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रिजर्वेशन के बाद भी TTE ने बेच दी सीट! पीड़ित ने रेलमंत्री से ट्वीट कर जताई नाराजगी, जानें क्या है मामला

02:41 PM Feb 28, 2023 IST | Sanjay Raiswal
रिजर्वेशन के बाद भी tte ने बेच दी सीट  पीड़ित ने रेलमंत्री से ट्वीट कर जताई नाराजगी  जानें क्या है मामला

जोधपुर। ट्रेन में सफर करने वाले यात्रियों के लिए भारतीय रेलवे ने सुविधा के पूरे प्रबंध किए है। अगर यात्रा के दौरान किसी यात्री को कोई परेशानी होती है प्रशासन तुरंत उसका समाधान करता है। ऐसा ही मामला जोधुपर में सामने आया है। यहां एक यात्री ने संस्कारों और परम्परा का हवाला देते हुए रेलमंत्री को ट्वीट कर अपनी पीड़ा बताई। जिसके बाद उस यात्री की समस्यां का निदान किया गया। जोधपुर के मारवाड़ में रेलवे के एक टीटीई की लापरवाही के चलते एक परिवार की भावनाएं आहत हो गई। दरअसल, मामला कुछ इस प्रकार हुआ।

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जोधपुर में रहने वाले हरीश मंगेश नाम के एक व्यक्ति के ससुर का करीब 68 साल की उम्र में निधन हो गया। बुजुर्ग की मौत के बाद परिवार के लोग उसकी अस्थियों को हरिद्वार लेकर जा रहे थे। इसके लिए परिवार ने सोमवार को ट्रेन संख्या 14888 बाड़मेर-ऋषिकेश एक्सप्रेस में जोधपुर से हरिद्वार के लिए चार सीट बुक करवाई। जिसमें से एक सीट अस्थि कलश के लिए बुक कराकर हरिद्वार के लिए रवाना हुआ। परिवार ने अस्थि कलश को नजदीक ही सीट पर रख दिया गया।

जब परिवार ट्रेन से हरिद्वार जा रहा था। इसी बीच एक पैसेंजर यात्री वहां आ गया और उसने अस्थि कलश हरीश को दे दिया। यात्री ने कहा कि उसे ये सीट टीटीई ने आवंटित की है। यात्री ने हरीश को टीटीई ने उसे ये सीट बेच दी है और उसने किराए की पर्ची दिखा दी। हरीश ने टीटीई से बात करने की कोशिश की, लेकिन बात नहीं बनी तो अपने ससुर की अस्थि कलश को अपने पास रख लिया और बाद में हरिद्वार जाकर अंतिम क्रिया की गई।

उसके बाद हरीश ने इस पूरे मामले को लेकर रेलमंत्री को ट्वीट कर मैसेज भेजा और आपत्ति दर्ज कराई। हरीश ने कहा, यह हमारी संवेदनाओं से जुड़ा मुद्दा है। टिकिट के रुपए दे दिए गए थे फिर भी टीटीई ने किसी और को सीट बेच दी। हरीश ने रेल मंत्री से मांग की है कि रेलवे को ऐसी स्थिति में सीट अलॉट करनी चाहिए।

मारवाड़ में काफी पुरानी है परंपरा…

मारवाड़ में आस्था की ये परंपरा काफी पुरानी है। मारवाड़ में लोग अस्थियां विसर्जन के लिए जाते समय ट्रेन और सरकारी रोडवेज बस में सफर करते हैं। ट्रेन और बस में एक सीट मृतक के लिए रखते हैं। उसका बाकायदा टिकट भी खरीदा जाता है। रास्ते में हर बात का ध्यान रखा जाता है। जब परिवारजन कुछ खाते पीते हैं तो अस्थियों से भी इसके लिए आग्रह करते हैं।

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