राजेश पायलट ने गिराए थे मिजोरम में बम! विधुड़ी से पायलट बनने की कहानी में छिपा है ये रोचक किस्सा
Rajesh Pilot: देश के सियासी गलियारों में राजस्थान के पूर्व डिप्टी सीएम पायलट पिछले 2-3 साल से लगातार चर्चा में है लेकिन बीते 2 दिनों से हर कोई सचिन के पिता राजेश पायलट की चर्चा कर रहा है. राजेश पायलट के चर्चा में आने के पीछे कारण है उनके नाम से जुड़ा एक विवाद जो फिर से उठ खड़ा हुआ है. दरअसल बीते 11 अगस्त को संसद में अविश्वास प्रस्ताव पर जवाब के दौरान पीएम मोदी ने कहा था कि कांग्रेस की सरकार ने 5 मार्च 1966 में मिजोरम में वायुसेना से बमबारी करवाई थी.
हालांकि पीएम ने किसी भी पायलट का नाम नहीं लिया लेकिन इसके बाद बीजेबी के आईटी सेल प्रमुख अमित मालवीय इसमें कूदे और सुरेश कलमाड़ी और राजेश पायलट, इन दोनों पायलट के नाम सोशल मीडिया पर तैरने लगे.
मालवीय के दावों पर सचिन पायलट ने पलटवार भी किया और कहा कि उनके पिता को वायुसेना में कमीशन अक्टूबर-1966 में मिला था ऐसे में वो मिजोरम में बमबारी कैसे कर सकते हैं. पायलट ने अपने दावे के साथ अपने पिता का एक तत्कालीन राष्ट्रपति द्वारा साइन नियुक्ति पत्र भी शेयर किया.
इंदिरा ने लड़वाया पायलट को चुनाव
राजेश पायलट का मूल नाम राजेश्वर प्रसाद विधुड़ी है जो पश्चिमी उत्तरप्रदेश के वैदपुरा गांव के रहने वाले थे. जानकारी के मुताबिक राजेश्वर विधुड़ी (राजेश पायलट) वायुसेना में अक्टूबर-1966 में फ्लाइंग लेफ्टिनेंट बने थे. इसके बाद 1971 के युद्ध के बाद वायुसेना ने उनका फ्लाइंग अफसर के पद पर प्रमोशन किया.
वहीं 1977 में वह फिर प्रमोशन लेकर स्क्वाड्रन लीडर बने. जानकार बताते हैं कि 1979 में राजेश पायलट को खुद इंदिरा गांधी का फोन आया जिन्होंने उन्हें चुनाव लड़ने का आदेश दिया और इस्तीफा देकर दिल्ली आने को कहा.
भरतपुर से लड़ा लोकसभा चुनाव
वहीं राजेश पायलट को इंदिरा गांधी मेरठ से चुनाव लड़वाना चाहती थी लेकिन किन्हीं कारणों से उन्हें टिकट नहीं मिला और इसके बाद इंदिरा ने उन्हें भरतपुर (राजस्थान) से लोकसभा का टिकट दिया जहां से वह जीतकर संसद पहुंचे. बताया जाता है कि इंदिरा गांधी ने ही चुनाव से पहले राजेश्वर प्रसाद विधुड़ी का नाम बदला था.
जहां 1980 में पहला लोकसभा चुनाव लड़ने के दौरान इंदिरा ने कहा कि तुम पायलट हो और तुम्हारी यही पहचान है. इसके बाद राजेश्वर प्रसाद विधुड़ी राजेश पायलट हो गए और इसी नाम से जनता के दिलों में बस गए.
इसके बाद राजेश पायलट ने 1984, 1991, 1996 और 1999 में लोकसभा चुनाव में दौसा से जीत हासिल की और वह राजीव गांधी के काफी अच्छे दोस्त थे. राजेश पायलट ने देश के तीन पूर्व प्रधानमंत्रियों इंदिरा गांधी, राजीव गांधी और पी. वी. नरसिम्हा राव के साथ काम किया. वहीं 11 जून 2000 को एक दौसा के पास ही एक सड़क दुर्घटना में उनकी मौत हो गई.