Success Story: दोस्तों से मिली सफल होने की कुंजी, इस शख्स ने बिना कोचिंग किए दूसरे प्रयास में ही पास कर ली RAS परीक्षा
जयपुर। कोचिंग में पढ़े बिना भी प्रतियोगिता परीक्षा में सफलता हासिल की जा सकती हैं। इस बात का प्रत्यक्ष प्रमाण है संदीप धेतरवाल की सफलता की कहानी, जो बुधवार को राजस्थान पुलिस के 53वें बैच मेंपासिंग आउट परेड पास कर प्रशिक्षु आरपीएस बने। धेतरवाल राजस्थान लोक सेवा आयोग की (Success Story) आरएएस भर्ती 2018 में आल ओवर 86 रेंक के साथ आरपीएस बने हैं। धेतरवाल सामान्य किसान परिवार से ही ताल्लुक रखते है और पिता आर्मी के एक्स सर्विसमैन हैं। धेतरवाल पहली बार 2016 भर्ती में शामिल हुए, लेकिन मुख्य परीक्षा में बाहर हो गए।
धेतरवाल राजस्थान विश्वविद्यालय के विद्यार्थी रहे और सेंट्रल लाइब्रेरी से ही तैयारी की। धेतरवाल का मानना है कि निश्चित टारगेट, समर्पित भाव और धैर्य के साथ किया गया कठिन परिश्रम ही सफलता की कुंजी है। धेतरवाल ने ‘सच बेधड़क’ को बताया कि समाज की अंतिम कड़ी तक न्याय पहुंचाना ही मेरा ध्येय होगा। पुलिस सरकार का दिखता हुआ चेहरा है। आमजन की सेवा ही मेरा प्रयास रहेगा।
पारिवारिक पृष्ठभूमि
नाम- संदीप धेतरवाल
पिता- महावीर सिंह – एक्स सर्विसमैन
माता- सरोज देवी – गृहणी
भाई- विक्रम सिंह, अशोक सिंह
शिक्षा- राजनीति विज्ञान से मास्टर्स, JRF, एमफिल
बोर्ड परीक्षा में जरूरी नहीं ज्यादा प्रतिशत
धेतरवाल की सफलता की कहानी साबित करती है कि सिविल सर्विस की तैयारी करने के लिए जरूरी नहीं कि विद्यार्थी को 10वीं और 12वीं कक्षा में ज्यादा प्रतिशत हो। उन्होंने कहा कि मेरे दसवीं में 59 और 12वीं में 64 प्रतिशत अंक थे। राजनीतिक विज्ञान से मास्टर्स के बाद सिविल सर्विस की तैयारी करने का सोचा। मेरे कुछ दोस्त यूपीएससी की तैयारी कर रहे थे, जिनसे गाइडेंस लेकर खुद ही अपने स्तर पर तैयारी शुरू की। पहली परीक्षा (Success Story) 2016 में दी और कुछ अंकों से मुख्य परीक्षा में रह गया। वर्ष 2018 में फिर तैयारी शुरू की। लगातार 6 से 8 घंटे की तैयारी की, जो मेरी सफलता की कुंजी बना।
युवा तैयारी शुरू करने से पहले खुद को करें प्रिपेयर
धेतरवाल कहते हैं कि युवा सबसे पहले सिविल सर्विस का सशक्त मानस बनाएं और कम चीजें ज्यादा बार पढ़ें। कोचिंग करना कोई जरूरी नहीं होता, लेकिन उचित गाइडेंस जरूरी है। धेतरवाल (Success Story) ने बताया कि सिविल सर्विस के लिए 6 से 8 घंटे की लगातार तैयारी से आसानी से चयन संभव है।