Rajasthan Election 2023: भाजपा की तीसरी लिस्ट से छंटा मारवाड़ की सियासत का कोहरा
Rajasthan Election 2023: जोधपुर। सीएम अशोक गहलोत के सामने सरदारपुरा विधानसभा से भाजपा किसे मैदान में उतारेगी? मारवाड़ ही नहीं प्रदेशभर में राजनीति में रुचि रखने वाले इसका बेसब्री से इंतजार कर रहे थे। भाजपा की ओर से गुरुवार को जारी उम्मीदवारों की तीसरी लिस्ट ने इस सवाल का जवाब दे दिया। हॉट सीट सरदारपुरा से गहलोत के सामने भाजपा ने जोधपुर विकास प्राधिकरण के पूर्व चेयरमैन डॉ. महेंन्द्र सिंह राठौड़ को चुनाव मैदान में उतारा है। जेएनवीयू में प्रोफेसर डॉ. राठौड़ पूर्व में जेडीए चेयरमैन रह चुके हैं।
राठौड़ पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ेंगे। जोधपुर शहर में तीन सीटें सरदारपुरा, जोधपुर और सूरसागर आती हैं। सरदारपुरा को हमेशा हॉट सीट माना जाता है। इस बार यह सीट इसलिए ज्यादा चर्चा रही कि गहलोत को घेरने के लिए भाजपा के लीक से हटकर नाम तय करने की चर्चाएं थीं। सबसे ज्यादा चर्चा केंद्रीय मंत्री गजेंद्रसिंह शेखावत के नाम को लेकर थी। वे सरदारपुरा या जोधपुर के अलावा जिले की किसी सीट से चुनाव लड़ सकते हैं। इसलिए लोगों की उत्सुकता लगातार बनी हुई थी।
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भाजपा उम्मीदवारों की पहली सूची में कुछ सांसदों के नाम आने के बाद अप्रत्याशित विरोध हुआ। संभवत: इसी वजह से पार्टी ने शेखावत के नाम पर फैसला टाल दिया। अब चौधरी चरणसिंह चाहते थे जाट मुख्यमंत्री तो अब इस कहानी का अंतिम परिदृश्य राजस्थान विधानसभा के चुनाव होने से कुछ पहले से जुड़ता है। बिडम्बना देखिए कि चौधरी कु म्भाराम जैसा खांटी किसान नेता 19 माह जेल में रहने के बावजूद अचानक कांग्स में रे शामिल होता है। नत्थीसिंह ने उन्हें बहुत समझाया लेकिन वह नहीं माने। उनका आकलन यही था कि चुनाव में कांग्स को सफलता रे मिलेगी। परिणाम विपरीत रहा। जनता पार्टी कार्यालय में जबरन घुसने से चौधरी कु म्भाराम आर्य की छवि धूमिल हुई। इधर भैरोंसिह शेखावत मुख्यमंत्री पद संभाल चुके थे।
बकौल नत्थीसिंह चरणसिंह दुखी मन से कहा- मैं इस कुम्भाराम को राजस्थान का मुख्यमंत्री बनाना चाहता था, क्योंकि पूरे देश में जाटों की सर्वाधिक आबादी राजस्थान में ही है लेकिन उनमें से किसी को भी अभी तक मुख्यमंत्री बनने का मौका नहीं मिला। कुम्भाराम जनाधार वाले नेता थे। अबके उनका नम्बर जरूर आता लेकिन आपातकाल में जेल में रहने के बाद वे कांग्रेस में भाग गए और अब उसकी हार के बाद वह इस तरह का अनुचित नाटक कर रहे हैं।” और एक जननेता की राजनीतिक भूल इतिहास में दर्ज हो गई। परिवर्तित राजनीतिक परिस्थितियों में राज्यसभा के चार सदस्यों ने
कांग्स पा रे र्टी छोड़ जनता पार्टी में सम्मिलित होने को निर्णय लिया। इनमें तीन आन्ध्रप्रदेश और चौथे राजस्थान से नत्थीसिंह थे।
इंदिरा की प्रतिक्रिया थी कि- नत्थीसिंह ने तो जाति आधार पर चौधरी चरणसिंह के प्रभाव में कांग्रेस छोड़ी है। दिलचस्प तथ्य यह है कि इंदिरा राज्यसभा के तत्कालीन सदस्य राजनारायण के मुकाबले अच्छे वक्ता के रूप में संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी से कांग्रेस में शामिल नेताओं को राज्यसभा में लाने की जुगाड़ में थी। तब नत्थीसिंह का नाम आया और रामनिवास मिर्धा ने भी इंदिरा को बताया था कि वह विधानसभा में दमदारी से बोलते हैं। जोधपुर जिले की आठ में से शेरगढ़ विधानसभा से फिलहाल दोनों प्रमुख दलों ने अपने उम्मीदवार घोषित नहीं किए हैं। भाजपा ने जोधपुर जिले की आठ में से सात सीटों पर और कांग्रेस ने छह पर उम्मीदवार तयकिए हैं। कांग्रेस को सूरसागर से भी नाम तय करना है। फलोदी जिले की दो सीटों में से भाजपा ने दोनों पर नाम का ऐलान कर दिया है। जबकि कांग्रेस ने अभी नाम तय नहीं किए हैं।
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भाजपा ने जोधपुर शहर सीट से अतुल भंसाली, लूणी से जोगाराम पटेल, ओसिंया से भैराराम सियोल, लोहावट से गजेंन्द्रंिसह खींवसर, भोपालगढ़ से कमसा मेघवाल और पबाराम को उम्मीदवार बनाया है। पिछले चुनाव में इनमें से केवल पब्बाराम चुनाव जीत पाए थे। इस तरह जोधपुर शहर में विधायक मनीषा पंवार का मुकाबला अतुल भंसाली से, ओसिया में दिव्या मदेरणा का भैराराम सियोल से, भोपालगढ़ में गीता बरबड़ का कमसा मेघवाल से और लूणी में महेंद्र विश्नोई का जोगाराम पटेल से होगा। भाजपा ने संभाग में बाड़मेर, शिव, पचपदरा सीट पर उमीदवारों के नाम होल्ड पर रखे हैं। जैसलमेर में छोटूसिंह भाटी, गुड़ामलानी में केके विश्नोई, रानीवाड़ा में नारायणसिंह देवल, भीनमाल में पूराराम चौधरी पर भी वापस भरोसा जताया गया है।
हर बार बढ़ा है गहलोत की जीत का अंतर
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पिछले पांच बार से विधानसभा में सरदारपुरा सीट का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। 1998 में जब गहलोत प्रदेश के पहली बार मुख्यमंत्री बने तब उन्होंने सरदारपुरा सीट से ही उपचुनाव में जीतकर विधायकी हासिल की थी। इसके बाद से वे लगातार सरदारपुरा सीट से चुनाव जीत रहे हैं। 2008 के चुनाव में गहलोत ने भाजपा के राजेन्द्र गहलोत को 15 हजार 340 वोट से हराया था। 2013 के चुनाव में शम्भूसिंह खेतासर को 18 हजार 478 वोट से हराया। पिछले विधानसभा चुनाव 2018 में भी खेतासर ही भाजपा प्रत्याशी के रूप में गहलोत के सामने थे, इस चुनाव में गहलोत 45 हजार 597 वोट से जीते थे। गहलोत जोधपुर सीट से पांच बार सांसद भी रहे हैं।
जोधपुर जिले में अभी ये स्थित
वसुंधरा राजे के नजदीकी माने जाते हैं राठौड़
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के सामने जो नाम चर्चा में थे उनमें से एक राज्यसभा सांसद राजेन्द्र गहलोत का भी था। इनके अलावा हाल ही में भाजपा में शामिल हुए जेएनवीयू के पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष रविद्रसिंह भाटी को भी दावेदार बताया जा रहा था। लेकिन ऐन वक्त पर डॉ. राठौड़ के नाम पर मुहर लग गई। वैसे डॉ. राठौड़ को पूर्व सीएम वसुंधरा राजे का नजदीकी माना जाता है और ताजा लिस्ट में कई नाम राजे समर्थकों के माने जा रहे हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा ने गहलोत के सामने शंभूसिंह खेतासर को उम्मीदवार घोषित किया था। वे 45 हजार से अधिक मतों से हारे थे।