होमइंडिया
राज्य | राजस्थानमध्यप्रदेशदिल्लीउत्तराखंडउत्तरप्रदेश
मनोरंजनटेक्नोलॉजीस्पोर्ट्स
बिज़नेस | पर्सनल फाइनेंसक्रिप्टोकरेंसीबिज़नेस आईडियाशेयर मार्केट
लाइफस्टाइलहेल्थकरियरवायरलधर्मदुनियाshorts

Todabhim Vidhan Sabha: पिछले तीन चुनाव से बीजेपी को देखना पड़ रहा हार का मुंह, यहां आकड़ो में मजबूत है कांग्रेस

टोडाभीम सीट अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षति यह सीट करौली-धौलपुर लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आती है। 2011 की जनगणना के अनुसार यहां की आबादी 3 लाख 67 हजार है।
05:04 PM Oct 17, 2023 IST | Kunal Bhatnagar

Rajasthan Assembly Election 2023: राजस्थान में विधानसभा चुनाव के मध्यनजर लगातार राजनीति पार्टियां 2023 में अपनी सरकार बनाने को लेकर जोरों शोरों से तैयारियों में जुटी है। इस बीच सच बेधड़क भी आपको लगातार राजस्थान की 200 विधानसभा सीट को लेकर प्रत्येक सीट के समीकरण बता रहा है। इस बीच आज हम आपको करौली जिले की टोडाभीम विधानसभा सीट के बारें में जानकारी देगे। यहां पर सियासी समीकरण क्या है? आइए जानते है…

अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षति है सीट

अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षति यह सीट करौली-धौलपुर लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आती है। 2011 की जनगणना के अनुसार यहां की आबादी 3 लाख 67 हजार है, जिसमें 21 फीसदी एससी आबादी है, जबकि 29 फीसदी आबादी एसटी है।

पिछली बार के नतीजे

2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने टोडाभीम विधानसभा सीट से पृथ्वीराज मीना को अपना उम्मीदवार बनाया था। कांग्रेस प्रत्याशी पृथ्वीराज मीना ने भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी रमेश चंद को हराया। पृथ्वीराज को कुल 1 लाख 7 हजार 691 वोट मिले थे, जबकि दूसरे स्थान पर रहे बीजेपी प्रत्याशी रमेश चंद को कुल 34 हजार 385 वोट मिले थे।

2013 चुनाव का रिजल्ट

घनश्याम महर (कांग्रेस)- 50,955 (36%)

पृथ्वीराज मीणा (NPP)- 43,946 (31%)

रामराज मीणा (बीजेपी)- 30,207 (21%)

2008 चुनाव का रिजल्ट

किरोड़ी लाल (निर्दलीय)- 87,239 (56%)

मातादीन धानका (निर्दलीय)- 53,327 (34%)

पूर्वी राजस्थान को फतह करने की कोशिश

टोडाभीम विधानसभा क्षेत्र की जनता का कांग्रेस पार्टी की तरफ झूकाव ज्यादा है। अब साल 2023 के विधानसभा चुनाव में जनता का क्या रुख होता है यह देखने वाली बात होगी, लेकिन दोनों ही प्रमुख पार्टियां कांग्रेस और बीजेपी पूर्वी राजस्थान के भरतपुर संभाग को फतह करने के लिए रणनीति बनाने में लगे हुए है। पिछले विधानसभा चुनाव में पूर्वी राजस्थान में बीजेपी कुछ खास नहीं कर पाई थी।

Next Article