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Control of Organized Crime Bill : अपराधियों का साथ देने वालों की अब खैर नहीं, नए कानून में ये प्रावधान

Control of Organized Crime Bill कानून के अस्तित्व में आने के बाद संगठित तौर पर अपराधों को अंजाम देने वाले अपराधियों को मृत्यु दंड तक की सजा का प्रावधान किया गया है। 
07:07 AM Jul 19, 2023 IST | Anil Prajapat
control of organized crime bill   अपराधियों का साथ देने वालों की अब खैर नहीं  नए कानून में ये प्रावधान

Control of Organized Crime Bill : जयपुर। विधानसभा में मंगलवार को प्रदेश में संगठित अपराधों पर रोक लगाने लिए राजस्थान संगठित अपराध का नियंत्रण विधेयक–2023 पारित कर दिया गया। कानून के अस्तित्व में आने के बाद संगठित तौर पर अपराधों को अंजाम देने वाले अपराधियों को मृत्यु दंड तक की सजा का प्रावधान किया गया है।

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अपराधियों को संरक्षण या आश्रय देता है तो ऐसे व्यक्ति के लिए कड़े जुर्माने और उम्र कैद तक की सजा का प्रावधान किया गया है। वहीं अपराधियों के पैसा निवेश करने वालों पर भी सख्त सजा का प्रावधान किया गया है। इस तरह का कानून बनाने वाला राजस्थान देश का चौथा राज्य है। पूर्व में महाराष्ट्र, कर्नाटक एवं गुजरात में इस तरह के कानून लागू किए जा चुके हैं।

मंत्री धारीवाल बोले-कठोर कानून से अपराध पर लगेगी लगाम

संसदीय मंत्री शांति धारीवाल विधानसभा में कहा कि विधेयक में अपराधियों की अर्जित संपत्ति को जब्त करने के साथ ही विशेष न्यायालयों की स्थापना एवं विशेष लोक अभियोजकों की नियुक्ति करने के प्रावधान किए गए हैं, ताकि मुकदमों का शीघ्र निस्तारण हो सके । इसमें अपराधियों की जमानत एवं अग्रिम जमानत नहीं होने के भी प्रावधान किए गए हैं।

संगठित गिरोह कई संगीन अपराधों में लिप्त हैं। ये गिरोह कानून और प्रक्रिया के सुधारात्मक और पुनर्वास संबंधी पहलुओं का लाभ उठाते हुए अपराध करने के लिए अभिरक्षा से रिहा भी हो जाते हैं। इसलिए इन अपराधियों से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए आवश्यक कठोर कानून की यह विधेयक पूर्ति करेगा।

नए कानून में ये प्रावधान

-अपराध के कारण किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है तो मृत्यु या आजीवन कारावास का दंड, न्यूनतम एक लाख रुपए तक का जुर्माना।

-सामान्य मामले में कम से कम पांच वर्ष की सजा और आजीवन कारावास, न्यूनतम पांच लाख का जुर्माना।

-संगठित अपराध को करने का षड्यंत्र करने वाले को भी पांच वर्ष से लेकर आजीवन कारावास और न्यूनतम पांच लाख जुर्माना।

-संगठित अपराध सिडिंकेट के किसी भी सदस्य को संश्रय देता है या ऐसे गैंग का सदस्य है उसे आजीवन कारावास तक की सजा और पांच लाख का कम से कम जुर्माना।

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