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मोदी सरनेम मानहानि मामला : राहुल गांधी को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत, 2 साल की सजा पर लगी रोक

मोदी सरनेम मानहानि मामले में राहुल गांधी (Rahul Gandhi) को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को राहुल गांधी की 2 साल की सजा पर रोक लगा दी।
01:52 PM Aug 04, 2023 IST | Anil Prajapat
मोदी सरनेम मानहानि मामला   राहुल गांधी को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत  2 साल की सजा पर लगी रोक

नई दिल्ली। मोदी सरनेम मानहानि मामले में राहुल गांधी को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को राहुल गांधी की 2 साल की सजा पर रोक लगा दी। इस दौरान कोर्ट ने पूछा कि इस मामले में अधिकतम सजा क्यों? कहा- उन्हें कम सजा भी दी जा सकती थी। वे डिसक्वालिफाई नहीं होते। सुप्रीम कोर्ट में इस मामले में करीब 3 घंटे बहस चली। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने राहुल गांधी की सजा पर रोक लगा दी है। माना जा रहा है कि अब राहुल गांधी की संसद सदस्यता जल्द बहाल होगी।

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सुप्रीम कोर्ट में करीब तीन घंटे तक चली सुनवाई के दौरान जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और प्रशांत कुमार मिश्रा की बेंच ने कहा कि ट्रायल कोर्ट के जज को अपने फैसले में अधिकतम सजा सुनाने की वजहें भी बतानी चाहिए थी। अगर राहुल गांधी को एक साल 11 महीने की सजा होती तो उनकी संसद सदस्यता नहीं जाती। सुप्रीम कोर्ट ने दोनों पक्षों को अपनी-अपनी बात रखने के लिए 15-15 मिनट का समय दिया था। राहुल गांधी की ओर से सीनियर एडवोकेट अभिषेक मनु सिंघवी ने सुप्रीम कोर्ट में दलीलें पेश की। वहीं, शिकायतकर्ता पूर्णेश मोदी की ओर से वरिष्ठ वकील महेश जेठमलानी ने अपनी बात रखी।

सुप्रीम कोर्ट के जज ने अपने फैसले में कहीं ये बातें

सुप्रीम कोर्ट ने राहुल गांधी की सजा पर रोक लगाते हुए अपने फैसले में कहा कि इसमें कोई शक नहीं कि राहुल ने जो भी कहा, वह अच्छा नहीं था। नेताओं को जनता के बीच बोलते वक्त सावधानी बरतनी चाहिए। यह राहुल गांधी का कर्तव्य बनता है कि इसका ध्यान रखें। कितने राजनेता याद रखते होंगे कि उन्होंने पिछली रैलियों में क्‍या कहा था। नेता दिन में 10-15 रैलियां करते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने शिकायतकर्ता के वकील जेठमलानी से पूछा कि राहुल को अधिकतम सजा क्यों दी गई। कम सजा भी दी जा सकती थी। 1 साल 11 महीने की सजा हो सकती थी। ऐसे में राहुल डिस्क्वालिफाई नहीं होते। ट्रायल जज को बताना था कि उन्होंने अधिकतम सजा क्यों दी, लेकिन इस पर उन्होंने कुछ कहा ही नहीं। सजा की वजह बताई जानी थी, लेकिन ऑर्डर में इस पर कुछ नहीं लिखा था। इससे न केवल राहुल गांधी के राजनीतिक जीवन जारी रखने के अधिकार पर फर्क पड़ा, बल्कि उन लोगों पर भी पड़ा, जिन्होंने राहुल को चुना था। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस मामले को राजनीतिक मत बनाइए। सिंघवीजी और जेठमलानी जी, आप ये सारी चीजें राज्यसभा के लिए बचाकर रखिए।

राहुल गांधी के वकील सिंघवी की दलीलें

राहुल गांधी के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि शिकायतकर्ता यानी पूर्णेश मोदी का सरनेम मोदी नहीं है। राहुल गांधी ने अपने भाषण में जिनका नाम लिया, किसी ने मुकदमा नहीं किया। दिलचस्‍प है कि 13 करोड़ के इस 'छोटे' समुदाय से मुकदमा केवल बीजेपी के पदाधिकारियों ने किया। बड़ी अजीब बात है! कोई भी आरोप किसी व्यक्ति की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने वाला नहीं है, जब तक कि यह किसी व्यक्ति के नैतिक या बौद्धिक चरित्र को कम नहीं करता है। यह गैर संज्ञेय अपराध है। समाज के खिलाफ नहीं है… न हत्‍या, न रेप, न किडनैपिंग… 2 साल की अधिकतम सजा… इसमें नैतिक अधमता का अपराध कहां से आ गया? राहुल गांधी को 8 साल के लिए चुप करा दिया जाएगा? लोकतंत्र में मतभेद होते हैं। हिंदी में हम शालीन भाषा कहते हैं, मुझे नहीं लगता कि ऐसी मंशा रही होगी। राहुल गांधी अपराधी नहीं है। राहुल गांधी की लोकसभा सीट (वायनाड) पर चुनाव की घोषणा नहीं की गई है। शायद उन्‍हें पता है कि हार के चांसेज बहुत कम है। सिंघवी ने कहा कि शिकायतकर्ता का कहना है कि उसे न्‍यूजपेपर कटिंग का वॉट्सऐप मिला। वह यह नहीं बताता कि उसे यह किसने दिया। एविडेंस एक्‍ट के हिसाब से, असल घटना साबित नहीं हुई।

शिकायतकर्ता पूर्णेश मोदी के वकील जेठमलानी की दलीलें

शिकायतकर्ता पूर्णेश मोदी के वकील महेश जेठमलानी ने दलीलें पेश करते हुए कहा कि राहुल गांधी के खिलाफ पर्याप्‍त सबूत हैं। सीडी-2 में राहुल के भाषण का प्रमाणिक वर्जन है। चुनाव आयोग के निर्देश पर जिसने रिकॉर्डिंग की, वह गवाह है। कैमरा थामने वाला फोटोग्राफर भी गवाह है। राहुल गांधी ने कहा था कि अच्‍छा एक छोटा सा सवाल, इन सब चोरों का नाम, मोदी, मोदी, मोदी कैसे है… ललित मोदी, नीरव मोदी… और थोड़ा ढूंढेंगे तो और सारे मोदी निकल आएंगे। उनकी मंशा मोदी सरनेम वाले हर व्यक्ति का अपमान करना थी, क्योंकि प्रधानमंत्री का भी वही सरनेम है। दोष सिद्धि पर अयोग्यता ऑटोमेटिक और तत्काल है। अब लिली थॉमस केस में जो छीन लिया गया था, उसे वापस लाने की मांग की जा रही है। दोष सिद्धि पर रोक लगाने के आवेदनों में, एक बहुत स्पष्ट बिंदु होना चाहिए। जेठमलानी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने राफेल मामले में भी राहुल को नसीहत दी थी। इस पर जस्टिस गवई ने मुस्कुराते हुए कहा कि अगर यह फैसला पहले आ जाता तो शायद वह ज्यादा सतर्क रहते। जेठमलानी ने कहा क‍ि जनता को ऐसे किसी व्यक्ति को चुनने का अधिकार नहीं जो जल्दी में वाक्य बनाता हो, जिसने कानून तोड़ा हो।

राहुल ने सुप्रीम कोर्ट में दी थी फैसले का चुनौती

बता दें कि मोदी सरनेम मानहानि मामले में राहुल गांधी को गुजरात की सेशन कोर्ट ने 23 मार्च को दो साल की सजा सुनाई थी। जिसके चलते राहुल की सांसदी चली गई थी। बाद में राहुल ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। लेकिन, राहत नहीं मिली। गुजरात हाईकोर्ट ने 7 जुलाई को अपने फैसले में दो साल की सजा बरकरार रखी। जिस पर राहुल गांधी ने 15 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की। इस मामले में अब तक 21 जुलाई और 2 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई थी। लेकिन, शुक्रवार को सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने राहुल गांधी को बड़ी राहत दी है।

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