दौसा में होगा राजेश पायलट की 25 वी पुण्यतिथि सभा का आयोजन, सचिन पायलट, अशोक गहलोत रहेंगे मौजूद
पूर्व केंद्रीय मंत्री स्वर्गीय राजेश पायलट की 25 वी पुण्यतिथि सभा का आयोजन दौसा में किया जा रहा है यह आयोजन राजेश पायलट की पुण्यतिथि पर काफी महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक होने वाला है। पूर्व केंद्रीय मंत्री राजेश पायलट का योगदान कांग्रेस पार्टी और राजस्थान की राजनीति में काफी अहम था। इस कार्यक्रम का आयोजन कांग्रेस महासचिव सचिन पायलट, दौसा सांसद मुरारी लाल मीणा और पूर्व एमएलए जीआर खटाना करवा रहे है
कार्यक्रम पूर्व सीएम अशोक गहलोत, पीसीसी चीफ गोविन्द सिंह डोटासरा, नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली, प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा समेत तीनों सह प्रभारी होंगे शामिल होंगे। इसके अलावा कांग्रेस के पदाधिकारी और कार्यकर्त्ता, एनएसयूआई के पदाधिकारी भी बड़ी संख्या शामिल होंगे। सभा का आयोजन दौसा के जीरोता मोड़ स्थित राजेश पायलट स्मारक स्थल पर होगा। जिस की तैयारी पुलिस, प्रशासन व आयोजकों ने पूरी कर ली है।
सचिन पायलट और अन्य वरिष्ठ नेता जैसे अशोक गहलोत, गोविन्द सिंह डोटासरा, और टीकाराम जूली का इस कार्यक्रम में शामिल होना पार्टी के लिए एक मजबूत संदेश दे सकता है, खासकर अगर यह कार्यक्रम पार्टी के भीतर एकजुटता को दर्शाता है। दौसा में ऐसा आयोजन राजस्थान कांग्रेस की एकजुटता और पार्टी के नेताओं के बीच समन्वय को महत्वपूर्ण बनाता है।
कौन थे राजेश पायलट
राजेश पायलट (जन्म: 10 फरवरी 1945 – निधन: 11 जून 2000) भारतीय राजनीति के एक चर्चित और प्रभावशाली नेता थे। वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता और भारत सरकार में कई बार केंद्रीय मंत्री रहे। राजेश पायलट का वास्तविक नाम राजेश्वर प्रसाद बिधूड़ी था. पिता की मृत्यु के बाद वे दिल्ली के पॉश इलाकों में घर-घर जाकर दूध बेचने लगे. मवेशियों को चारा खिलाना, दूध निकालना और फिर इस दूध को बेचने घर-घर जाना उनका रोज का काम था. इस काम के साथ ही वे दिल्ली के अंग्रेजी मीडियम म्यूनिसिपल बोर्ड स्कूल में पढ़ाई भी करते थे. वर्ष 1974 में उन्होंने रमा पायलट से शादी की.
उनके जीवन का संक्षिप्त परिचय:
राजेश पायलट का जन्म उत्तर प्रदेश के गुड़गांव (अब हरियाणा में) के एक गुर्जर परिवार में हुआ था। वे भारतीय वायुसेना में पायलट रहे और वहाँ से 'पायलट' उपनाम जुड़ा।
राजनीति में प्रवेश:
राजेश पायलट ने 1980 में उन्होंने राजनीति में कदम रखा और दौसा (राजस्थान) से लोकसभा चुनाव जीतकर संसद पहुंचे। वे इंदिरा गांधी और बाद में राजीव गांधी के करीबी माने जाते थे। सांसद रहते हुए वे केंद्रीय गृह राज्य मंत्री, संचार मंत्री समेत कई महत्वपूर्ण मंत्रालयों की भी जिम्मेदारी सभाल चुके है।
भारतीय राजनीति में राजेश पायलट एक जमीन से जुड़े नेता माने जाते थे और किसान व ग्रामीणों के मुद्दों को मुखरता से उठाते थे।
कैसे हुआ निधन:
11 जून 2000 को राजस्थान के दौसा जिले में एक सड़क हादसे में उनका निधन हो गया।
राजेश पायलट को एक ईमानदार, कर्मठ और जमीनी नेता के रूप में याद किया जाता है। वे सामाजिक न्याय, किसानों के हक और युवाओं के लिए प्रेरणा स्रोत माने जाते हैं।