Modi America Tour : रक्षा की डगर पर नया सफर! भारत-अमेरिकी रिश्तों में आज बनेगा नया इतिहास
Modi America Tour : वाशिंगटन। असैन्य परमाणु सहयोग समझौते के साथ भारत-अमेरिका के रिश्तों में शुरू हुआ नया दौर आज नए मुकाम पर पहुंचने की उम्मीद है। अमेरिका की राजकीय यात्रा पर आए भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन के बीच गुरुवार को प्रस्तावित मुलाकात में सैन्य क्षेत्र में सहयोग का नया दौर शुरू होने की उम्मीद है। भारत यद्यपि नाटो या नाटो प्लस में शामिल होने से इनकार कर चुका है, लेकिन इस बात की प्रबल संभावना है कि आने वाले समय में भारत के साथ अमेरिका का सैन्य सहयोग नाटो या अमेरिका के सहयोगी देशों की तर्ज पर आगे बढ़ सकता है।
चीन के उदय और दक्षिण सागर में बढ़ते उसके आक्रामक रुख के चलते भारत और अमेरिका के बीच रिश्तों को नई दिशा मिली है। यूक्रेन-रूस युद्ध के बाद बदलते भू राजनीतिक समीकरणों से यह सहयोग भारत के लिए और भी अहम हो गया है। दोनों देश विक्रेता-क्रेता के रिश्तों से आगे बढ़कर उन्नत हथियार प्रणालियों के साझा विकास और उत्पादन में सहभागी की राह पर चलने का करार कर सकते हैं। 22 जून को बाइडन और मोदी के बीच होने वाली शिखर वार्ता इसका रोडमैप बन सकता है।
क्या करेंगे भारत और अमेरिका
जेट इंजनों पर समझौता : जेट इंजनों के सह-उत्पादन के लिए एक सौदे की संभवत: घोषणा संभव। इससे भारत की रक्षा उत्पादन क्षमता बढ़ेगी और स्वेदेशी लड़ाकू विमानों के निर्माण में तेजी आएगी। यह समझौता दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग में अहम बदलाव लाएगा।
एमक्यू-9बी सशस्त्र ड्रोन की खरीद : एमक्यू-9बी खरीद पर समझौता होने की उम्मीद है। यह चीन के खिलाफ भारत की रक्षा प्रणाली को मजबूती प्रदान करेगा। हिंद महासागर में चीनी समुद्री गतिविधियों पर नजर रखने की भारत की नौसैनिक निगरानी क्षमताओं में सुधार होगा। भारत और अमेरिका आपूर्ति की सुरक्षा व्यवस्था और पारस्परिक रक्षा खरीद समझौता पर बातचीत शुरू करने को तैयार हैं। वार्ता पूरी होने के बाद दोनों देशों के रक्षा उद्योग एक साथ काम करेंगे।
यह होगा फायदा : दोनों समझौते दीर्घकालिक आपूर्ति शखृंला स्थिरता को बढ़ावा देंगे।
इन क्षेत्रों में सहयोग भी है एजेंडे में : दोनों देशों के बीच दूरसंचार, अंतरिक्ष, सेमीकं डक्टर जैसी नई प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में विश्वस्त आपूर्ति शृंखला स्थापित करने का एजेंडा भी प्रमुख रहेगा। इस दौरान दो बड़े रक्षा सौदों को अंतिम रूप दिया जा सकता है। इनमें जीई के साथ भारत में युद्धक विमानों के इंजन निर्माण व ड्रोन से जुड़े समझौते शामिल हैं।
क्या है भारत की चिंता
चीन पाकिस्तान के अलावा भारत के अन्य पड़ोसी देशों के साथ अपने सैन्य रिश्ते मजबूत कर रहा है। वह नेपाल, बांग्लादेश, म्यांमार, श्रीलंका व मालद्वीव के साथ सैन्य सहयोग बढ़ाने के प्रयास कर भारत की सुरक्षा के लिए गंभीर चुनौती पेश कर रहा है। चीन ने हिंद महासागर में अपनी गतिविधियां तेज कर दी हैं। उसके सैन्य पोत नियमित अंतराल में हिंद महासागर में अपनी उपस्थिति दर्ज कराते रहे हैं। चीन वास्तविक नियंत्रण रेखा पर लद्दाख में आक्रामक रुख अपना रहा है। वहां सैन्य तैनाती बढ़ा दी व सैन्य ढांचा लगातार मजबूत कर रहा है। अपना परमाणु व मिसाइल जखीरा लगातार उन्न्त बना रह है। पाकिस्तान को अत्याधुनिक हथियारों की आपूिर्त कर रहा है।
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