Kirodi Lal Meena ने ERCP पर दिया बयान, कहा- हमारी बात नहीं सुनी गई तो पार्टी छोड़ दूंगा
प्रदेश के सियासी समीकरणों को देखकर तो यही लग रहा है कि 13 जिलों की प्यास बुझाने वाली परियोजना ERCP पर बवाल इतनी जल्दी नहीं थमने वाला। दरअसल भाजपा के राज्यसभा सांसद किरोड़ी लाल मीणा (Kirodi Lal Meena) का एक बयान राजनीतिक गलियारों की सुर्खियों में है। उन्होंने कहा है कि अगर ERCP पर उनकी बात नहीं सुनी गई तो वे पार्टी के पद से अपना इस्तीफा दे देंगे।
जनता सबसे पहले, पार्टी बाद में- Kirodi Lal Meena
बता दें कि बीते शनिवार को किरोड़ी लाल मीणा करौली जिले के टोडाभीम में भैरों बाबा लक्खी मेले में पहुंचे थे। इस अवसर उन्होंने यहां पर आयोजित दंगल कार्यक्रम में शिरकत की। इस दौरान उन्होंने इस कार्यक्रम में आई विशाल जनसभा को संबोधित किया। उन्होंने ERCP का जिक्र करते हुए कहा कि अगर इस मुद्दे पर उनको बात को नहीं सुना गया तो वे पार्टी छोड़ने में जरा भी नहीं हिचकिचाएंगे।
गुर्जर आंदोलन की दिलाई याद
किरोड़ी (Kirodi Lal Meena) ने साल 2007 में अपना मंत्री पद छोड़ने का जिक्र करते हुए कहा कि याद नहीं की गुर्जर आरक्षण आंदोलन के लिए मैंने मेरा मंत्री पद तक छोड़ दिया था तो फिर ये पद क्या है। मेरे लिए जनता पहले है। उन्होंने कहा कि पूर्वी राजस्थान को पानी की बेहद ज़रूरत है। लेकिन चुनाव आते ही राजनीति के मेंढक कुएं से बाहर निकल रहे हैं और लोगों को बहका रहे हैं।
अगस्त में की थी जल क्रांति
बता दें कि किरोड़ीलाल मीणा ERCP को लेकर शुरू से ही मुखर रहे हैं। बीते अगस्त महीने में भी उन्होंने 15 अगस्त को दौसा में जल क्रांति (August Jal kranti) की थी और जयपुर कूच किया था। हालांकि बीच रास्ते में ही उन्हें और उनके समर्थकों के हुजूम को रोक लिए गया था। यहां तक कि उनके सबसे करीबी मित्र और प्रदेश के पर्यटन मंत्री विश्वेंद्र सिंह तक उन्हें मनाने के लिए वहा गए थे।
ईआरसीपी बना राजस्थान का सियासी मुद्दा
ये तो साफ है कि ईआरसीपी ही आगामी विधानसभा चुनाव में दोनों ही राजनीतिक पार्टियों के लिए वोटों की फसल काटने के लिए मुख्य मुद्दा रहेगी। सभा में किसी भी राजनीतिक दल के झंडे बैनर नहीं रहेंगे और ना ही इस सभा को राजनीतिक दल द्वारा आयोजित करवाया जा रहा है। लेकिन ईआरसीपी राजस्थान का सियासी मुद्दा है तो सियासत होना स्वाभाविक है। भाजपा का आरोप है कि मध्य प्रदेश सरकार की एनओसी और अन्य तकनीक बिंदुओं को भी दूर नहीं किया जा रहा है। पिछले विधानसभा चुनाव में पूर्वी राजस्थान के क्षेत्र में कांग्रेस को भरपूर वोट मिले और भाजपा का सूपड़ा साफ हो गया। ऐसे में ईआरसीपी के मुद्दे को कांग्रेस भी भुना रही है, ताकि वोटबैंक कम नहीं हो।
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