Right To Health: विधानसभा की प्रक्रिया में उलझा राइट टू हेल्थ बिल
जयपुर। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का ड्रीम राजस्थान में राइट टू हेल्थ बिल विधानसभा की प्रक्रिया में उलझा है। इस बिल को प्रवर समिति को भेजे 4 माह से ज्यादा हो गए। अभी तक सरकार ने सलेक्ट कमेटी तक नहीं बनाई। बिल को सलेक्ट कमेटी को भेजने का ऐलान करते हुए विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी ने भी 7 दिन में कमेटी गठन का ऐलान किया था, लेकिन ऐसा नहीं हो सका। यह देश में पहला ऐसा कानून होगा, जो नागरिकों को स्वास्थ्य का अधिकार देगा।
सितंबर में सरकार की तरफ से बुलाए गए विशेष सत्र में इस विधेयक को रखा गया था, लेकिन विधानसभा में बहस के बाद इसे सलेक्ट कमेटी को भेज दिया गया। बिल के प्रावधानों पर प्रतिपक्ष और सत्ताधारी कई विधायकों ने आपत्ति जताई थी। डाॅक्टर भी इसका विरोध कर रहे हैं। बिल में प्रावधान है कि निजी अस्पताल आपात स्थिति में बिना पैसा जमा कराए ही मरीजों का इलाज करेंगे। पहले पैसा जमा करने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकेगा।
सरकार का मानना
सरकार ने इसे पब्लिक हेल्थ का राजस्थान मॉडल बताया है, जो एडवांस्ड पब्लिक हेल्थ के युग की शुरुआत करेगा। इस बिल की खास बात यह है कि राजस्थान के 8 करोड़ लोगों को फ्री में इलाज मिलेगा। इसके साथ ही प्रदेश के हर व्यक्ति का इंश्योरेंस सरकार करवाएगी। इसके अलावा मरीज से लेकर डॉक्टर्स के लिए भी इस बिल में कई प्रावधान जोड़े गए हैं।
प्रदेश सरकार करवाएगी प्रदेश के हर व्यक्ति का हेल्थ इंश्योरेंस
अब बजट सत्र में इस विधेयक को विधानसभा में दोबारा पेश करने की तैयारी है। जब यह बिल पास हो जाएगा तो राजस्थान अपने प्रदेश के 8 करोड़ से ज्यादा लोगों को स्वास्थ्य का अधिकार देने वाला देश का पहला राज्य बन जाएगा। सरकार ने इसे पब्लिक हेल्थ का राजस्थान मॉडल बताया है, जो एक सार्वजनिक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा क्षेत्र में आधुनिक युग की शुरुआत करेगा।
इस बिल की खास बात यह है कि राजस्थान के 8 करोड़ लोगों को फ्री में इलाज मिलेगा। कैसी भी इमरजेंसी हो यदि मरीज प्राइवेट हॉस्पिटल में भी जाता है तो, वहां भी उसका फ्री इलाज होगा। इसके साथ ही प्रदेश के हर व्यक्ति का इंश्योरेंस सरकार करवाएगी। इसके अलावा मरीज से लेकर डॉक्टर्स के लिए भी इस बिल में कई प्रावधान जोड़े गए हैं।