21 साल की नंदिनी के हौसले को दाद! मुंह से बनाया मन की बात के 100वें एपिसोड का कैनवास, जन्म से ही हाथ-पैर नहीं करते काम
अजमेर। कहते हैं कि कुछ कर गुजरने की चाहत हो तो कोई भी काम मुश्किल नहीं होता। इस कहावत को सच कर दिखाया है अजमेर के चौरसियावास रोड पर रहने वाली 22 साल की नंदिनी ने। जिसके जन्म से ही हाथ-पांव काम नहीं करते लेकिन नंदिनी मुंह से शानदार पेंटिंग्स बनाती है। बीते रविवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मन की बात के सौवें एपिसोड का कैनवास बनाकर नंदिनी चर्चा में आई। हर कोई नंदिनी और उसके हौसले की जमकर सराहना कर रहा है।
चौरसियावास निवासी प्रेमप्रकाश गौड़ के घर 22 साल पहले नंदिनी का जन्म हुआ। नंदिनी को न्यूरो की परेशानी होने के कारण उसके हाथ-पांव काम नहीं करते थे। प्रेमप्रकाश ने अपना सब कुछ दांव पर लगाकर भी नंदिनी का इलाज करवाने का प्रयास किया लेकिन जब वह इसमें सफल नहीं हुए तो वापस अपने शहर अजमेर लौट आए। अब किराए के मकान में प्रेमप्रकाश अपने परिवार के साथ रह रहे हैं। नंदिनी की बड़ी बहन कृतिका जयपुर के निजी कॉलेज में असिस्टेंट प्रोफेसर है।
माता पिता का मिला पूरा सहयोग
नंदिनी ने बताया कि उसकी कमी के चलते कभी भी उसे माता पिता की ओर से बोझ नहीं समझा गया बल्कि और उसे सपोर्ट ही किया। नंदिनी ने कहा कि वह पूरा समय बेड पर ही रहती है। उसने यूट्यूब और सोशल साइट की सहायता से ही अपनी पढ़ाई शुरू की। अब एक दिन भी स्कूल नहीं गई है लेकिन बारहवीं की परीक्षा पास करके अब ग्रेजुएशन के फर्स्ट इयर में है।
सबसे पहले बनाया पिता का पोर्ट्रेट
नंदिनी ने बताया कि एक दिन उसे यूट्यूब पर पेंटिंग के विडियो से कुछ पेंटिंग करने का मन हुआ तो उसने अपने पिता के पोर्ट्रेट बनाने की इच्छा अपनी मां सीमा शर्मा के सामने जाहिर की। जिस पर उसकी मां ने भी उसे कलर, पेपरशीट लाकर दिए। जब उसने पेंटिंग बनाई तो हूबहू बनाकर दी। जिसे देखकर परिजन भी हैरान रह गए। नंदिनी ने कहा कि इसके बाद से उसने पेंटिंग की दुनिया में कुछ करने की ठानी और वह तब से लगातार कुछ ना कुछ पेंटिंग्स बना रही है।
पीएम मोदी से है खासा प्रभावित
नंदिनी ने कहा कि वह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से खासा प्रभावित है। जब उसे जानकारी मिली कि मोदी के मन की बात का सौवां एपिसोड प्रसारित होने जा रहा है, तो उसने मोदी के एपिसोड का कैनवास बनाने की सोची और इसे बना भी दिया। नंदिनी ने कहा कि वह चाहती है कि मोदी से मिलकर उनका ही एक पोर्ट्रेट बनाकर उन्हें प्रदान करे।
खुद को ना समझें कमजोर
नंदिनी ने कहा कि वह अपनी शारीरिक कमजोरी को कभी खुद पर हावी नहीं होने देती और यही कारण है कि उसने मुंह से दीपक पर, शीट पर कई पेंटिंग बनाई है। उन्होंने आमजन से भी यह अपील की है कि कभी भी खुद को कमजोर नहीं समझें और अपनी मंजिल पर पहुंचने के लिए खुद को झोंक दें। शारीरिक रूप से असमर्थ लोगों में भी कोई ना कोई प्रतिभा छिपी होगी, वह उसे पहचानें और इसमें अपनी एनर्जी लगाएं।
नंदिनी की मां सीमा शर्मा ने बताया कि उनके दो बेटियां हैं। दोनों पर कभी भी कोई चीज थोपी नहीं गई बल्कि उनके फैसलों में सपोर्ट किया। उन्होंने कहा कि नंदिनी जब गर्भ में भी उस दौरान उसे परेशानी हुई थी, संभवतया इसके चलते ही नंदिनी को जन्म से ही न्यूरो की प्रोब्लम हुई और उसके हाथ-पांव काम नहीं करते हैं लेकिन उनकी बेटी की इस कला पर उनको गर्व है।
नंदिनी की कला जब लोगों के सामने आई है तो हर कोई सोचने पर मजबूर है। यहां तक कि कलाकार भी नंदिनी की कला का लोहा मानकर उसके हुनर की सराहना कर रहे हैं।
(रिपोर्ट- नवीन वैष्णव)