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नए संसद भवन से पीएम मोदी का पहला संबोधन- 21वीं सदी का भारत, गुलामी की सोच को पीछे छोड़ रहा

08:10 PM May 28, 2023 IST | Sanjay Raiswal

नई दिल्ली। देश को आज नया संसद भवन मिल गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राजधानी दिल्ली में रविवार को विधिवत ढंग से नए संसद भवन का उद्घाटन किया। संसद के नए भवन में लोकसभा में 888 और राज्यसभा में 384 सदस्यों के बैठने की व्यवस्था है। नए संसद भवन के उद्घाटन के बाद लोकसभा में आयोजित समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रवेश करने से पहले ही पूरा कक्ष तालियों की गड़गड़ाहट के साथ ही 'मोदी-मोदी, भारत माता, जय श्रीराम और हर-हर महादेव' के नारों से गूंज उठा। नई संसद के पहले दिन पीएम मोदी ने मौजूद गणमान्य लोगों को 35 मिनट तक संबोधित किया। नए संसद भवन में राजस्थान का विशेष योगदान है। पीएम मोदी ने नए संसद भवन बनाने में राजस्थान के पत्थरों का भी जिक्र किया।

पीएम मोदी ने संबोधित करते हुए कहा कि हर देश की विकास यात्रा में कुछ पल ऐसे आते हैं, जो हमेशा के लिए अमर हो जाते हैं। कुछ तारीखें समय के ललाट पर इतिहास का अमिट हस्ताक्षर बन जाती हैं। आज 28 मई 2023 का यह दिन ऐसा ही शुभ अवसर है। देश आजादी के 75 वर्ष होने पर अमृत महोत्सव मना रहा है। इस महोत्सव में भारत के लोगों ने अपने लोकतंत्र को संसद के इस नए भवन का उपहार दिया है।

भारत के सृजन का आधार बनेगा नया संसद भवन…

पीएम मोदी ने कहा, साथियों ये सिर्फ एक भवन नहीं है। एक राष्ट्र के रूप में हम सभी के लिए 140 करोड़ का संकल्प ही इस संसद की प्राण प्रतिष्ठा है। यहां होने वाला हर निर्णय ही, आने वाले समय को संवारने वाला है। संसद की हर दीवार, इसका कण-कण गरीब के कल्याण के लिए समर्पित है। उन्होंने आगे कहा कि संसद का यह नया भवन, भारत के सृजन का आधार बनेगा।

संसद की इस नई इमारत में सेंगोल की स्थापना को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि महान चोल साम्राज्य में सेंगोल को कर्तव्य पथ का, सेवा पथ का, राष्ट्रपथ का प्रतीक माना जाता था। राजाजी और आदिनम के संतों के मार्गदर्शन में यही सेंगोल सत्ता के हस्तांतरण का प्रतीक बना था। मोदी ने कहा कि मुझे तमिलनाडु से विशेष तौर पर आए हुए आदिनम के संत ने आशीर्वाद दिया। मैं उन्हें पुनः नमन करता हूं।

नए संसद भवन में तकनीक का पूरा ध्यान रखा गया

नए संसद भवन की सुविधाओं के बारे में बताते हुए पीएम मोदी ने कहा, नया संसद भवन नए सुविधाओं से लैस है। आप देख सकते हैं कि इस वक्त भी सूर्य का प्रकाश सीधे आ रहा है। इसमें तकनीक का पूरा ध्यान रखा गया है। पीएम ने कहा कि इस नई इमारत के लिए करीब 60 हजार श्रमिकों ने अपना पसीना बहाया है। मुझे खुशी है कि इनके श्रम को समर्पित एक डिजिटल गैलरी भी संसद में बनाई गई है। विश्व में शायद यह पहली बार हुआ होगा।

पुरानी संसद में आने वाली परेशानियों को लेकर भी बात की…

पीएम मोदी ने पुरानी संसद में आने वाली परेशानियों पर भी बात की। उन्होंने कहा कि साथियों संसद के पुराने भवन में सभी के लिए अपने कार्यों को पूरा करना मुश्किल हो रहा था, यह हम सभी जानते हैं। तकनीक, बैठने की जगह से जुड़ी चुनौतियां थीं। हमें यह भी देखना था कि आने वाले समय में सीटों की संख्या बढ़ेगी, सांसदों की संख्या बढ़ेगी तो वे कहां बैठेंगे। इसलिए यह समय की जरूरत थी कि संसद के नए भवन का निर्माण किया जाए।

21वीं सदी का भारत, गुलामी की सोच को पीछे छोड़ रहा…

पीएम मोदी ने कहा, एक ऐसा समय भी आया था, जब हम दूसरे देशों को देखकर मुग्ध होने लगे। लेकिन 21वीं सदी का भारत अब गुलामी की उस सोच को पीछे छोड़ रहा है। आज भारत प्राचीन काल की उस कला के गौरवशाली गाथा को, अपनी ओर मोड़ रहा है और संसद की यह नई इमारत इस जीवंत प्रयास का प्रतीक बनी है। आज नए संसद भवन को देखकर हर भारतीय गौरव से भरा हुआ है।

नए संसद भवन में राजस्थान के बलुआ पत्थर लगाए…

हमारे देश के अलग-अलग हिस्सों की जो विविधता है, इस नए भवन ने उन सबको समाहित किया है। इसमें राजस्थान से लाए बलुआ पत्थर लगाए गए हैं। ये जो लकड़ी का काम है, वह महाराष्ट्र से आई है। यूपी में भदोही के कारीगरों ने अपने हाथ से कालीनों को बुना है। एक तरह से इस भवन के कण-कण में हमें एक भारत, श्रेष्ठ भारत की भावना के दर्शन हुए हैं।

नए संसद भवन में राजस्थान का है विशेष योगदान…

नया संसद भवन देश की विविधताओं से भरी बेजोड़ संस्कृति का खूबसूरत आईंना है। नए संसद भवन के निर्माण में उपयोग में लाया गया गुलाबी पत्थर भी पुरानी संसद में लगे पत्थर की तरह राजस्थान का ही है। भवन की स्थापत्य कला में भी राजस्थान का समावेश और मूर्तिकारों का योगदान है। नए संसद भवन का अधिकांश फर्नीचर भी बीकानेर के कलाकारों ने बनाया हैं। इसमें लाल सफेद सेंडस्टोन राजस्थान के सरमथुरा का है। केसरिया हरा पत्थर राजस्थान के उदयपुर, लाल ग्रेनाइट अजमेर के पास लाखा और सफेद संगमरमर गुजरात के अंबाजी से मंगवाया गया है। प्रतीक चिन्ह अशोक स्तंभ के लिए सामग्री महाराष्ट्र के ओरंगाबाद और राजस्थान के जयपुर से मंगाई गई। पत्थर की नक्काशी का काम राजस्थान के आबू रोड और उदयपुर के मूर्तिकारों ने किया हैं।

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