलन हो रहे हैं। मौसम विभाग के अनुसार, हिमाचल प्रदेश में इस साल अब तक राज्य में 742 मिलीमीटर बारिश हो चुकी है। दूसरी ओर मानसून की शुरुआत के बाद से 55 दिनों में भूस्खलन की 113 घटनाएं घटी हैं। आपदा प्रबंधन विभाग द्वारा एकत्र आंकड़ों के अनुसार, 2022 में बड़े भूस्खलन की घटनाओं में छह गुना चिंताजनक वृद्धि देखी गई। 2020 में 16 की तुलना में 2022 में 117 बड़े भूस्खलन की घटनाएं हुई।
सुरंगों का जाल
68 सुरंगें प्रस्तावित
11 सुरंगों का हो चुका निर्माण
27 सुरंगें हैं िर्माणाधीन
30 सुरंगों की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट हो रही तैयार
प्रदेश में भूस्खलन की जोखिम वाले 17,120 स्थान
आंकड़ों के मुताबिक, राज्य में 17,120 भूस्खलन के जोखिम वाले स्थल हैं, जिनमें से 675 महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे और बस्तियों के करीब हैं। हिमाचल प्रदेश में एनएचएआई के क्षेत्रीय अधिकारी अब्ल बा दु सित ने कहा कि बारिश से पहाड़ जलमग्न हो गए हैं और बादल फटने तथा भूस्खलन से सड़कों को व्यापक नुकसान हुआ है। सबसे अधिक प्रभावित हिस्सों में शिमला-कालका, शिमला-मटौर, मनाली-चंडीगढ़ और मंडी-पठानकोट मार्ग शामिल हैं। उन्होंने कहा कि जहां चट्टानों को नहीं काटा गया वहां भी भूस्खलन और सड़क धंसने की घटनाएं देखी गई हैं। निर्बाध कनेक्टिविटी सुनिश्चित करने के लिए सुरंग ही एकमात्र समाधान है।
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राज्य में भारी वर्षा से अब तक 7,500 करोड़ का नुकसान
शिमला। हिमाचल प्रदेश के शिमला में समर हिल के समीप शिव मंदिर के मलबे से एक और शव बरामद होने के साथ ही बारिश से जुड़ी घटनाओं में जान गंवाने वाले लोगों की संख्या गुरुवार को बढ़कर 72 हो गई। मृतक की पहचान हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के गणित विभाग के प्रमुख, प्रोफेसर पीएल शर्मा के रूप में हुई। राज्य के प्रमुख सचिव (राजस्व) ओकार चंद शर्मा ने बुधवार को कहा कि मानसून मौसम के दौरान हुआ नुकसान 7,500 करोड़ रुपए तक पहुंच गया है। अधिकारियों ने बताया कि सोमवार को जब मंदिर में भूस्खलन हुआ था उस समय वहां श्रद्धालुओं की भीड़ मड़ी थी। उन्होंने बताया कि मलबे में अभी भी आठ लोगों के दबे होने की आशंका है।