चांद पर नहीं छपा हमारा अशोक स्तंभ, प्रज्ञान रोवर के जरिए बनना था यह निशान
chandrayaan 3 : नई दिल्ली। गत माह भारत चांद पर जाने वाला चौथा और दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने वाला पहला देश बन गया। चंद्रयान मिशन के जरिए विक्रम लैंडर चांद की सतह पर उतरा। वहीं, इसके अंदर प्रज्ञान नाम का एक रोवर था, जो चांद की सतह पर चला।
इस रोवर की एक खासियत थी, कि इसके पिछले पहियों पर भारतीय प्रतीक चिह्न और इसरो का लोगो उभरा हुआ था। इसे इसलिए बनाया गया था कि जब यह चांद पर चलेगा, तो भारत के अशोक स्तंभ और इसरो का छाप बनता रहेगा, लेकिन प्रज्ञान एकदम स्पष्ट छाप छोड़ने में कामयाब नहीं रहा।
वहां मिट्टी धूलभरी नहीं, ढेलेदार है
इसरो प्रमुख सोमनाथ ने कहा, ‘जहां प्रज्ञान रोवर चला है, वहां की मिट्टी धूलभरी नहीं, बल्कि ढेलेदार है। इसका मतलब कोई चीज इसे बांध रही है। हमें यह अध्ययन करने की जरूरत है कि मिट्टी को क्या बांध रहा है।’ धरती पर इसका परीक्षण ‘लूनर सॉइल सिमुलैंट’ (एलएसएस) के जरिए किया गया था, जहां इससे स्पष्ट छाप बनी थी। एलएसएस अमेरिका के अपोलो मिशन के जरिए इकट्ठा किए गए मिट्टी के नमूनों से मेल खाने के लिए बनाया गया था। अपोलो मिशन चंद्रमा के भूमध्य रेखा के करीब उतरे थे।
तस्वीराें से ढीली मिट्टी के संकेत
फिजिकल रिसर्च लेबोरेटरी (पीआरएल) के निदेशक अनिल भारद्वाज ने कहा, ‘हम साफ-साफ देख सकते हैं कि रोवर के निशान बनते जा रहे हैं। लैंडिंग साइट और रोवर मूवमेंट साइट के आसपास की तस्वीरों से पता चलता है कि यह खांचे लगभग एक सेंटीमीटर अंदर जा रहे हैं, जो ढीली मिट्टी का संकेत हैं। जैसे-जैसे गहराई में जाएंगे मिट्टी सघन होती जाएगी।’ भारत को चांद पर जाने की कामयाबी दूसरे प्रयास में मिली थी। चंद्रयान-2 मिशन भारत ने भेजा था, लेकिन क्रैश हो गया था।
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