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ग्राहक को फ्लैट का कब्जा समय पर नहीं देना ना केवल सेवादोष बल्कि अनुचित व्यापार प्रथा, बिल्डर को चुकाने होगे करीब 50 लाख रूपयें

07:23 PM Mar 01, 2025 IST | Nizam Kantaliya
ग्राहक को फ्लैट का कब्जा समय पर नहीं देना ना केवल सेवादोष बल्कि अनुचित व्यापार प्रथा  बिल्डर को चुकाने होगे करीब 50 लाख रूपयें

District Consumer Forums: जयपुर जिला उपभोक्ता आयोग के अध्यक्ष ग्यारसीलाल मीणा और सदस्या हेमलता अग्रवाल की पीठ ने जयपुर निवासी पवन चौपड़ा और उनकी पत्नी सोनिया चौपड़ा के मामले में बेहद महत्वपूर्ण फैसला दिया हैं.

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आयोग के फैसले से देश के ख्यातनाम बिल्डर सिद्धा इन्फ्रा प्रोजेक्ट प्राईवेट लिमिटेड (Siddha Infra Project Private Limited) को बड़ा झटका लगा हैं. एग्रीमेंट के अनुसार ग्राहक को निश्चित समयवाधि में फ्लैट का कब्जा नही देने पर जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग ने फ्लैट के लिए वसूली गई मूल राशि मय 9 प्रतिशत वार्षिक ब्याज के चुकाने के आदेश दिया हैं.

आयोग ने कई मदों में अलग अलग राशि का भुगतान करने के साथ ही बिल्डर पर 5 लाख 20 हजार रूपयें का हर्जाना भी लगाया हैं.

क्या कहा आयोग ने

जयपुर निवासी पवन चौपड़ा और सोनिया चौपड़ा ने खुद का एक घर का सपना पुरा करने के लिए मैसर्स सिद्धा इन्फ्रा प्रोजेक्टस प्राईवेट लिमिटेड के साथ 17 सितंबर 2018 को एक एग्रीमेंट किया.

इस एग्रीमेंट के अनुसार बिल्डर कंपनी ने दोनो को अजमेर रोड़ स्थित सिद्धा आंगन फेज द्वितीय के मयूर ब्लॉक में फ्लैट संख्या 703 आवंटित किया. एग्रीमेंट के साथ ही फ्लैट के लिए भुगतान किया गया जिस पर बिल्डर ने 31 जुलाई 2019 को कब्जा देना तय किया गया.

एग्रीमेंट के चार साल बाद भी बिल्डर कि ओर से फ्लैट का कब्जा नहीं दिया गया.

आयोंग ने अपने फैसले में ग्राहक को फ्लैट का कब्जा समय पर नहीं देने को ना केवल सेवादोष माना हैं बल्कि इसे अनुचित व्यापार प्रथा करार दिया हैं.

बिल्डर कंपनी का पक्ष

कंपनी कि ओर से आयोग के समक्ष कोविड 19 का हवाला दिया गया. अधिवक्ता ने कहा कि कोविड 19 के चलते पुरे देश में अचानक लॉकडाउन लगा दिया गया था और इस दौरान श्रमिक और कच्चा माल उपलब्ध नहीं होने के चलते देरी हुई.

बिल्डर कंपनी ने अगले 12 माह में फ्लैट का कब्जा देने का भी कथन किया.

बिल्डर कंपनी के इन तकों का परिवादी के अधिवक्ता हेमंत धारीवाल और श्रेयांश धारीवाल कि ओर से विरोध किया गया.

परिवादी कि ओर से कहा गया कि कोविड के लिए 6 माह का एक्सटेंशन दिया जा सकता था लेकिन इस मामले में चार साल बाद भी कब्जा नहीं दिया गया हैं.

मूल राशि के साथ देना होगा बैंक का ब्याज भी

आयोग ने फ्लैट के लिए बिल्डर को दी गयी मूल राशि 26.21 लाख मय 9 प्रतिशत ब्याज के लौटाने के आदेश दिए हैं.

ग्राहक पवन चौपड़ा और सोनिया चौपड़ा द्वारा फ्लैट की मूल राशि के भुगतान के लिए बैंक से लोन लिया गया था. इस लोन के लिए दोनो ने करीब 5.27 लाख का ब्याज बैंक में भरा था. इस ब्याज राशि का भुगतान भी अब बिल्डर को चुकाना होगा.

यही नहीं फ्लैट का कब्जा देने में हुई देरी के दौरान कि अवधि में ग्राहक पति पत्नी एक किराए के मकान में रहे. आयोग ने इस अवधि के दौरान दोनो पति पत्नी द्वारा किराए के रूप में भुगतान किए गए कुल 4.76 लाख रूपये भी बिल्डर को चुकाने के आदेश दिए हैं.

मानसिक परेशानी के लिए 5 लाख

जिला उपभोक्ता आयोग ने फ्लैट का कब्जा समय पर नहीं मिलने से दोनो पति पत्नी को हुई मानसिक परेशानी के लिए बिल्डर कंपनी पर 5 लाख का हर्जाना भी लगाया है. इसके साथ ही परिवाद व्यय के रूप में 20 हजार रूपये का भी भुगतान बिल्डर कंपनी करेगी.

आयोग ने बैंक से लोन के लिए जमा किए गए ऋण शुल्क, बैंक फीस, फ्लैट के लिए स्टाम्प डयूटी के लिए 34000 रूपये का भुगतान करने का आदेश दिया हैं.

बिल्डर को करना होगा इतना भूगतान

आयोग के फैसले के अनुसार बिल्डर सिद्धा इन्फ्रा प्रोजेक्ट प्राईवेट लिमिटेड को ग्राहक पति पत्नी पवन चौपड़ा और सोनिया चौपड़ा को करीब 50 लाख से अधिक राशि का भुगतान करना होगा.

इसमें मूल राशि 26,21,337 रूपये, किराए के रूप में अदा किए गए 4,76,000 रूपयें, बैंक में लोन के लिए दिए गए ब्याज के 5,27,285 रूपयें, स्टाम्प डयूटी व अन्य शुल्क के 34000 रूपयें यानी कुल 36,58,622 रूपयें हैं.

इस मूल राशि 36,58,622 रूपयें पर नवंबर 2021 में परिवाद दायर करने से दिसंबर 2024 में फैसला तय करने तक करीब तीन साल तक का 9 प्रतिशत ब्याज का भुगतान करना होगा. जो करीब 10 लाख रूपयें होता हैं.

इसके साथ ही मानसिक प्रताड़ना के 5 लाख और परिवाद व्यय के 20 हजार रूपयें सहित यह राशि करीब 51 लाख होती हैं.

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