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Sardarpura Vidhan Sabha: 25 सालों से अशोक गहलोत को कोई नहीं दे पाया मात, यहां BJP की रणनीति भी फेल! क्या है सियासी समीकरण

राजस्थान में विधानसभा चुनाव के मध्यनजर लगातार राजनीति पार्टियां 2023 में अपनी सरकार बनाने को लेकर जोरों शोरों से तैयारियों में जुटी है। इस बीच सच बेधड़क भी आपको लगातार राजस्थान की 200 विधानसभा सीट को लेकर प्रत्येक सीट के समीकरण बता रहा है।
07:54 PM Oct 14, 2023 IST | Kunal Bhatnagar
sardarpura vidhan sabha  25 सालों से अशोक गहलोत को कोई नहीं दे पाया मात  यहां bjp की रणनीति भी फेल  क्या है सियासी समीकरण

Rajasthan Assembly Election 2023: राजस्थान में विधानसभा चुनाव के मध्यनजर लगातार राजनीति पार्टियां 2023 में अपनी सरकार बनाने को लेकर जोरों शोरों से तैयारियों में जुटी है। इस बीच सच बेधड़क भी आपको लगातार राजस्थान की 200 विधानसभा सीट को लेकर प्रत्येक सीट के समीकरण बता रहा है। इस बीच आज हम आपको जोधपुर जिले की सरदारपुरा विधानसभा सीट के बारें में जानकारी देगे। यहां पर सियासी समीकरण क्या है? आइए जानते है…

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सरदारपुरा सीट का जातीय समीकरण

सरदारपुरा सीट माली बहुल सीट मानी जाती है। इस सीट से अब तक सबसे ज्यादा बार माली उम्मीदवारों ने जीत हासिल की है। हालांकि, इस सीट पर अल्पसंख्यक, जाट, राजपूत, महाजन और ओबीसी वोटर भी काफी बड़ी संख्या में मौजूद हैं। लेकिन, इसके बावजूद पिछले 25 सालों से इस सीट पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का कब्जा है।

1998 से लगातार जीत अशोक गहलोत जीत रहे यहां पर चुनाव

  • 1972 – अमृत लाल गहलोत – कांग्रेस
  • 1977 – माधो सिंह – जनता पार्टी
  • 1980 – मानसिंह देवड़ा – कांग्रेस
  • 1985 – मानसिंह देवड़ा – कांग्रेस
  • 1990 – राजेंद्र गहलोत – भारतीय जनता पार्टी
  • 1993 – राजेंद्र गहलोत – भारतीय जनता पार्टी
  • 1998 – मानसिंह देवड़ा – कांग्रेस
  • 1998 (उपचुनाव) – अशोक गहलोत – कांग्रेस
  • 2003 – अशोक गहलोत – कांग्रेस
  • 2008 – अशोक गहलोत – कांग्रेस
  • 2013 – अशोक गहलोत – कांग्रेस
  • 2018 – अशोक गहलोत – कांग्रेस

भाजपा के शंभू सिंह खेतासर को मिली हार

2018 विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भाजपा के शंभू सिंह खेतासर को 45 हजार वोटों से हराया था। अशोक गहलोत के सामने 2008 से शंभू सिंह खेतासर चुनाव लड़ रहे हैं और लगातार हार रहे हैं। हालांकि, बीजेपी को भी पता है कि अशोक गहलोत के सामने किसी भी उम्मीदार को खड़ा करके चुनाव जीतना आसान नहीं है।

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