पीएम मोदी आज भीलवाड़ा दौरे पर, भगवान देवनारायण के अवतार महोत्सव समारोह को करेंगे संबोधित
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज भीलवाड़ा जिले के दौरे पर हैं। जहां वे लोक देवता भगवान श्री देवनारायण के अवतार महोत्सव समारोह को संबोधित करेंगे। पीएम मोदी दिल्ली से विशेष विमान से भीलवाड़ा के आसींद आ रहे हैं। बता दें कि आज देवनारायण भगवान का 1111 वां अवतरण महोत्सव है। यह कार्यक्रम भीलवाड़ा के मालासेरी डूंगरी गांव में आयोजित किया जा रहा है।
पीएम मोदी करेंगे कार्यक्रम को संबोधित
पीएम मोदी आज सुबह 11:30 बजे अवतार महोत्सव समारोह को संबोधित करेंगे। इस कार्यक्रम में वे बतौर मुख्य अतिथि शामिल होंगे। बता दें कि पीएम मोदी के इस दौरे को लेकर पिछले दिनों से चर्चाएं चल रही थी। मालूम हो कि गुर्जर समाज में भगवान श्री देवनारायण की विशेष रूप से बड़ी मान्यता है। राजस्थान के लोगों में भगवान श्री देवनारायण के प्रति धार्मिक मान्यता है। हालांकि देशभर में उनके अनुयायी फैले हुए हैं।
भगवान देवनारायण को करेंगे नमन
देशभर के लोग आज भगवान देवनारायण को नमन करेंगे। वहीं पीएम मोदी भी भगवान देवनारायण की 1111वीं जयंती पर मालासेरी में पूजा- अर्चना करेंगे और उन्हें याद करते हुए संबोधन देंगे। भीलवाड़ा से 60 किलोमीटर दूर मालासेरी में भगवान देवनारायण का मंदिर है। आपको बता दें कि मालासेरी भगवान देवनारायण की जन्मस्थली है। जहां हर साल उनकी जयंती पर मेला लगता है।
गुर्जर बहुल सीटों को साधने की कोशिश
हालांकि पीएम मोदी के इस दौरे को आगामी विधानसभा चुनावों से जोड़कर देखा जा रहा है। इन चुनावों को लेकर बीजेपी गुर्जर बहुल सीटों को साधने की कोशिश कर रही है। वहीं राजस्थान में गुर्जर मतदाताओं वाले प्रभाव क्षेत्र जैसे- टोडाभीम, बामनवास, हिण्डौन सिटी, दूदू, रामगंड मंडी, वैर, कोटपूतली, खेतड़ी, नसीराबाद, आसींद, करौली, नगर, हिंडोली, जमवारामगढ़, बयाना, निवाई, खंडार, सिकराय, बानसूर, विराटनगर, बेगूं, टोंक, उनियारा, बांदीकुई, बाड़ी, मांडल, मालपुरा, थानागाजी और जहाजपुर हैं।
जनसेवा के लिए जाने जाते हैं भगवान देवनारायण
भगवान श्री देवनारायण राजस्थान के लोकदेवता हैं। उन्हें महान शासक और योद्धा के तौर पर भी जाना जाता है। उन्हें समाज में विशेष रूप से उनके जनसेवा के कार्यों के लिए जाना जाता है। इसलिए राजस्थान, हरियाणा और मध्यप्रदेश में उनकी पूजा की जाती है।
(Also Read- चुनाव तक पीएम मोदी राजस्थान में ही क्यों नहीं रह लेते- गौरव वल्लभ)