For the best experience, open
https://m.sachbedhadak.com
on your mobile browser.

Rajasthan Election 2023 : जीवन के पहले चुनाव में ही 88.37 फीसदी वोट हासिल कर विधायक बने थे भंवर जी

Rajasthan Election 2023 : तो, बात चल रही थी भाजपा के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष व हवामहल विधानसभा क्षेत्र से लगातार छह बार विधायक रहे भंवरलाल शर्मा की। 1977 में अपने पहले विधानसभा चुनाव में 88.37 प्रतिशत वोट हासिल कर जीतने वाले भंवर जी ने 1980 में कांग्रेस के किशन सिंह आजाद को 16431 वोट से हराया।
10:02 AM Nov 17, 2023 IST | BHUP SINGH
rajasthan election 2023   जीवन के पहले चुनाव में ही 88 37 फीसदी वोट हासिल कर विधायक बने थे भंवर जी

Rajasthan Election 2023 : तो, बात चल रही थी भाजपा के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष व हवामहल विधानसभा क्षेत्र से लगातार छह बार विधायक रहे भंवरलाल शर्मा की। 1977 में अपने पहले विधानसभा चुनाव में 88.37 प्रतिशत वोट हासिल कर जीतने वाले भंवर जी ने 1980 में कांग्रेस के किशन सिंह आजाद को 16431 वोट से हराया। लेकिन 1985 का चुनाव भंवर जी के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न बन गया।

Advertisement

सीए शंकर अग्रवाल के अनुसार कांग्रेस ने इस बार एडवोकेट दिनेश चंद स्वामी को चुनाव मैदान में उतारा। इंदिरा गांधी की हत्या के पश्चात विधानसभा के इस चुनाव में कांग्रेस के पक्ष में सहानुभूति लहर का असर था। भाजपा कार्यकर्ताओं ने कच्ची बस्तियों आदि इलाकों में वोट बिखरने से जुड़ी गतिविधियों पर कड़ी नजर रखी। नतीजतन भंवर जी कड़े संघर्ष में मात्र 2863 वोटों के अंतर से चुनाव जीत पाए। भंवर जी को 27372 (52.13%) और दिनेश स्वामी को 24509 वोट मिले।

यह खबर भी पढ़ें:-जयपुर-दिल्ली के बीच बन रहा इलेक्ट्रिक केबल हाईवे, 2 घंटे में पूरा होगा सफर, किराया भी 30% कम

मित्र से बोले… तुम्हारी शादी का तोहफा मुझे हमेशा याद रहेगा

भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष रहे भंवर जी ने विधानसभा चुनाव से पहले नगर परिषद जयपुर के पार्षद का भी चुनाव लड़ा था। नगर परिषद के चुनाव, परिषद के सभापति पद तथा अविश्वास प्रस्ताव से जुड़ा दिलचस्प किस्सा सीए शंकर अग्रवाल ने साझा किया। वर्ष 1962 के इस प्रसंग का उल्लेख करते हुए शंकरजी बताते हैं कि उनके भावी ससुर शिवनाथ कं सल का विवाह हरिद्वार में बड़े‌ भाई की देखरेख में हुआ।

जयपुर से शिवनाथ जी के मित्र भंवरजी भी बारात में गए। इस बीच ही सभापति भंवर लाल शर्मा के विरोधी पार्षदों को एकजुट करके उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पारित कराने की रणनीति बनाई गई और उन्हें पद से हटना पड़ा। तब भंवर जी अपने मित्र कं सल जी को मजाक में उलाहना देते हुए कहा कि तुम्हारी शादी का तोहफा मुझे हमेशा याद रहेगा। भंवर जी के बीनेट मंत्री भी बने लेकिन उनकी साद‌गी, सहजता एवं अनौपचारिकता से परिपूर्ण हास-परिहास से जुड़ी स्मृतियां लोगों के मानस पटल पर अंकित हैं।

प्रतिद्वंद्वी महेश जोशी को मिले थे 13,164 वोट

पूर्व जयपुर रियासत के महाराजा प्रतापसिंह द्वारा मोर-मुकुट की छवि रूप में बनाए गए हवामहल निर्वाचन क्षेत्र को फतह करना कांग्रेस के लिए टेढ़ी खीर बन गया था। इसलिए चुनाव दर चुनाव कांग्रेस ने प्रत्याशी बदलने की रणनीति अपनाई। वर्ष 1990 का चुनाव आया तो खुश कांग्रेस ने युवा महेश जोशी को खड़ा किया। एकतरफा चुनाव में महेश जोशी को के वल 13164 वोट मिले और उनकी पराजय का अंतर 24398 था। भंवरजी को 69.07% मत मिले। अगले चुनाव वर्ष 1993 में बनवारीलाल गुप्ता चुनाव मैदान में उतारे गए। इस बार भंवरजी ने 70.19 प्रतिशत वोट हासिल कर प्रतिद्वंदी प्रत्याशी को 27828 वोटों से परास्त किया।

यह खबर भी पढ़ें:-राजस्थान के रण में आज 7 दिग्गजों का हल्ला बोल…अजमेर में शाह तो वागड़-मेवाड़ में प्रियंका भरेंगी हुंकार

जनसंघ और भाजपा के दिग्गज नेता भैरों सिंह शेखावत की अगुवाई में वर्ष 1998 के चुनाव में लगातार दूसरी बार शासन सत्ता पर सवार भाजपा सरकार के प्रति स्वाभाविक विरोधी लहर थी। भंवर जी के जीवन का भी यह आखिरी चुनाव था। कांग्रेस की ओर से रिखबचंद शाह का भंवर जी से मुकाबला था। कड़े संघर्ष में भंवर जी ने 7189 मतों से जीत दर्ज की। अगले चुनाव 2003 में रिखबचंद शाह को भाजपा के सुरेन्द्र पारीक से 16961 वोटों से मात खानी पड़ी।

वर्ष 2008 में भंवर जी की पुत्री मंजू शर्मा कांग्रेस के बृजकिशोर शर्मा से के वल 580 मतों के अंतर से हार गई। वर्ष 2013 में भाजपा के सुरेन्द्र पारीक को बृज किशोर शर्मा ने 12715 तथा 2018 में महेश जोशी ने 9282 वोटों से पराजित किया।

गुलाब बत्रा, वरिष्ठ पत्रकार

.