Rajakhera Vidhan Sabha: राजखेड़ा में बीजेपी के लिए क्यों आसान नहीं जीत! कांग्रेस का इतिहास सीट पर दिला पाएगा जीत?
Rajasthan Assembly Election 2023: राजस्थान विधानसभा चुनाव के मध्यनजर हम आपको लगातार 200 विधानसभा सीटों के समीकरण बता रहे है। इसी क्रम में आज हम धौलपुर जिले की राजाखेड़ा विधानसभा सीट के बारें जानकारी देगे। आइए जानते है राजाखेड़ा विधानसभा सीट का चुनावी इतिहास, जातीय समीकरण क्या कहते है।
अब तक कांग्रेस का दबदबा
इस विधानसभा क्षेत्र में देश की आजादी के बाद हुए सभी चुनावों में कांग्रेस का दबदबा रहा। यहां से अब तक कांग्रेस ने 10 बार जीत हासिल की है। दो बार बीजेपी, एक बार लोकदल और दो बार निर्दलीय चुनाव को विजय मिली। यहां से पहला चुनाव वर्ष 1957 में महेंद्र सिंह ने निर्दलीय के रूप में जीता था। इसके बाद 1962 में राजस्थान वित्त आयोग के अध्यक्ष प्रद्युम्न सिंह के पिता प्रताप सिंह कांग्रेस से चुनाव जीते थे।
जनसंख्या और जातिय समीकरण
आंकड़ों के मुताबिक राजाखेड़ा विधानसभा क्षेत्र में 207446 मतदाता हैं। इनमें 26579 जाटव, 23345 कुशवाह, 24500 ब्राह्मण, 19051 बघेल, 18080 ठाकुर, 14392 राजपूत, 14050 लोधी, 12500 गुर्जर, 9909 निषाद जबकि 4704 मुस्लिम मतदाता हैं। इनमें 4850 त्यागी, 4668 धोबी, 4458 कोली, 3642 हरिजन, 5 हजार नाई, 3100 गोस्वामी, 2685 खटीक, 2682 प्रजापति, 4139 हजार वैश्य और जैन और 7038 राठौड़, सोनी, जाट और अन्य जाति के मतदाता हैं। यहां एससी, ठाकुर, राजपूत, ब्राह्मण, कुशवाह और गुर्जर मतदाता चुनाव में खास भूमिका निभाते रहे हैं।
पिछले तीन चुनाव में क्या रही स्थिति
- 2008 के विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने रवींद्र सिंह बोहरा को मैदान में उतारा। रवीन्द्र सिंह बोहरा ने कांग्रेस प्रत्याशी प्रद्युम्न सिंह को हराया। रवींद्र सिंह को कुल 38 हजार 237 वोट मिले, जबकि दूसरे स्थान पर रहे कांग्रेस पार्टी के प्रद्युम्न सिंह को कुल 35 हजार 333 वोट मिले।
- 2013 के चुनाव में कांग्रेस ने प्रद्युम्न सिंह को अपना उम्मीदवार बनाया था और प्रद्युम्न सिंह ने जीत हासिल की थी। प्रद्युम्न सिंह ने भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार विवेक सिंह बोहरा को हराया था।
- 2018 के विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी का भरतपुर संभाग से लगभग सफाया हो गया था। संभाग की 19 विधानसभा सीटों में से 1 सीट धौलपुर पर भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार ने जीत हासिल की थी और वह भी अब कांग्रेस के समर्थन में है। 2018 के चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने रोहित बोहरा को अपना उम्मीदवार बनाया था. रोहित बोहरा भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार अशोक शर्मा को हराकर विधानसभा पहुंचे।
यहां दोनों पार्टियों की नजर
कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी दोनों का फोकस पूर्वी राजस्थान के भरतपुर संभाग की 19 विधानसभा सीटों पर है। दोनों पार्टियां 2023 के विधानसभा चुनाव में भरतपुर संभाग को जीतने के लिए काम कर रही हैं। अब देखना यह है कि जनता किसका समर्थन करती है।
चुनाव में होगा कड़ा मुकाबला
यहां विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और बीजेपी के बीच सीधा मुकाबला देखने को मिलेगा। क्योंकि, दिवंगत अशोक शर्मा की पत्नी नीरजा शर्मा बीजेपी से टिकट मांग रही हैं। इसके अलावा एमपी कैडर के वरिष्ठ आईपीएस पवन जैन भी बीजेपी से टिकट की दौड़ में हैं। अब देखना होगा कि बीजेपी इस चुनाव में किस चेहरे पर दांव खेलती है, लेकिन चुनाव कड़ा माना जा रहा है।