नासा के LRO ने चंद्रमा पर खोजा बुर्ज खलीफा से दोगुना गड्ढा, जहां कभी नहीं पहुंची सूरज की रोशनी
वॉशिंगटन। पूरी दुनिया के देशों की अंतरिक्ष में रुचि किसी से छिपी नहीं है। खासकर, चंद्रमा पर सबकी नजर गड़ी है। अब नासा (NASA) ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास बुर्ज खलीफा से भी दो गुना गहरे गड्ढे की खोज की है। बुर्ज खलीफा की ऊंचाई 820 मीटर है। इस गड्ढे के बारे में पहले कोई जानकारी नहीं थी।
दरअसल, नासा आर्टेमिस 3 (Artemis 3) मिशन के लिए लैंडिंग साइटों की पहचान कर रहा है। इसी दौरान वैज्ञानिकों को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव की पहले कभी नहीं देखी गई हाई रिजॉल्यूशन वाली कम्पोजिट इमेजेज हाथ लगीं। चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र की इस आकर्षक छवि को लूनर रिकॉनिसेंस ऑर्बिटर कैमरा (एलआरओ) की ली गई तस्वीरों की एक सीरीज से बनाई गई है।
एलआरओ 2009 से चंद्रमा की परिक्रमा
लूनर रिकॉनिसेंस ऑर्बिटर कै मरा नासा के लूनर रिकॉनिसेंस ऑर्बिटर पर लगे कै मरों का एक नेटवर्क है, जो जून 2009 से चंद्रमा की परिक्रमा कर रहा है। ये कै मरे शैडोकै म नाम की एक डिवाइस से भी जुड़े हुए हैं, जिसे कोरिया एयरोस्पेस रिसर्च इंस्टीट्यूट के कोरिया पाथफाइंडर लूनर ऑर्बिटर पर लगाया गया है। शैडोकै म पहले से तैनात नासा के मून कै मरों की तुलना में प्रकाश के प्रति 200 गुना अधिक संवेदनशील है।
अंधेरे में डूबा क्रेटर
नासा ने तस्वीरें शेयर कर बताया है कि यह स्थान स्थाई रूप से अंधेर में डूबा हुआ है। चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास शेकलटन क्रेटर का आंतरिक भाग इस आश्चर्यजनक मोजेक में दिखाई दे रहा है। क्रेटर को शैडोकैम ने कैप्चर किया था, जो नासा का एक उपकरण है, लेकिन इसे दक्षिण कोरियाई लूनर ऑर्बिटर पर लगाया गया है। इसे चंद्रमा की सतह के छायादार हिस्सों को देखने के लिए डिजाइन किया गया है। कोरियाई अंतरिक्ष यान डैनुरी पर लगी हुई यह डिवाइस पिछले एक साल से चंद्रमा का चक्कर लगा रही है।
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