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मां राज राजेश्वरी दिलाती हैं सत्ता सुख नेताओं ने लगाई है टिकट की अर्जी

चुनाव में अपनी उम्मीदवारी पक्की करने के लिए राजनेता क्या-क्या नहीं करते। समर्थकों को लामबंद करने से लेकर अपने पक्ष में माहौल बनाने और तमाम राजनीतिक समीकरणों को साधने तक का काम किया जाता है। इन सबके बावजूद अपने जीवन में ‘राजयोग’ को लाने के लिए देवी-देवताओं को प्रसन्न कर आशीर्वाद लेने की जुगत भी बिठाई जाती है।
10:08 AM Oct 15, 2023 IST | BHUP SINGH
मां राज राजेश्वरी दिलाती हैं सत्ता सुख नेताओं ने लगाई है टिकट की अर्जी

नरेन्द्र चतुर्वेदी, जयपुर। चुनाव में अपनी उम्मीदवारी पक्की करने के लिए राजनेता क्या-क्या नहीं करते। समर्थकों को लामबंद करने से लेकर अपने पक्ष में माहौल बनाने और तमाम राजनीतिक समीकरणों को साधने तक का काम किया जाता है। इन सबके बावजूद अपने जीवन में ‘राजयोग’ को लाने के लिए देवी-देवताओं को प्रसन्न कर आशीर्वाद लेने की जुगत भी बिठाई जाती है। इस बार भी अपनी कुण्डली में सत्ता के मोहरे बिछाने के लिए कई राजनीतिक लोग इन दिनों भगवान की शरण में जा रहे हैं। जिस प्रकार धन के लिए लक्ष्मी जी, बुद्धि के लिए गणेश जी व सरस्वती माता, बल के लिए हनुमान जी की पूजा की जाती है, उसी प्रकार जयपुर के दिल्ली रोड पर आमेर की पहाड़ियों में स्थित मां राज राजेश्वरी खोए या डूबे हुए राज्य को पुन: दिलाने के लिए प्रसिद्ध हैं।

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कहते हैं जो भी मां राज राजेश्वरी की शरण में आकर पूजा करता है, वह चाहे अपना सारा राज्य हार चुका हो, माता की कृपा से पुन: अपने राज्य सुख को प्राप्त करता है। राजा-महाराजाओं के समय से चली आ रही इस मान्यता के चलते चुनावों के दौर में कई राजनेता भी इस मंदिर में ढोक लगाकर राजसुख की कामना करते हैं। इस बार भी चुनाव से पहले कई नेताओं ने मंदिर पहुंच टिकट के लिए विशेष पूजा कराई है। टिकट मिलने के बाद चुनाव जीतने के लिए अनुष्ठान कराए जाएंगे। ऐसे में इस प्राचीन मंदिर खोए हुए राज्य दिलाने वाली मां राज राजेश्वरी का मंदिर कहा जाने लगा है।

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राजा सवाई प्रताप सिंह ने बनवाया था भव्य मंदिर

मंदिर के महंत अशोक पुरी महाराज ने बताया कि सन् 1780 में एक बार आमेर के राजा सवाई प्रताप सिंह तूंगा का युद्ध हारने पर निराश होकर आ रहे थे। रास्ते में मानबाग के पास उन्हें एक तपस्वी का धूना दिखाई दिया, इस पर उन्होंने धूने पर पहुंच कर वहां विराज रहे अमृतपुरी जी महाराज को युद्ध हार जाने के बारे में बताया। इस पर अमृतपुरी ने उन्हें पुन: युद्ध में जाने और विजयी होने पर माताजी का मंदिर बनाने की प्रेरणा दी। प्रतापपुरी ने मां का मंदिर बनाने का प्रण लेकर दबारा तूंगा पर च ु ढ़ाई की और विजय प्राप्त की। इसके बाद उन्होंने मानबाग स्थित बंध की घाटी में ही मां राजराजेश्वरी का भव्य मंदिर बनवाया।

आठवीं पीढ़ी कर रही मंदिर में सेवा

मंदिर पुजारी अशोक पुरी महाराज ने बताया कि वर्तमान में मंदिर में बद्री जी महाराज, महेश पुरी, अमर पुरी और वे माता जी की सेवा का कार्य कर रहे हैं। ये सब प्रतापपुरी महाराज की आठवीं पीढ़ी हैं। मंदिर में माताजी के अलावा भैरव जी, हनुमान जी, पंचमुखी महादेव, गणेशजी और भगवान सूर्य भी विद्यमान है। मंदिर की देखभाल के लिए श्री राज राजेश्वरी माताजी मंदिर सेवा समिति बनाई है। समिति के तत्वावधान में मंदिर में नवरात्र के अलावा पौष बड़ा महोत्सव भी धूमधाम से मनाया जाता है। नवरात्र में कई जनप्रतिनिधियों के अलावा ब्यूरोक्रेसी से जुड़ेलोग भी माताजी के दर्शन करने आते हैं।

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कई दिग्गज करा चुके हैं विशेष अनुष्ठान

मंदिर की महत्ता को जानने पर प्रदेश की राजनीति से जुड़े कई दिग्गज भी इस मंदिर में अनुष्ठान करा चुके हैं। सभी पार्टिंयों के कई नेता नियमित रूप से इस मंदिर में माथा टेकने आते हैं। चुनावी समय में यहां राजनेताओं की ओर से पूजा-अनुष्ठान करवाए जाते हैं। सन् 2018 में तत्कालीन सता पक्ष की एक बड़ी नेत्री ने भी यहां पर अनुष्ठान कराया था। हालांकि अनुष्ठान किसी विघ्न के कारण पूरा नहीं हो पाया था और उन नेत्री के हाथ से कुर्सी भी चली गई थी। इसके अलावा नेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़, सांसद दीया कु मारी, विधायक सतीश पूनियां सहित अन्य कई नेता भी इस मंदिर में पूजा-अनुष्ठान कराते रहते हैं। शहर कांग्रेस के एक दिग्गज नेता भी अपने पुत्र के कारण फं स गए थे, तब उन्होंने भी मां राज राजेश्वरी की पूजा कराई थी जिसके बाद वे समस्या से बाहर आए।

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