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वन नेशन-वन इलेक्शन, INDIA या महिला आरक्षण…आखिर क्या है संसद के विशेष सत्र का एजेंडा?

मोदी सरकार ने 18 से 22 सितंबर तक संसद का विशेष सत्र बुलाया है। लेकिन, सबसे बड़ा सवाल ये है कि आखिर संसद के विशेष सत्र का एजेंडा क्या है?
01:26 PM Sep 06, 2023 IST | Anil Prajapat

नई दिल्ली। मोदी सरकार ने 18 से 22 सितंबर तक संसद का विशेष सत्र बुलाया है। लेकिन, सबसे बड़ा सवाल ये है कि आखिर संसद के विशेष सत्र का एजेंडा क्या है? क्या मोदी सरकार ने वन नेशन-वन इलेक्शन, INDIA या फिर महिला आरक्षण पर चर्चा के लिए ये विशेष सत्र बुलाया है। विपक्ष भी इसको लेकर असमंजस की स्थिति में है। विपक्ष ने केंद्र सरकार से विशेष सत्र का एजेंडे से देश को अवगत कराए जाने की मांग की है। इसी बात को जानने के लिए कांग्रेस संसदीय दल की चेयरमैन सोनिया गांधी भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिखेंगी।

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के दिल्ली स्थित आवास पर मंगलवार को INDIA गठबंधन के सांसदों की बैठक हुई। इस मीटिंग में सबकी यही राय थी कि संसद का विशेष सत्र क्यों बुलाया जा रहा है? इसका स्पष्टीकरण मोदी सरकार ने अब तक नहीं दिया। मीटिंग के बाद मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि मोदी सरकार पहली बार बिना एजेंडा बताए संसद का विशेष सत्र बुला रही है। किसी भी विपक्षी दल से न तो सलाह ली गई और न ही जानकारी दी गई, यह लोकतंत्र चलाने का तरीका नहीं है।

कांग्रेस ने मोदी सरकार पर साधा निशाना

कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि मोदी सरकार हर दिन मीडिया में एक संभावित 'एजेंडा' की कहानी पेश करती है, जिससे लोगों पर बोझ डालने वाले वास्तविक मुद्दों से ध्यान भटकाने का एक बहाना तैयार किया जाता है। बीजेपी महंगाई, बेरोजगारी, मणिपुर, सीएजी रिपोर्ट और चीन के मुद्दे से लोगों का ध्यान भटका रही है। लेकिन, हम लोगों के मुद्दे उठाने से पीछे नहीं हटेंगे। हमारी मांग है कि भाजपा पारदर्शिता दिखाए और देश को अवगत कराए कि इस विशेष सत्र का एजेंडा क्या है? वहीं, सोनिया गांधी महिला आरक्षण विधेयक को आगामी सत्र में पारित करवाने की मांग को लेकर पीएम मोदी को चिट्‌ठी लिखेंगी।

विशेष सत्र के लिए क्या है सरकार का प्लान?

वैसे तो संसद के विशेष सत्र के लिए सरकार का प्लान क्या है, ये किसी को पता नहीं है। लेकिन, वन नेशन-वन इलेक्शन, INDIA और महिला आरक्षण को लेकर चर्चाओं का बाजार गरमाया हुआ है। देशभर में वन नेशन-वन इलेक्शन और देश के नाम से INDIA हटाने को लेकर बहस छिड़ी हुई है।

वन नेशन-वन इलेक्शन : इस दिनों वन नेशन वन इलेक्शन का मुद्दा छाया हुआ है। पूर्व राष्ट्रपति की अगुवाई में इसके लिए कमेटी भी बन चुकी है। ऐसे में माना जा रहा है कि संसद के विशेष सत्र में इस पर मुहर लग सकती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी देश में एक चुनाव की वकालात कर चुके है। वहीं, मंगलवार को राजस्थान दौरे पर आए उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा था कि कि एक मुद्दा आया ‘वन नेशन-वन इलेक्शन’ का। कह रहे हैं, हम चर्चा ही नहीं करेंगे! अरे चर्चा करना आपका काम है, उससे सहमत होना या ना होना आपका विवेक है। लोकतंत्र में चर्चा नहीं होगी तो वह लोकतंत्र कहां है?

इंडिया बनाम भारत : देश में होने जा रहे जी-20 शिखर सम्मेलन के दौरान आयोजित डिनर के निमंत्रण पत्र पर सियासी घमासान छिड़ा हुआ है। निमंत्रण पत्र में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया की जगह ‘प्रेसिडेंट ऑफ भारत’ लिखा गया है। निमंत्रण पत्र में इंडिया को भारत लिखे जाने को विपक्ष ने ‘राज्यों के संघ’ पर सरकार का हमला बताया है, वहीं भाजपा ‘इंडिया’ की जगह भारत लिखे जाने का खुलकर समर्थन कर रही है। ऐसे में यह भी कयास लगाए जा रहे है कि इस सत्र में इस मुद्दे पर चर्चा हो सकती है।

महिला आरक्षण बिल : ये बिल राज्यसभा में पहले ही पास हो चुका है। लेकिन, अभी लोकसभा में पास होना बाकी है। महिला आरक्षण विधेयक पारित होने के बाद संसद और विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 फीसदी सीटें आरक्षित होंगी। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ भी इसकी वकालात कर चुके है। हाल ही में उन्होंने कहा था कि जल्द ही महिलाओं को संसद और विधानसभा में उचित हिस्सेदारी मिलने वाली है। इसी के बाद महिला आरक्षण बिल की चर्चा शुरू हो गई थी। वहीं, सोनिया गांधी भी महिला आरक्षण विधेयक को आगामी सत्र में पारित किए जाने की मांग को लेकर पीएम मोदी को खत लिखने वाली है।

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