Right To Health बिल पर निजी डॉक्टर्स के विरोध पर बोले मंंत्री परसादी मीणा- कानून से खुद को ऊपर न समझें, बिल तो लागू होकर रहेगा
जयपुर। राइट टू हेल्थ बिल (Right To Health) के विरोध में निजी अस्पतालों के डॉक्टर्स का कार्य बहिष्कार लगातार जारी है। वे रैलियां निकालकर हाथ में बैनर-पोस्टर लेकर सरकार से इस बिल का विरोध जता रहे हैं। पूरे प्रदेश के निजी अस्पतालों के इमरजेंसी सेवाएं ठप पड़ चुकी हैं। जिसके बाद धीरे-धीरे सरकारी अस्पताल भी विरोध कर रहे डॉक्टरों को समर्थन दे रहे हैं। उन्होंने भी 2 घंटे का कार्य बहिष्कार कर अपना समर्थन दिया है। इधर चिकित्सा मंत्री परसादी लाल मीणा ने साफ शब्दों में कह दिया है कि निजी अस्पताल चिरंजीवी को अपने यहां लागू करें या नहीं करें लेकिन प्रदेश में तो राइट टू हेल्थ बिल लागू ही होगा।
कानून से खुद को ऊपर न समझें
चिकित्सा मंत्री परसादी लाल मीणा ने कहा कि आम लोगों को समय रहते निशुल्क इलाज की सुविधा मिले। इसके लिए सरकार ने चिरंजीवी और यह राइट टू हेल्थ बिल (Right To Health) का प्रारूप तैयार कर इसे लागू किया। अब निजी अस्पताल चिरंजीवी योजना लागू करें या नहीं करेंगे उनकी मर्जी है लेकिन सरकार प्रदेशवासियों को स्वास्थ्य की हर वो सुविधा देने का काम करेगी जो एक आम नागरिक का हक है।
मीणा ने कहा कि राइट हेल्थ बिल को निजी डॉक्टर्स वापस करें यह उन्हें अधिकार ही नहीं है। अगर अब सरकारी डॉक्टर्स भी कामकाज बंद कर रहे हैं तो सरकार उन पर सख्ती दिखाएगी। विधानसभा में ध्वनिमत से पक्ष-विपक्ष दोनों ने इस बिल को पास किया है। प्रदेश में कानून सबसे ऊपर है। यह डॉक्टर्स कानून से खुद को ऊपर ना समझें।
अब कौन सी मांग है बैठकर बताओ
परसादी ने कहा कि वे मांगे मनवाने की बात कहते हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से बकायदा मीटिंग कर अपनी मांगों पर सहमति ले ली थी। फिर भी वह सड़क पर उतर कर आंदोलन कर रहे हैं। इस तरह से तो वे वादाखिलाफी कर रहे हैं। परसादी मीणा ने कहा कि उनकी इस हड़ताल से हम डरने वाले नहीं हैं। राइट टू हेल्थ बिल वापस नहीं होगा, प्रदेश में यह लागू होकर ही रहेगा। उन्होंने कहा कि अगर आप और भी मांग सरकार से मनवाना चाहते हैं तो आप सरकार से बैठकर बातचीत करें। इस तरह सहमति ले लेने और उसके बाद फिर से सड़क पर उतरने का क्या मतलब है।
SMS, JK लोन में भी परेशान हो रहे मरीज, इमरजेंसी केस की तो हालत बदतर
बता दें कि निजी डॉक्टर्स का विरोध अब आंदोलन का रूप ले चुका है। इस आंदोलन को सरकारी अस्पताल के डॉक्टर से अपना समर्थन दे रहे हैं। SMS और जेकेलोन समेत दूसरे सरकारी अस्पताल दो 2 घंटे का कार्य बहिष्कार कर उनके आंदोलन में शामिल हो रहे हैं। जिससे अब सरकारी अस्पतालों की स्वास्थ्य व्यवस्था चरमरा गई है। SMS और जे के लोन अस्पताल में मरीज अपने तीमारदारों के साथ घंटों लाइन में खड़े हैं लेकिन कोई वहां उन्हें देखने वाला नहीं है। सबसे बुरी हालत तो बुजुर्ग और बच्चों की है। जिन्हें समय पर इलाज नहीं मिल पा रहा है। तो वहीं इमरजेंसी केस में आए मरीजों की हालत तो बद से बदतर हो रही है।