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हर बार नया रंग दिखाता है झुंझुनूं, कांग्रेस के लिए गढ़ बचाना चुनौती

Rajasthan Assembly Election 2023: 2008 में कांग्रेस ने झुंझुनूं विधानसभा में 7 में से 6 सीटेें जीती थी, लेकिन 2023 में करवट बदली ओर एक ही सीट हाथ लगी। अभी कांग्रेस के पास 5 सीटें हैं जिन्हें बचाना पार्टी के लिए चुनौती होगी।
09:10 AM Oct 08, 2023 IST | BHUP SINGH
हर बार नया रंग दिखाता है झुंझुनूं  कांग्रेस के लिए गढ़ बचाना चुनौती

सीकर से रमेश शर्मा की रिपोर्ट। शेखावाटी का झुंझुनूं जिला राजस्थान की राजनीति में अहम जगह रखता है। पहचान की बात करें तो इस जिले को बिड़ला इंस्टीट्यूट ऑफ टैक्नोलॉजी (बिट्स) पिलानी के चलते देशभर में जाना जाता है। राणी सती माता मंदिर के चलते यह धार्मिक पर्यटकों को भी आकर्षित करता है। शेखावाटी की शानदार हवेलियां तो यहां हैं ही, जो यहां की संस्कृति को एक अलग पहचान देती हैं। इस जिले की राजनीति कभी लगातार एक तरफा नहीं रही।

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2008 के चुनाव में जिले की सात विधानसभा सीटों में से भाजपा को सिर्फ एक सीट और कांग्रेस को चार सीट मिली थी। पांच साल बाद ही 2013 में जनता ने रंग बदला और भाजपा को तीन सीटें दे दीं, कांग्रेस को एक सीट पर ही संतोष करना पड़ा। गत चुनाव में कांग्रेस ने शानदार वापसी की, अभी कांग्रेस पांच सीटों पर काबिज है। एक सीट पर भाजपा विधायक हैं। एक सीट जो राजेंद्र गुढ़ा ने बसपा के बैनर तले जीती थी और कांग्रेस में शामिल हो गए थे और फिलहाल वे शिवसेना में हैं।

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इस प्रकार देखा जाए तो जिले में कांग्रेस को होल्ड है भाजपा कमजोर हालत में है। जातिगत समीकरणों की बात करें तो खेतड़ी को छोड़कर शेष छह विधानसभा सीटों पर जाट सर्वाधिक संख्या में हैं। सूरजगढ़ में यादव दूसरी सबसे बड़ी शक्ति हैं तो पिलानी व नवलगढ़ में अनुसूचित जाति। झुंझुनूं व मंडावा में मुस्लिम तथा उदयपुर वाटी में सैनी मतदाताओं की संख्या दूसरे नंबर पर है। पिलानी, सूरजगढ़, झुंझुनूं, मंडावा व नवलगढ़ में राजपूतों की भी अच्छी-खासी संख्या है। उदयपुर वाटी में गुर्जर व खेतड़ी में जाट क्रमश: चौथी सबसे बड़ी ताकत है।

झुंझुनूं विधानसभा

यहां वर्तमान में परिवहन मंत्री बृजेन्द्र ओला विधायक हैं। तीसरी कोई पार्टी फिलहाल मजबूत नहीं है। भविष्य में कोई बागी उम्मीदवार किसी दूसरी पार्टी की टिकट लाता है तो समीकरण बदल सकते हैं। कांग्रेस से वर्तमान विधायक ओला सहित आधा दर्जन नेताओं ने टिकट के लिए दावा किया है। यहां मुस्लिम मतदाता बड़ी संख्या में हैं। भाजपा में भी आधा दर्जन से ज्यादा टिकट के दावेदार हैं। यहां के मुख्य मुद्दों की बात करें तो शौर्य उद्यान का अधूरा काम, खेल यूनिवर्सिटी व कुंभाराम लिफ्ट कै नाल का पानी हर घर तक पहुंचाना आदि प्रमुख हैं जिन पर चुनाव लड़ा जाएगा।

उदयपुरवाटी विधानसभा

बसपा से जीतकर कांग्रेस में शामिल हुए और फिर कांग्रेस छोड़ शिवसैनिक बन चुके राजेंद्र सिंह गुढ़ा यहां से विधायक हैं। वे यदि शिव सेना की ओर से चुनाव लड़ते हैं तो शिव सेना मजबूत रहेगी। लेकिन भाजपा से गठबंधन के चलते शिव सेना का बिना गठबंधन के चुनाव लड़ना मुश्किल है। कांग्रेस की ओर से चुनाव लड़ने के लिए यहां से सर्वाधिक 33 नेताओं ने टिकट मांगा है। भाजपा के दावेदार भी बड़ी संख्या में हैं। कुंभाराम लिफ्ट कैनाल परियोजना का पानी, अवैध खनन और लचर कानून व्यवस्था यहां मुख्य मुद्दे हैं।

पिलानी विधानसभा

पिलानी से कांग्रेस के जेपी चंदेलिया विधायक हैं। यदि भाजपा नए चेहरे को टिकट देती है तो कांग्रेस और भाजपा में टक्कर होगी। कांग्रेस से मौजूदा विधायक जेपी चंदेलिया सहित 16 नेताओं ने टिकट मांगा है जिनमें सात रिटायर्ड अधिकारी हैं। भाजपा से करीब आधा दर्जन दावेदार हैं। इस क्षेत्र में कुंभाराम लिफ्ट कैनाल परियोजना का पानी, एसडीएम कार्यालय की स्थापना, बॉर्डर इलाके में कानून व्यवस्था मजबूत करना आदि मुख्य मुद्दे हैं।

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नवलगढ़ विधानसभा

नवलगढ़ से कांग्रेस के डॉ. राजकुमार शर्मा विधायक हैं। विपक्ष यदि मिलकर चुनाव लड़ता है तो डॉ. शर्मा के लिए मुसीबत खड़ी कर सकता है। कांग्रेस से शर्मा के अलावा केवल दो नेताओं ने टिकट के लिए आवेदन किया है। भाजपा भी लंबे समय से कांग्रेस के प्रभाव वाली इस सीट पर पकड़ बनाने में जुटी है। इस क्षेत्र में कुं भाराम लिफ्ट कै नाल परियोजना का पानी, नवलगढ़ कस्बे में ड्रेनेज सिस्टम आदि मुख्य मुद्दे है।

सूरजगढ़ विधानसभा

यहां से भाजपा के सुभाष पूनियां विधायक हैं। भाजपा से पूर्व सांसद सहित कई अन्य नेता टिकट की कतार में हैं। वहीं कांग्रेस से 10 नेताओं ने आवेदन किया है। इस इलाके में कुंभाराम लिफ्ट कैनाल परियोजना का पानी, ग्रामीण इलाकों में सड़कों की मरम्मत, नियमित रोडवेज बस सेवा आदि मुख्य मुद्दे हैं।

खेतड़ी विधानसभा

खेतड़ी से कांग्रेस के डॉ. जितेंद्र सिंह विधायक हैं। गुर्जरों में सचिन पायलट का साथ ना देने के कारण डॉ. जितेंद्र सिंह के प्रति नाराजगी बताई जा रही है। यहां गुर्जर अच्छी खासी संख्या में हैं और चुनाव नतीजों को प्रभावित करने की ताकत रखते हैं। सिंह ने खुद के साथ ही अपनी पुत्रवधु के लिए भी टिकट का आवेदन किया है। बसपा यहां मुकाबले को त्रिकोणीय करेगी। एडीजी हवासिंह घुमरिया के भाई मनोज घुमरिया को बसपा ने टिकट दे दी है। यहां कुं भाराम लिफ्ट कै नाल परियोजना का पानी, खेतड़ी-कॉपर कॉम्पलेक्स को पुर्नजीवित करना आदि मुख्य मुद्दे हैं।

मंडावा विधानसभा

मंडावा से कांग्रेस की रीटा चौधरी विधायक हैं। चर्चाएं हैं कि यहां के सांसद भाजपा के नरेंद्र कुमार ने सांसद बनने के बाद मंडावा क्षेत्र को संभाला नहीं। इससे भाजपा काफी लचर स्थिति में है। वर्तमान में सारे के सारे दावेदारों में से किसी को जिताऊ नहीं माना जा रहा। वहीं रीटा की इमेज क्षेत्र में काफी अच्छी है। कांग्रेस से रीटा के अलावा दो अन्य नेताओं ने टिकट की दावेदारी की है। वहीं भाजपा से भी लगभग इतने की दावेदार हैं। कुं भाराम लिफ्ट कै नाल परियोजना का पानी, सड़क तंत्र को मजबूत करना आदि यहां के मुख्य मुद्दे हैं।

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