'उनके काम ही पहचान है' नेहरू मेमोरियल का नाम बदलने पर बोले राहुल गांधी, गहलोत ने बताया दुर्भाग्यपूर्ण
नई दिल्ली। नेहरू मेमोरियल का नाम बदलने पर सियासत गरमाई हुई है। इस मुद्दे पर विपक्ष लगातार केंद्र की मोदी सरकार पर निशाना साध रहा है। अब कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने इस मुद्दे पर बड़ा बयान दिया है। राहुल गांधी ने कहा है कि नेहरूजी की पहचान उनके कर्म हैं, उनका नाम नहीं। दो दिवसीय लद्दाख दौरे पर रवाना होने से पहले गुरुवार को दिल्ली एयरपोर्ट पर मीडिया ने राहुल गांधी से नेहरू मेमोरियल का नाम बदलने को लेकर सवाल किया। जिसके जवाब में राहुल गांधी ने कहा कि नेहरूजी की पहचान उनके नाम से नहीं, बल्कि उनके कर्म (काम) के कारण है।
वहीं, राहुल गांधी के बयान के बाद बीजेपी ने पलटवार करते हुए कहा कि आखिर कांग्रेस क्यों नेहरू मेमोरियल का नाम बदलने पर सियासत कर रही है? केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने राहुल गांधी पर पलटवार करते हुए कहा कि हम अपने पूर्व प्रधानमंत्रियों को सम्मान दे रहे हैं, चाहें वे किसी भी पार्टी के हों। कांग्रेस बेवजह इसे मुद्दा बना रही है।
गहलोत बोले-किस स्तर तक जाएगी मोदी सरकार
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इस मुद्दे पर मोदी सरकार पर तीखा हमला बोला है। सीएम गहलोत ने ट्वीट किया कि केंद्र की एनडीए सरकार अपने पूर्ववर्ती प्रधानमंत्रियों द्वारा किए गए कार्यों का नाम बदलने के लिए किस स्तर तक जाएगी यह समझ के परे है। यह दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है। किसी भी पीएम को तो गर्व होना चाहिए कि इस देश को पंडित जवाहर लाल नेहरू जैसे पहले प्रधानमंत्री मिले, जिन्होंने 17 साल के कार्यकाल में मजबूत भारत की आधारशिला रखी और आईआईटी, आईआईएम, बीएआरसी, बीएचईएल, योजना आयोग, भाखड़ा नांगल बांध, नागार्जुन सागर बांध समेत तमाम प्रीमियर संस्थान और परियोजनाएं बनाईं जिनकी भारत के विकास में अहम भूमिका है। नॉन अलाइन मूवमेंट और पंचशील के सिद्धांत पंडित नेहरू की देन हैं।
उन्होंने कहा कि भारत के साथ ही आजाद हुए 6 गुना कम आकार और जनसंख्या वाला पाकिस्तान आज बर्बाद होने की कगार पर है। वहां जनता के लिए भोजन तक उपलब्ध नहीं है और आर्थिक स्थितियों से गृह युद्ध के हालात बने हुए हैं। यह समझ नहीं आता कि ऐसे महान व्यक्ति जिस घर में 16 साल रहे, जिस जगह की पहचान ही नेहरू जी के नेहरू मेमोरियल म्यूजियम एंड लाइब्रेरी के रूप में है, उसका नाम बदल कर प्रधानमंत्री म्यूजियम एंड लाइब्रेरी कर वो क्या हासिल करना चाहते हैं।
प्रचंड बहुमत वाली पार्टी से इस तरह का छोटापन दुर्भाग्यपूर्ण
इससे पहले कांग्रेस नेता शशि थरूर ने मोदी सरकार के फैसले पर नाराजगी करते हुए कहा था कि अफसोस की बात है कि नौबत यहां तक आ गई। प्रचंड बहुमत वाली पार्टी से इस तरह का छोटापन दुर्भाग्यपूर्ण है। मुझे लगता है कि अन्य प्रधानमंत्रियों को शामिल करने के लिए इमारत (तीन मूर्ति भवन) का विस्तार करने का आइडिया एक असाधारण विचार है, लेकिन इस प्रक्रिया में देश के पहले पीएम, जिन्होंने अंतरिम सरकार का नेतृत्व किया। आजादी के बाद देश के पीएम बने और अब तक सबसे ज्यादा समय तक पद रहने वाले प्रधानमंत्री हैं, का नाम हटाना ओछापन है।
नेता संदीप दीक्षित ने भी बोला था मोदी सरकार हमला
नेहरू मेमोरियल का नाम बदलने पर कांग्रेस नेता संदीप दीक्षित ने भी मोदी सरकार तीखा हमला बोला था। उन्होंने कहा था कि यह नाम इसलिए नहीं बदला गया है कि दूसरे प्रधानमंत्रियों का काम दिखाना चाहते हैं, बल्कि वह नेहरूजी का नाम दबाना चाहते हैं। प्रधानमंत्री आलीशान निवास बना रहे हैं तो आप आलीशान प्रधानमंत्री संग्रहालय भी बना सकते थे। हर कोई कहता है कि नेहरू मेमोरियल फंड अच्छा काम करता था। मनगढ़ंत कहानियों से इतिहास नहीं बदला जा सकता है। उन्होंने कहा था कि 17 साल में नेहरूजी ने जो काम किया, उसकी व्यापकता बाकी प्रधानमंत्रियों की तुलना में दिखती नहीं है। इसलिए यह बहुत ही चालाकी से किया गया है। नेहरूजी की क्रांतिकारी उपलब्धियां हैं, वह उस संग्रहालय में दिखती ही नहीं है।
कब बदला नेहरू मेमोरियल का नाम?
केंद्र की मोरी सरकार ने दिल्ली में तीन मूर्ति भवन स्थित नेहरू मेमोरियल म्यूजियम और लाइब्रेरी का नाम बदलकर नया नाम प्राइम मिनिस्टर्स म्यूजियम एंड लाइब्रेरी सोसाइटी रख दिया है। मोदी सरकार ने वैसे तो 16 जून को ही नेहरू मेमोरियल का नाम बदलने का ऐलान कर दिया था। जिसके बाद स्वतंत्रता दिवस के मौके पर पीएम मोदी ने औपचारिक रूक से नेहरू मेमोरियल का नाम परिवर्तन किया था।
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