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राम मंदिर को गुलाबी रंग देने में है भरतपुर का खास योगदान? महाभारत और रामायण से रहा है सीधा संबंध

Ram Mandir Pran Pratishtha: राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा 22 जनवरी को होनी है। मंदिर के निर्माण में विभिन्न राज्यों से निर्माण सामग्री मंगवाई गई जिसमें भरतपुर के बलुआ पत्थर ने राम मंदिर को गुलाबी रंग देने में खास योगदान दिया है।
09:21 AM Jan 05, 2024 IST | BHUP SINGH
Ram Mandir Pran Pratishtha: राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा 22 जनवरी को होनी है। मंदिर के निर्माण में विभिन्न राज्यों से निर्माण सामग्री मंगवाई गई जिसमें भरतपुर के बलुआ पत्थर ने राम मंदिर को गुलाबी रंग देने में खास योगदान दिया है।
राम मंदिर को गुलाबी रंग देने में है भरतपुर का खास योगदान  महाभारत और रामायण से रहा है सीधा संबंध

Ram Mandir Pran Pratishtha: रामलला की जन्मभूमि अयोध्या में 22 जनवरी को राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा होनी है। इसके लिए देशभर में जोर-शोर से तैयारियां चल रही है। देश के प्रमुख हस्तियों को निमंत्रण भेजा रहा है और पीएम नरेद्र मोदी मौजूद रहेंगे। राम मंदिर में विभिन्न राज्यों की निर्माण सामग्री की झलक दिखाई देगी। राजस्थान के भरतपुर का भी रामायण और महाभारत से संबंध रहा है।

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बलुआ पत्थर ने दिया राम मंदिर को गुलाबी रंग

राम मंदिर के निर्माण के लिए भरतपुर का बलुआ पत्थर और मकराना से संगमरमर मंगाया गया है। राम मंदिर को गुलाबी रंग देने में भरतपुर के बलुआ पत्थर की प्रमुख भूमिका रही है। यहां से करीब 4.7 लाख घन फीट गुलाबी बलुआ पत्थर मंगाया गया। राम मंदिर में इस गुलाबी रंग के पत्थर ने चार चांद लगाने का काम किया है।

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राम मंदिर के निर्माण में लगे गुलाबी पत्थर की स्पलाई भरतपुर के बंसी पहाड़पुर क्षेत्र की कई खदानों से हो रही है। भरतपुर यूपी से सटा हुआ राजस्थान का एक जिला है। इसे राजस्थान का पूर्वी द्वार भी कहा जाता है। यूपी और मथुरा से सटा होने के चलते भरतपुर का रामायण और महाभारत से भी संबंध बताया जा रहा है।

रामायण-महाभारत से खास है भरतपुर का संबंध

मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो महाभारत के मुताबिक राजा मत्सय ने भरतपुर की स्थापना की थी। वे सत्यवती के जुड़वां भाई थे। जब महाभारत का युद्ध हुआ तो राजा मत्सय ने पांवों का साथ दिया था। वहीं किंगवदिंतियों के अनुसार, भरतपुर नाम रामायण के समय का है। यह नाम भगवान राम के भाई भरत के नाम पर पड़ा था। 18वीं शताब्दी की शुरुआत में महाराजा सूरजमल ने सरदार खेमकरण को हरा दिया था। इसके बाद उनका भरतपुर किले पर कब्जा हो गया। उन्होंने भी आधुनिक भरतपुर को बनाया।

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