For the best experience, open
https://m.sachbedhadak.com
on your mobile browser.

जगन्नाथ रथयात्रा 27 जून को आषाढ़ शुक्ल पक्ष द्वितीया तिथि से प्रारंभ

03:22 PM Jun 25, 2025 IST | Ashish bhardwaj
जगन्नाथ रथयात्रा 27 जून को आषाढ़ शुक्ल पक्ष द्वितीया तिथि से प्रारंभ
Advertisement

Jagannath Rath Yatra 2025: श्री जगन्नाथ रथयात्रा, जिसे पुरी रथयात्रा के नाम से भी जाना जाता है, हर साल ओडिशा के पुरी शहर में बड़े धूमधाम और उल्लास से मनाया जाता है। इस बार रथ यात्रा की शुरुआत 27 जून 2025 से हो रही है। इस यात्रा में लाखों भक्त शामिल होते हैं। यह उत्सव भगवान जगन्नाथ, उनके बड़े भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा को समर्पित होता है। बता दें कि इन दिनों भगवान जगन्नाथ अपने बड़े भाई बलराम और बहन सुभद्रा के साथ अपनी मौसी के घर जाते हैं।

2025 में जगन्नाथ रथ यात्रा की तारीख

हिंदू पंचांग के अनुसार, द्वितीया तिथि 26 जून दोपहर 1 बजकर 24 मिनट से शुरू होकर 27 जून सुबह 11 बजकर 19 मिनट तक रहेगी। उदयातिथि के अनुसार, यह पर्व 27 जून को मनाया जाएगा। जगन्नाथ रथ यात्रा नौ दिनों तक चलेगी और 5 जुलाई 2025 को समाप्त होगी।

रथ यात्रा का आध्यात्मिक महत्व क्या है

जगन्नाथ रथ यात्रा 2025 कहते हैं कि जो भी व्यक्ति इस रथ यात्रा में शामिल होते हैं, उनके सभी पाप खत्म हो जाते हैं। उन्हें पुण्य फल की प्राप्ति होती है। आपको बता दें कि इस यात्रा में सबसे आगे बलराम जी, बीच में बहन सुभद्रा और आखिरी में भगवान जी का रथ चलता है।

भगवान जगन्नाथ की यात्रा का इतिहास

पौराणिक मान्यता के अनुसार, एक बार भगवान जगन्नाथ की बहन सुभद्रा ने पुरी नगर दर्शन की इच्छा जताई। तब भगवान जगन्नाथ और बलभद्र ने उन्हें रथ पर बैठाकर नगर भ्रमण कराया और रास्ते में वे अपनी मौसी के घर भी कुछ दिन ठहरे। तभी से यह परंपरा हर साल रथ यात्रा के रूप में निभाई जाती है।

पुरी ओडिशा की रथ यात्रा की परंपरा

पुरी में रथ यात्रा की परंपरा हजारों साल पुरानी मानी जाती है। कहा जाता है कि यह परंपरा द्वारिका से जुड़ी है, जहाँ भगवान श्रीकृष्ण अपने भाई और बहन के साथ गोकुल जाने के लिए रथ पर चढ़े थे। उसी स्मृति को चिरस्थायी रूप देने के लिए हर साल भगवान जगन्नाथ को अपने मंदिर से बाहर निकालकर रथ पर बैठाकर गुंडिचा मंदिर तक ले जाया जाता है।

नंदीघोष, तालध्वज और दर्पदलन: रथ यात्रा के तीन रथ

रथ यात्रा के दौरान तीन विशाल रथ बनाए जाते हैं। भगवान जगन्नाथ का रथ "नंदीघोष" (चक्रध्वज), बलभद्र का रथ "तालध्वज", सुभद्रा का रथ "दर्पदलन" के नाम से जाना जाता है। जगन्नाथ यात्रा के लिए तीनों रथ लकड़ी से बनाए जाते हैं और हर साल नए बनाए जाते हैं, जिन्हें स्थानीय कारीगर परंपरागत तरीकों से तैयार करते हैं।

विश्व भर से आते हैं श्रद्धालु

पुरी की रथ यात्रा में हर वर्ष देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु भाग लेते हैं। यह आयोजन भारत सरकार और ओडिशा राज्य सरकार की निगरानी में होता है, जहाँ सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किए जाते हैं। विदेशों में रहने वाले कई भारतीय और विदेशी भक्त भी ऑनलाइन माध्यम से इसका सीधा प्रसारण देखकर आध्यात्मिक सुख प्राप्त करते हैं।

पुरी की रथ यात्रा में आपको कुछ बातों का ध्यान रखना होगा। इस यात्रा में लाखों लोग शामिल होने के लिए आते हैं। ऐसे में टिकट का किराया बढ़ सकता है। इसलिये आपको पहले से ही टिकट करा लें। वहीं होटलों की बुकिंग भी पहले से करा लें।

.