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मणिपुर के 8 जिलों में कर्फ्यू, इंटरनेट बंद

10:12 AM May 04, 2023 IST | Supriya Sarkaar
मणिपुर के 8 जिलों में कर्फ्यू  इंटरनेट बंद

इम्फाल। आदिवासी आंदोलन के दौरान हिंसा को लेकर मणिपुर के 8 जिलों में बुधवार को कर्फ्यू लगा दिया गया। वहीं पूरे पूर्वोत्तर राज्य में मोबाइल इंटरनेट सेवाएं निलंबित कर दी गई हैं। मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति (एसटी) श्रेणी में शामिल करने की मांग का विरोध करने के लिए छात्रों के एक संगठन द्वारा आहूत ‘आदिवासी एकता मार्च’ में हिंसा भड़क गई थी। ऑल ट्राइबल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ मणिपुर (एटीएसयूएम) ने कहा कि मैतेई समुदाय को एसटी श्रेणी में शामिल करने की मांग जोर पकड़ रही है, जिसके खिलाफ उसने मार्च आहूत किया है।

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एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा कि रैली में हजारों आंदोलनकारियों ने हिस्सा लिया और इस दौरान तोरबंग इलाके में आदिवासियों और गैर-आदिवासियों के बीच हिंसा की खबरें आईं। अधिकारी ने बताया कि भीड़ को नियंत्रित करने के लिए पुलिस ने आंसू गैस के गोले दागे। उन्होंने कहा कि स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है, लेकिन कई आंदोलनकारी पहाड़ियों के विभिन्न हिस्सों में अपने घरों को लौटने लगे हैं।

वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा कि स्थिति को देखते हुए गैरआदिवासी बहुल इंफाल पश्चिम, काकचिंग, थौबल, जिरिबाम और बिष्णुपुर जिलों और आदिवासी बहुल चुराचांदपुर, कांगपोकपी और तेंगनौपाल जिलों में कर्फ्यू लगा दिया गया है। राज्यभर में मोबाइल इंटरनेट सेवाओं को तत्काल प्रभाव से पांच दिनों के लिए निलंबित कर दिया गया है, लेकिन ब्रॉडबैंड सेवाएं चालू है। कर्फ्यू लगाने संबंधी अलग-अलग आदेश आठ जिलों के प्रशासन द्वारा जारी किए गए हैं।

एटीएसयूएम ने आहूत किया मार्च 

राज्य के सभी दस पहाड़ी जिलों में बहुसंख्यक मैतेई समुदाय को एसटी में शामिल करने की मांग का बड़े पैमाने पर विरोध हो रहा है। पिछले कई दिनों से हजारों आदिवासियों ने ‘एकजुटता मार्च’ में भाग लिया है। ये लोग आदिवासी मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति (एसटी) में शामिल करने की मांग का विरोध कर रहे हैं। ऑल ट्राइबल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ मणिपुर (एटीएसयूएम) ने कहा कि मैतेई समुदाय को एसटी श्रेणी में शामिल करने की मांग जोर पकड़ रही है, जिसके खिलाफ उसने मार्च आहूत किया।

पहाड़ी जिलों में रहते हैं मैतेई 

उल्लेखनीय है कि मैतेई मणिपुर के पहाड़ी जिलों में निवास करते हैं, जो राज्य के क्षेत्रफल का लगभग दस प्रतिशत है। समुदाय का दावा हैं कि म्यांमा और बांग्लादेशियों के बड़े पैमाने पर अवैध अप्रवासन के चलते उन्हें कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है। दूरदराज पहाड़ी क्षेत्रों के आदिवासी ग्रामीण मार्च में भाग लेने के लिए बसों और खुले ट्रकों में निकटतम पहाड़ी जिला मुख्यालय पहुंचे। पुलिस ने कहा कि आदिवासी समुदाय के हजारों लोग मार्च में शामिल हुए।

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