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किसानों का 'मसीहा'! नहीं रहे हरित क्रांति के 'जनक' एमएस स्वामीनाथन, देश की कृष‍ि को दी थी नई पहचान

भारत के महान कृषि वैज्ञानिक एमएस स्वामीनाथन ने 98 साल की उम्र में दुनिया को अलविदा कह दिया। उन्होंने गुरुवार (28 सितंबर, 2023) को तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई में अंतिम सांस ली।
04:22 PM Sep 28, 2023 IST | Kunal Bhatnagar
किसानों का  मसीहा   नहीं रहे हरित क्रांति के  जनक  एमएस स्वामीनाथन  देश की कृष‍ि को दी थी नई पहचान

MS Swaminathan Death: भारत के महान कृषि वैज्ञानिक एमएस स्वामीनाथन ने 98 साल की उम्र में दुनिया को अलविदा कह दिया। उन्होंने गुरुवार (28 सितंबर, 2023) को तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई में अंतिम सांस ली। 7 अगस्त, 1925 को तमिलनाडु के तंजावुर जिले में जन्मे स्वामीनाथन एक कृषि वैज्ञानिक थे। हरित क्रांति के माध्यम से भारत को खाद्यान्न के मामले में आत्मनिर्भर बनाने में स्वामीनाथन की बड़ी भूमिका रही है। कृषि वैज्ञानिक स्वामीनाथन के शोध से किसानों का उत्पादन बढ़ा।

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भारत में हरित क्रांति के जनक

भारत की हरित क्रांति के जनक के रूप में जाने जाने वाले डॉ. स्वामीनाथन के कार्यों से न केवल देश के कृषि क्षेत्र में सुधार हुआ बल्कि भारत को भोजन की कमी से लड़ने में भी मदद मिली। स्वामीनाथन ने न सिर्फ किसानों के कल्याण के लिए काम किया बल्कि उन्होंने एक रिपोर्ट भी तैयार की जिसकी चर्चा आज भी होती है। इस रिपोर्ट को स्वामीनाथन रिपोर्ट के नाम से जाना जाता है।

क्या है स्वामीनाथन रिपोर्ट?

यूपीए सरकार ने किसानों की स्थिति का पता लगाने के लिए 2004 में एक आयोग का गठन किया, जिसका नाम 'नेशनल कमीशन ऑन फार्मर्स' (एनसीएफ) रखा गया। इस आयोग के अध्यक्ष डॉ. एम.एस. स्वामीनाथन थे। एनसीएफ ने 2004 से 2006 तक कुल पांच रिपोर्ट प्रस्तुत कीं, जिन्हें आज स्वामीनाथन आयोग रिपोर्ट या स्वामीनाथन रिपोर्ट के रूप में जाना जाता है। इसमें उन सभी तरीकों के बारे में बताया गया जिससे किसानों की स्थिति में सुधार किया जा सके।

सरकार को क्या सुझाव दिये?

रिपोर्ट में बताया गया कि कैसे उत्पादकता और मुनाफा बढ़ाकर देश के कृषि क्षेत्र में सुधार किये जा सकते हैं। एनसीएफ ने सरकार को कुछ सुझाव भी दिये थे। आइए आपको उन सुझावों के बारे में बताते हैं जिनसे किसानों की हालत में सुधार हो सकता है।

  • देश में खाद्य एवं पोषण सुरक्षा के लिए रणनीति बनाई जानी चाहिए।
  • कृषि प्रणालियों की उत्पादकता और स्थिरता में सुधार किया जाना चाहिए।
  • किसानों को ग्रामीण ऋण का प्रवाह बढ़ाने के लिए सुधार किये जाने चाहिए।
  • शुष्क भूमि के साथ-साथ पहाड़ी और तटीय क्षेत्रों में भी किसानों के लिए खेती का कार्यक्रम तैयार किया जाना चाहिए।
  • कृषि वस्तुओं की गुणवत्ता और लागत में प्रतिस्पर्धा में सुधार किया जाना चाहिए।
  • वैश्विक कीमतें गिरने पर किसानों को आयात से बचाया जाना चाहिए।
  • स्थानीय निकायों को मजबूत करना, ताकि वे बेहतर खेती के लिए पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत कर सकें।

एमएसपी पर स्वामीनाथन रिपोर्ट में क्या था?

न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) किसानों के उत्पादन का मूल्य है जो सरकार द्वारा तय किया जाता है। सरल भाषा में कहें तो बाजार में कोई भी व्यक्ति एमएसपी मूल्य से नीचे अनाज नहीं खरीद सकता। खुद किसान भी ऐसा नहीं करते, क्योंकि सरकार को एमएसपी पर बेचने का विकल्प खुला रहता है। स्वामीनाथन आयोग ने अपनी रिपोर्ट में सिफारिश की थी कि किसानों को 'C2+50% फॉर्मूला' एमएसपी दिया जाना चाहिए।

दरअसल, C2 का मतलब फसल की कुल लागत (कॉस्ट कॉम्प्रिहेंसिव) है और फॉर्मूले में 50% का मतलब फसल पर 50 फीसदी मुनाफा है। अगर आसान भाषा में कहें तो किसानों को लागत और मुनाफा मिलाकर 50 फीसदी मिलना चाहिए और यही एमएसपी मूल्य होना चाहिए। एक तरह से लागत से डेढ़ गुना एमएसपी तय होनी चाहिए। हालाँकि, यह मुद्दा अभी तक पूरी तरह से हल नहीं हुआ है।

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