होमइंडिया
राज्य | राजस्थानमध्यप्रदेशदिल्लीउत्तराखंडउत्तरप्रदेश
मनोरंजनटेक्नोलॉजीस्पोर्ट्स
बिज़नेस | पर्सनल फाइनेंसक्रिप्टोकरेंसीबिज़नेस आईडियाशेयर मार्केट
लाइफस्टाइलहेल्थकरियरवायरलधर्मदुनियाshorts

राइट टू हेल्थ बिल : अब इमरजेंसी का खर्च उठाएगी प्रदेश सरकार

प्रदेश में आमजन को स्वास्थ्य का अधिकार देने वाले बिल के तहत इलाज का खर्चा राज्य सरकार द्वारा वहन किया जाएगा।
09:42 AM Feb 07, 2023 IST | Anil Prajapat

जयपुर। प्रदेश में आमजन को स्वास्थ्य का अधिकार देने वाले बिल के तहत इलाज का खर्चा राज्य सरकार द्वारा वहन किया जाएगा। बजट में इसके लिए अलग से फंड का प्रावधान किया जाएगा। बिल को लेकर लगातार विरोध कर रहे निजी अस्पतालों और चिकित्सकों के संगठनों के आगे झुकते हुए सरकार नेइमरजेंसी इलाज के लिए अलग से फंड बनाने का फैसला किया है। चिकित्सा मंत्री परसादी लाल मीणा ने कहा कि बिल का विरोध कर रहे डॉक्टर और प्राइवेट हॉस्पिटल संचालकों का समाधान निकाल दिया है।

मीणा ने कहा कि 11 फरवरी को होने वाली प्रवर समिति की बैठक में डॉक्टर्स का पक्ष सुना जाएगा और उसी दिन राइट टू हेल्थ बिल को अंतिम रूप दे दिया जाएगा, लेकिन निजी चिकित्सा संगठनों का अभी भी विरोध जारी है। मंत्री के बयान के बाद देर रात चिकित्सा संगठनों के प्रतिनिधियों ने बैठक कर सरकार के खिलाफ बड़ा आंदोलन करने की घोषणा की। उनका कहना है कि बिल में एक नई कई संशोधन की जरूरत है।

इस तरह होगा भुगतान

प्रवर समिति की बैठक से पहले सरकार ने राइट टू हेल्थ बिल में कई तरह के संशोधन किए जा रहे हैं। इसको लेकर मंत्री परसादी लाल मीणा ने बताया कि निजी अस्पतालों में इलाज के लिए राज्य सरकार को भुगतान करना होगा। इसके लिए चिरंजीवी योजना में जो पैकेज रखे गए हैं, उन्हें शामिल किया जाएगा। साथ ही जो पैकेज चिरंजीवी के दायरे में नहीं है उन्हें भी राइट टू हेल्थ बिल के पैकेज में शामिल किया जाएगा। इमरजेंसी में आने वाले मरीज की बीमारी डाइग्नोस होने के बाद उसके आधार पर तय पैकेज का सरकार सीधे अस्पताल को भुगतान करेगी। उन्होंने बताया कि इमरजेंसी में आने वाला मरीज अगर चिरंजीवी बीमा योजना में कवर है तो चिरंजीवी के तहत भुगतान होगा। जो चिरंजीवी के अधीन नहीं होगा उसका अतिरिक्त फंड में से भुगतान किया जाएगा। मंत्री ने बताया कि इससे जो अस्पताल चिरंजीवी के तहत इलाज नहीं करते, उन्हें भी इलाज करना होगा।

निजी चिकित्सकों का विरोध जारी

राइट टू हेल्थ बिल को लेकर विरोध कर रहे चिकित्सा संगठनो का कहना है कि राज्य सरकार अपनी जिम्मेदारी प्राइवेट हॉस्पिटल पर डालना चाहती है। 50 फीसदी से ज्यादा मरीज प्राइवेट हॉस्पिटल में इलाज के लिए आते हैं। मंत्री के बयान के बाद आईएमए राजस्थान के सचिव डॉ. राहुल कट्टा ने कहा कि राज्य सरकार केवल फंड का प्रावधान कर रही है, लेकिन अब तक चिरंजीवी और आरजीएचएस का भुगतान जो समय पर नहीं आ रहा। ऐसे में एक और योजना लाकर उसका भुगतान कैसे समय पर करेगी। सरकार ने अभी तक इमरजेंसी में कौन-कौन से इलाज करेगी, इसके बारे में कोई जानकारी नहीं दी। साथ ही सरकार सभी अस्पतालों को इसके लिए बाध्य कर रही है। वहीं बिल को लेकर राजस्थान प्राइवेट हॉस्पिटल एवं नर्सिग होम सोसायटी के सचिव डॉ. विजय कपूर ने कहा कि सरकार की मंशा सही नहीं है। अगर सरकार सब के हित में होती तो पहले ही संशोधन कर देती ऐसे में अब यह बिल किसी भी स्थिति में स्वीकार नहीं है।

Next Article