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एयर डिफेंस सिस्टम, दुश्मन की मिसाइलें और रॉकेट हवा में कर दिए जाएं गे ध्वस

भारत अगले पांच सालों में अपनी लंबी दूरी की एयर डिफेंस सिस्टम तैनात करने के लिए तैयारी कर रहा है। ‘प्रोजेक्ट कुश’ के तहत विकसित हो रही स्वदेसी लंबी दूरी की सतह से हवा में मार करने वाले इस डिफेंस सिस्टम की क्षमता रूस के एयर डिफेंस सिस्टम S-400 के बराबर क्षमता होगी।
10:22 AM Nov 02, 2023 IST | BHUP SINGH
एयर डिफेंस सिस्टम  दुश्मन की मिसाइलें और रॉकेट हवा में कर दिए जाएं गे ध्वस

नई दिल्ली । भारत अगले पांच सालों में अपनी लंबी दूरी की एयर डिफेंस सिस्टम तैनात करने के लिए तैयारी कर रहा है। ‘प्रोजेक्ट कुश’ के तहत विकसित हो रही स्वदेसी लंबी दूरी की सतह से हवा में मार करने वाले इस डिफेंस सिस्टम की क्षमता रूस के एयर डिफेंस सिस्टम S-400 के बराबर क्षमता होगी। भारत ने 2028-29 तक अपनी लंबी दूरी के एयर डिफेंस सिस्टम को सक्रिय रूप से तैनात करने की योजना बनाई है। ये स्वदेसी एयर डिफेंस सिस्टम 350 किमी तक की दूरी पर आने वाले स्टील्थ फाइटर जेट, मिसाइल, ड्रोन और टारगेट गाइडेड हथियारों का पता लगाकर समय रहते ढेर कर देगा।

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मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक ‘इंटरसेप्शन कैपिबिलिटी’ से जुड़ा महत्वाकांक्षी ‘प्रोजेक्ट कुश’ के तहत डीआरडीओ की तरफ से विकसित किए जा रही स्वदेसी लंबी दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल (LRSAM) सिस्टम, हाल ही में शामिल किए गए रूसी मिसाइल एयर डिफेंस सिस्टम S-400 ट्रायम्फ एयर डिफेंस सिस्टम के जैसा होगा। बताया जा रहा है कि इसे हाल ही में वायुसेना में शामिल किया गया है।

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डेढ़ साल पहलेमिली थी मंजूरी

मई 2022 में मिशन-मोड परियोजना के रूप में एलआर-एसएएम सिस्टम के विकास को रक्षा मंत्रालय द्वारा मंजूरी दी गई थी। मंत्रालय ने पिछले महीने वायुसेना के लिए 21,700 करोड़ रुपए की लागत से अपने पांच स्क्वॉड्र नों की खरीद के लिए आवश्यकता की स्वीकृति दी थी। इसमें लंबी दूरी की निगरानी और अग्नि नियंत्रण रडार के साथ मोबाइल एलआर-एसएएम में 150 किमी, 250 किमी और 350 किमी की दूरी पर दूश्मनों को मारने के लिए तैयार की गई अलग-अलग तरह की इंटरसेप्टर मिसाइलें होंगी।

350 किमी दूर तक वार करेग

इसे 250 किलोमीटर की दूरी पर लड़ाकू आकार के लक्ष्यों को मार गिराने के लिए तैयार किया जाएगा, जिसमें हवाई चेतावनी और नियंत्रण प्रणाली और हवा में ईंधन भरने वाले बड़े विमानों को 350 किमी की दूरी पर रोक दिया जाएगा। रणनीतिक और सामरिक रूप से कमजोर क्षेत्रों में व्यापक वायु रक्षा कवर प्रदान करने के लिए, एलआर-एसएएम कम-रडार क्रॉससेक्शन वाले उच्च गति वाले लक्ष्यों के खिलाफ भी प्रभावी होगा।

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