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नॉलेज कॉर्नर: आयुर्वेदिक औषधि है अमृत फल ‘आंवला’, दर्जनों बीमारियां करता है दूर

आंवला खाना न सिर्फ सेहत के लिए अच्छा माना जाता है बल्कि इसका वृक्ष हमारे आस-पास के वातारण को भी शुद्ध रखता है। इसका आयुर्वेद में बहुत महत्व माना जाता है।
10:05 AM Oct 24, 2022 IST | Sunil Sharma

आंवला खाना न सिर्फ सेहत के लिए अच्छा माना जाता है बल्कि इसका वृक्ष हमारे आस-पास के वातारण को भी शुद्ध रखता है। इसका आयुर्वेद में बहुत महत्व माना जाता है। आयुर्वेद के ज्ञाता आचार्य चरक के अनुसार यह शारीरिक अवनति को रोकने में लाभदायक है। आंवले का पेड़ करीब 20 से 25 फीट लंबा होता है। यह एशिया के अलावा यूरोप तथा अफ्रीका में भी पाया जाता है। भारत में यह हिमालयी क्षेत्र और प्रायद्वीपीय भारत में बहुतायत में पाया जाता हैं। यह कई रोगों को दूर करता है तथा शरीर का पांचन तंत्र भी मजबूत करता है। इसके सेवन से व्यक्ति को अनेकों लाभ मिलते हैं।

ऐसे होती है खेती

आंवला की खेती विशेषतौर पर एशिया और यूरोप में बड़े पैमाने पर की जाती है। आंवला औषधीय गुणों से भरपूर होता है। यह एक प्रकार की व्यवसायिक खेती है। इसकी खेती करना किसानों के लिए लाभदायक होती है। आंवले की खेती करने के लिए भारत की जलवायु सबसे अधिक उपयुक्त मानी जाती है। उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ में विशेष रूप से आंवले की खेती की जाती है। यहां का आंवला पूरे देश में प्रसिद्ध है।

विश्व स्तर पर ब्रिटेन, फ्रांस, इटली, स्कॉटलैंड तथा नॉर्वे में इसका उत्पादन किया जाता है। इसके लिए सूर्य का प्रकाश आवश्यक माना जाता है। इसकी खेती के लिए सभी प्रकार की मिट्टी उपयुक्त होती है, लेकिन काली जलोढ़ मिट्टी को इसके लिए अधिक उपयुक्त माना जाता है। आंवले को बीज लगाकर तथा पौधा लगाकर उगाया जाता है। बीज लगाने की अपेक्षा इसका पौधा लगाना सही माना जाता है।

क्या हैं फायदा

आंवले से कई प्रकार के खाद्य पदार्थ बनाए जाते हैं। इनका सेवन करना बहुत लाभदायक माना जाता है। सूखे आंवलों को रातभर पानी में भिगोकर रखा जाता है। इसके पानी से आंख धोने से सूजन दूर होती है। इसका सेवन खूनी अतिसार, बवासरी, रक्तपित्त, पांडुरोग और अजीर्ण में लाभदायक माना जाता है।

प्रतिदिन ताजा आंवले का रस पीने से अम्लपित्त जैसे कई गंभीर रोग दूर हो जाते हैं। आयुर्वेद के अनुसार इस फल से पित्तशामक और संधिवात दूर होता है। ब्राह्मरसायन तथा च्यवनप्राश भी आंवले से तैयार किया जाता है। इससे बने च्यवनप्राश का सेवन करने से व्यक्ति निरोगी रहता है। इसके अलावा यह हृदयरोग, वात, रक्त, स्वरक्षय, खांसी और श्वासरोग में भी लाभदायक माना जाता है।

विटामिन-सी का स्रोत

आंवला में विटामिन-सी प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। इसलिय यह लो-ब्लडप्रेशर वाले रोगियों के लिए अधिक फायदेमंद होता है। इसका सेवन करने से ब्लडप्रेशर नियंत्रण में रहता है। लोग इसका मुरब्बा बनाकर भी सेवन करते हैं। इसका आचार भी बहुत गुणकारी होता है।

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