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अब वेतन को तरसे कार्मिक...घाटे में चल रही रोडवेज को नई सरकार से ‘संजीवनी’ की आस

लंबे समय से घाटे में चल रही रोडवेज को प्रदेश में नई सरकार आने के बाद अब राहत की उम्मीद बंधी है। रोडवेज के करीब 250 करोड़ रुपए राज्य सरकार और निकायों के स्तर पर बकाया हैं।
08:59 AM Jan 10, 2024 IST | Anil Prajapat
अब वेतन को तरसे कार्मिक   घाटे में चल रही रोडवेज को नई सरकार से ‘संजीवनी’ की आस
Rajasthan Roadways

Rajasthan Roadways : जयपुर। लंबे समय से घाटे में चल रही रोडवेज को प्रदेश में नई सरकार आने के बाद अब राहत की उम्मीद बंधी है। रोडवेज के करीब 250 करोड़ रुपए राज्य सरकार और निकायों के स्तर पर बकाया हैं। इसके चलते हालात ये हैं कि रोड़वेज के पास बसों के संचालन के लिए भी फंड की कमी चल रही है। इसके चलते रोड़वेजकर्मियों को दो माह से वेतन भी नहीं मिल रहा है। वहीं नई बसों की खरीद भी नहीं हो पा रही है। भुगतान को लेकर कई बार रोडवेज की ओर से सरकार को पत्र लिखा गया, लेकिन भुगतान नहीं किया गया। नई सरकार के गठन के बाद अब रोडवेज को ‘संजीवनी’ मिलने की आस बंधी है।

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दरअसल रोडवेज को बसों के संचालन के लिए राज्य सरकार की तरफ से आर्थिक सहायता मुहैया कराई जाती है। इसमें राजस्थान ट्रांसपोर्ट इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट फंड (आरटीआईडीएफ) के 132 करोड़ और सालाना 200 करोड़ रुपए की आर्थिक राशि शामिल है, लेकिन इस बार रोडवेज को न तो आरटीआईडीएफ फंड से और न ही आर्थिक मदद के पेटे राशि दी जा रही है। दरअसल रोडवेज बस में करीब 36 श्रेणियों में यात्रियों को निशुल्क और रियायती यात्रा कराई जाती है। इस राशि का भुगतान राज्य सरकार द्वारा किया जाता है।

रोडवेज प्रशासन की इस बकाया राशि में पुनर्भरण की राशि भी शामिल है। इसके करीब 132 करोड़ रुपए रोडवेज प्रशासन के राज्य सरकार के स्तर पर पर बकाया हैं। वहीं नवंबर 2023 माह के पुनर्भरण का भुगतान भी राज्य सरकार द्वारा रोडवेज प्रशासन को नहीं किया गया है। अभी रोडवेज में कर्मचारियों को नवंबर और दिसंबर माह का वेतन और पेंशन का भुगतान नहीं मिला है। राज्य सरकार की तरफ से ड्यूज क्लीयर होने पर वेतन देना संभव हो सकेगा।

बैठक में एमडी ने फंड दिलाने की रखी थी मांग

सोमवार को परिवहन मंत्री डॉ. प्रेमचंद बैरवा की बैठक में रोडवेज एमडी नथमल डिडेल ने निगम में बसों की वृद्धि के लिए वित्तीय आवश्यकता, वाहनों की स्थिति, रोड़वेज बसों में विभिन्न श्रेणियों को दी जा रही रियायतों, मासिक आय व्यय विवरण, संचालन लागत आदि की जानकारी सामने रखी थी। ऐसे में उम्मीद है कि मंत्री आगे फं ड दिलवाने के लिए कवायद शुरू करें।

कमाई 150 करोड़, खर्चा 240 करोड़

रोडवेज को बसों के संचालन से रोजाना औसतन 3 करोड़ रुपए का नुकसान हो रहा है। रोडवेज की मासिक आय जहां करीब 150 करोड़ रुपए होती है, वहीं खर्च करीब 240 करोड़ रुपए प्रति माह हो रहा है। इस तरह करीब 90 करोड़ रुपए के हर माह घाटे के चलते रोडवेज को आर्थिक मदद जरूरी भी है। देखना होगा कि जब राज्य में नई सरकार कामकाज संभाल चुकी है तो रोडवेजकर्मियों की यह परेशानी कब तक समाप्त होगी।

निकायों पर भी चल रहा है बकाया

बड़ी बात यह है कि राज्य सरकार के स्तर पर तो रोडवेज की राशि बकाया है ही, इसके अलावा निकायों पर भी करोड़ों रुपए की राशि बकाया चल रही है, जिसका भुगतान नहीं किया गया है। दरअसल जयपुर और अजमेर शहर में स्थानीय निकायों की ओर से जेसीटीएसएल और एसीटीएसएल के रूप में कं पनियां बनाकर बसों का संचालन किया जा रहा है। इन सिटी बसों का संचालन रोडवेज के डिपो से ही हो रहा है। इस तरह दोनों शहरों में सम्बंधित निकायों पर रोडवेज की करीब 62 करोड़ की राशि बकाया है। इसी तरह जयपुर के ट्रांसपोर्ट नगर में जयपुर नगर निगम को 7 हजार वर्गमीटर से अधिक भूमि दी गई थी, जिसका भुगतान भी नगर निगम ने रोडवेज प्रशासन को नहीं किया है।

सरकार के स्तर पर इतनी राशि बकाया

आरटीआईडीएफ के पेटे 83.75 करोड़ रुपए बकाया हैं। वहीं 28 करोड़ 21 लाख रुपए की राशि नवंबर माह के पुनर्भरण के पेटे और रियायती एवं निशुल्क यात्राओं के एवज में दी जाने वाली राशि का भुगतान बकाया चल रहा है। इसी प्रकार 20 करोड़ रुपए का आर्थिक अनुदान राज्य सरकार के स्तर पर बकाया है। इस तरह से कुल 131 करोड़ 96 लाख रुपए की राशि बकाया है। इसके अलावा निकायों को मिलाकर रोडवेज का 249 करोड़ रुपए का भुगतान बकाया चल रहा है।

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