निजी अस्पताल के आगे एसएमएस हॉस्पिटल ने टेके घुटने
जयपुर। निजी अस्पताल के रसूख के आगे एसएमएस अस्पताल प्रशासन ने घुटने टेक दिए हैं। निजी हॉस्पिटल जेएनयू ने पीएम केयर फंड के वेंटिलेटर बार बार अस्पताल प्रशासन के पत्र लिखने के बाद भी नहीं लौटाए हैं। ऐसे में अब एसएमएस प्रशासन ने हार मान मानते हुए अब राज्य सरकार से सहायता मांगेगा।
एसएमएस अस्पताल के अधीक्षक डॉ. अचल शर्मा का कहना है कि कई बार जेएनयू अस्पताल को वेंटिलेटर वापस मंगवाने के लिए पत्र लिखकर भेज दिए। सेंट्रल स्टोर से कर्मचारी भेज दिया और एंबुलेंस तक को लेकर कर्मचारी को भिजवा दिया, लेकिन जेएनयू हमारे वेंटिलेटर वापस नहीं दे रहा हैं। अब हमने जो कार्रवाई करनी थी वह कर चुके। अब निजी अस्पताल पर कार्रवाई को लेकर राज्य सरकार को पत्र लिखेंगे। सरकार ही नियमानुसार कार्रवाई करेगी।
यह है मामला
कोरोना महामारी की लहर से लड़ने के लिए प्रधानमंत्री केयर फं ड से भारत के सभी राज्यों में चिकित्सा सुविधाएं मजबूत करन के लिए वेंटिलेटर अस्पतालों को भेजे गए थे । जयपुर के सवाई मानसिंह अस्पताल को भी पीएम केयर फंड से वेंटिलेटर दिए गए थ। साल 2020 में आए इन वेंटीलेटर्स को जरूरत के हिसाब से निजी अस्पतालों में देने के आदेश एनएचएम ने जारी किए थे। इसी आदेश को लेकर जयपुर के नामी निजी जेएनयू अस्पताल को भी 5 वेंटिलेटर सवाई मानसिंह अस्पताल की ओर से दिए गए थ।
अपने वेंटिलेटर को एसएमएस जएनयू से कई बार वापस मांग चुका है। कई सरकारी आदेश जारी किए जा चुके हैं, लेकिन निजी अस्पताल से वेंटिलेटर वापस नहीं आए। 28 सितम्बर 2020 को राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तत्कालीन निदेशक नरेश कुमार ठकराल ने एसएमएस अस्पताल के तत्कालीन अधीक्षक को पत्र लिखकर 5 वेंटिलेटर जेएनयू को देने के निर्देश दिए थ। सवा दो साल बाद भी यह एसएमएस को वापस नहीं मिल हैं।
आखिर कहां गए वेंटिलेटर
जेएनयू से वेंटीलेटर कहा गए। इसके बारे में कोई जवाब एसएमएस अस्पताल के पास नहीं है। एसएमएस अस्पताल खुद भी मामले को लेकर एफआईआर तक दर्ज नहीं करवा रहा है। प्रशासन के अधिकारियों का कहना है कि कार्रवाई करने का अधिकारी सरकार के पास है। हमारे पास कार्रवाई करने का अधिकार नहीं है।