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Rajasthan Election: कोटपुतली विधानसभा में कांग्रेस-भाजपा में होगी कांटे की टक्कर, जानें क्या रहेगी निर्दलीयों की भूमिका?

एक तरफ कोटपूतली विधानसभा जहां राजनैतिक रूप से महत्वपूर्ण हैं वहीं धीरे धीरे आर्थिक गलियारे के तौर पर भी अपनी पहचान बना रहा हैं। खेतड़ी रियासत में शामिल रहा कोटपूतली पहले अमरावती नाम से भी जाना जाता था।
05:45 PM Nov 01, 2023 IST | Kunal Bhatnagar
rajasthan election  कोटपुतली विधानसभा में कांग्रेस भाजपा में होगी कांटे की टक्कर  जानें क्या रहेगी निर्दलीयों की भूमिका

Kotputali Vidhan Sabha (हिमांशु सैन की रिपोर्ट): मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा बनाये गए नवगठित कोटपूतली-बहरोड जिले की कोटपूतली विधानसभा में इस बार विधानसभा चुनाव में रोमांचक मुकाबला देखने को मिल सकता हैं। एक तरफ कोटपूतली विधानसभा जहां राजनैतिक रूप से महत्वपूर्ण हैं वहीं धीरे धीरे आर्थिक गलियारे के तौर पर भी अपनी पहचान बना रहा हैं। खेतड़ी रियासत में शामिल रहा कोटपूतली पहले अमरावती नाम से भी जाना जाता था।

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कोटपूतली की अर्थव्यवस्था में पशुपालन व कृषि कार्य मुख्य हैं। वहीं भोगौलिक स्थिति की बात करें तो कोटपूतली पड़ौसी राज्य हरियाणा से बॉर्डर साझा करता हैं वहीं राष्ट्रीय राजमार्ग एन एच 48 शहर को दो हिस्सों में बांटता हैं।राज्य में सत्ता जिस पार्टी के पास होती थी कोटपूतली में MLA उसके विपरीत पार्टी से ही होता था लेकिन वर्तमान विधायक राजेन्द्र सिंह यादव ने लगातार दूसरी बार चुनाव जीत कर ये सिलसिला तोड़ा। मजबूत प्रत्याशी के तौर पर पहचान रखने वाले राजेन्द्र यादव पर कांग्रेस ने लगातार चौथी बार टिकट दे कर भरोसा जताया हैं।

विधानसभा का सियासी इतिहास

कोटपूतली गुर्जर बाहुल्य सीट हैं। यहाँ गुर्जर समाज के नेता लम्बे समय तक शासन में रहे हैं।

  • 1952 में कांग्रेस के हजारी शर्मा।
  • 1953 में कांग्रेस के हजारी शर्मा।
  • 1957 में जनसंघ के रामकरण सिंह।
  • 1962 में कांग्रेस के मुक्तिलाल मोदी।
  • 1967 में स्वतंत्र पार्टी के श्रीराम रावत।
  • 1972 में स्वतंत्र पार्टी के सुरेश चन्द्र।
  • 1977 में निर्दलीय के तौर पर रामकरण।
  • 1980 में कांग्रेस के श्रीराम।
  • 1985 में निर्दलीय मुक्तिलाल मोदी।
  • 1990 में निर्दलीय रामकरण सिंह।
  • 1993 में कांग्रेस के रामचंद्र रावत।
  • 1998 में भाजपा के रघुवीर सिंह।
  • 2003 में निर्दलीय सुभाष शर्मा।
  • 2008 में एलएसडब्ल्यूपी के रामस्वरूप कसाना।
  • 2013 और 2018 में लगातार दो बार कांग्रेस के राजेंद्र यादव विधायक रहें हैं।

वहीं, इस बार मैदान में ये चेहरे

  • भाजपा से हंसराज पटेल
  • कांग्रेस से राजेंद्र यादव
  • जेजेपी से रामनिवास यादव
  • बीएसपी से प्रकाश चंद सैनी
  • निर्दलीय मुकेश गोयल और अशोक सैनी प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ रहे हैं।

कोटपूतली सीट से जातिगत समीकरण

चूंकि जनगणना में जाति आधारित आंकड़े एकत्रित नही किये जाते इसलिए जातियों की संख्या का अनुमान ही लगाया जा सकता हैं। आगे दिए गए जातिगत आंकड़े(लगभग) अनुमानित आधार पर ही दिए गए हैं।

  • गुर्जर - 50,000~
  • एससी/एसटी- 45,000~
  • यादव - 40000~
  • सैनी - 24000~
  • ब्राह्मण - 15000~
  • राजपूत- 16000~
  • जाट - 11000~
  • खाति- 5000~
  • नाई- 4000~
  • बनिया- 5000~
  • मुस्लिम- 4000~

क्षेत्र में क्या है चुनावी मुद्दे

कोटपूतली में पिछले 70 सालों से प्रमुख मुद्दा जिला बनाये जाने का था। इस बार राजेन्द्र सिंह यादव ने जिले की मांग को पूरा करते हुए नए आयाम स्थापित किये।वहीं वैटनरी कॉलेज,कृषि महाविद्यालय,बीडीएम अस्पताल को जिला अस्पताल बनवाना,स्थानीय नगरपालिका को नगरपरिषद में क्रमोन्नत करवाने जैसे काम करवाये।
राजेन्द्र सिंह यादव ने मीडिया से चर्चा में कहा कि भविष्य में कोटपूतली के बांधो को ईस्टर्न कैनाल से जोड़ने और कोटपूतली को एनसीआर क्षेत्र में जोड़ना मेरा मुख्य लक्ष्य रहेगा।
दूसरी तरफ विपक्ष कोटपुतली को स्वतंत्र जिला नहीं बनाने,मास्टर प्लान के तहत बाजार में हुई तोड़फोड़ समेत मंत्री व उनके परिजन पर हुई ईडी व आईटी की रेड के मुद्दों पर मुखर हैं।

क्या कहती है पब्लिक?

विधानसभा चुनाव में भाजपा ने हँसराज पटेल को टिकट दिया हैं वहीं कांग्रेस ने लगातार चौथी बार राजेन्द्र यादव पर भरोसा जताया हैं। वहीं भाजपा के पूर्व प्रत्याशी रहे मुकेश गोयल ने इस बार निर्दलीय चुनाव लड़ने का फैसला किया हैं। बीएसपी से पूर्व चेयरमैन प्रकाश सैनी और जेजेपी से रामनिवास यादव भी मैदान में हैं। कोटपूतली में हुए विकास कार्यो,नया जिला बनने और नए इंस्टिट्यूशन बनाये जाने से जहां लोग खुश हैं। वहीं विपक्ष अपने मुद्दों पर अडिग रह कर अपना विरोध जता रहा हैं। अभी सभी प्रत्याशी अपने-अपने समीकरण साधने में व्यस्त हैं हालांकि पब्लिक की असली राय तो इस महीने की 25 तारीख़ को ही स्पष्ट हो पाएगी।

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