PM मोदी से बोले पुतिन 'युद्ध तो यूक्रेन चाहता है, हम तो शांति के पक्षधर'
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के दौरान क्षेत्रीय सुरक्षा की स्थिति और व्यापार एवं संपर्क बढ़ाने के तरीकों पर चर्चा की। मोदी और पुतिन की बैठक के दौरान यूक्रेन युद्ध का मुद्दा भी उठा। रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने प्रधानमंत्री मोदी से कहा कि वे भारत चिंताओं से अवगत हैं।
उन्होंने कहा कि वे यूक्रेन संघर्ष को जल्द खत्म करना चाहते हैं। पुतिन ने पीएम मोदी से कहा, ‘मैं यूक्रेन में संघर्ष पर आपकी स्थिति और आपकी चिंताओं के बारे में भी जानता हूं। हम चाहते हैं कि यह सब जल्द से जल्द खत्म हो। हम आपको वहां क्या हो रहा है, इसकी सारी जानकारी देते रहेंगे।’ पुतिन ने कहा कि वे चाहते हैं कि यूक्रेन में संघर्ष जल्द खत्म हो, लेकिन यूक्रेन युद्ध लड़ना चाहता है।
क्या कहा था मोदी ने
यूक्रेन युद्ध पर रूस को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शंघाई सहयोग संगठन की शिखर बैठक में इशारों ही इशारों में पुतिन को बड़ा संदेश देते हुए साफ तौर पर कह दिया कि यूक्रेन संकट की वजह से पूरी दुनिया में सप्लाई चेन में कई बाधाएं आई हैं। कोरोना महामारी और यूक्रेन जंग की वजह से पूरा विश्व अभूतपूर्व खाद्य संकट का सामना कर रहा है। यही नहीं, इससे ऊर्जा संकट पैदा हो गया है। उन्होंने पुतिन को इस जंग को जल्द खत्म करने का इशारा कर दिया।
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पुतिन ने दी भारत को बधाई
उज्बेकिस्तान एससीओ 2022 का वर्तमान अध्यक्ष है। भारत एससीओ का अगला अध्यक्ष होगा। वार्ता के दौरान पुतिन ने अगले वर्ष एससीओ की अध्यक्षता के लिए भारत को बधाई दी। रूसी राष्ट्रपति के अलावा चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिगं ने भी 2023 में एससीओ अध्यक्षता के लिए भारत को बधाई दी थी।
समिट में भारत को सपोर्ट करेंगे: शी
चीनी राष्ट्रपति शी जिगपिंग ने शुक्रवार को शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन में अपने संबोधन के दौरान भारत को शुभकामनाएं दीं। दरअसल, भारत अगले साल एससीओ शिखर सम्मेलन की अध्यक्षता करेगा। इस पर भारत को बधाई देते हुए चीनी राष्ट्रपति ने कहा कि उनका देश अगले साल शिखर सम्मेलन के आयोजन में नई दिल्ली का समर्थन करेगा। इस दौरान ईरान को पूर्ण सदस्य बनने की प्रक्रिया भी शुरू होगी।
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ये हैं एससीओ के सदस्य
एससीओ की बात करें तो इसे जून 2001 में शंघाई में शुरू किया गया था। इसके आठ पूर्ण सदस्य हैं, जिनमें इसके छह संस्थापक सदस्य, चीन, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, रूस, ताजिकिस्तान और उजबेकिस्तान शामिल हैं। भारत और पाकिस्तान 2017 में पूर्ण सदस्य के रूप में शामिल हुए थे।