राइट टू हेल्थ बिल: सरकारी इच्छा मरीजों की जेब नहीं कटे, डाक्टर्स की शंका-कैसे होगा?
जयपुर। विधानसभा सत्र में पेश होने वाले राइट टू हेल्थ बिल का डॉक्टर्स विरोध कर रहे हैं। इससे पहले सत्र में भी यह बिल लागू नहीं हो पाया था। एक बार फिर डॉक्टर्स ने सरकार को चेतावनी देना शुरू कर दिया है। सरकार के प्रतिनिधिमंडल को चिकित्सक संगठनों ने जो पत्र अपनी मांगों को लेकर दिया है, उनमें अधिकतर मांगें मुफ्त इलाज और खर्चों पर स्थिति साफ नहीं होने से जुड़ी हुई है। सरकार चाह रही है कि निजी अस्पताल में मरीजों की जेब नहीं कटे, लेकिन यह कैसे संभव होगा डॉक्टर्स सरकार से इसी पर स्पष्टीकरण चाह रहे हैं।
मुफ्त इमरजेंसी उपचार पर आपत्ति
निजी अस्पतालों को आपातकालीन स्थिति में मरीज का मुफ्त उपचार करना अनिवार्य है, लेकिन चिकित्सक संगठनों का कहना है कि मेडिकल इमरजेंसी की कोई परिभाषा नहीं दी गई है। मुफ्त इलाज की सुविधा का लाभ उठाने के लिए सभी मरीज अपने लक्षणों को मेडिकल इमरजेंसी बताएं गे। ऐसे में वह कै से तय होगा कि इमरजेंसी क्या है। इलाज केबाद निजी स्वास्थ्य प्रदाता, ऐसी सेवाओं की लागत को स्वयं वहन नहीं कर सकते हैं तो उन्हें भुगतान कै सेमिलेगा यह स्पष्ट नहीं है।
ओपीडी में अनिवार्य इलाज
निजी अस्पतालों में फ्री में ओपीडी और इलाज करना अनिवार्य होगा। राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण को शिकायतों को स्वीकार करने और जांच करने के लिए मरीजों के लिए पहले से ही कई विकल्प उपलब्ध हैं, लेकिन चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग समितियां, चिकित्सा परिषदें और उपभोक्ता फोरम, नई व्यवस्था जटिलताएं पैदा करेंगी। समिति में ग्राम प्रधान और अन्य स्थानीय प्रतिनिधि है, जो किसी भी कार्रवाई में डॉक्टर्स के साथ पक्षपात कर उन्हें परेशान कर सकते हैं।
इन अधिकारों की जरूरत
डॉक्टर्स को कार्यस्थल पर सुरक्षा और हिंसा होन पर कानून सेवा के लिए भुगतान, हिंसा की रोकथाम,अस्पताल केबाहर शव रखकर प्रदर्शन रोकने, बेहतरीन इलाज से वंचित मरीज, डॉक्टर्स और अस्पतालों की शिकायत का निवारण होने का कोई प्रावधान नहीं किया गया है।
एंबुलेंस की व्यवस्था करें
सभी सड़क हादसों के मरीजों के लिए मुफ्त परिवहन, इलाज और बीमा कवरेज प्रदान करना अनिवार्य होगा। निजी अस्पताल कैसे एंबुलेंस की व्यवस्था करेंगे। इसमें दवा, परिवहन की लागत का खर्चा कौन वहन करेगा। निजी अस्पताल यह वहन नहीं कर पाएंगे।
स्वास्थ्य का अधिकार देने वाला पहला राज्य बनेगा राजस्थान
शासन सचिव चिकित्सा टी. रविकांत ने बताया कि राइट-टू-हेल्थ बिल प्रदेश की जनता के लिए जनकल्याणकारी होगा और राजस्थान आम आदमी को स्वास्थ्य का अधिकार देने वाला पहला राज्य बनेगा। वहीं, आरयूएचएस के कुलपति डॉ. सुधीर भंडारी ने कहा कि सरकार द्वारा जो बिल लाया जा रहा है उसमें आमजन और डाक्टर्स सभी के बेहतरीन सुझावों को स्थान दिया जा रहा है।