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G-20 में रखवाली के लिए NSG का K-9 दस्ता रहेगा मुस्तैद, खासियत जानकर रहे जाएंगे हैरान

दिल्ली में जी-20 शिखर सम्मेलन के कारण राजधानी दिल्ली को विशेष सुरक्षा के पहरे में रखने की हरसंभव कोशिश की जा रही है। इधर सभी राष्ट्राध्यक्षों की सुरक्षा के लिए कमांडो से लेकर खुफिया एजेंसियों को तैनात किया गया है।
04:10 PM Sep 06, 2023 IST | Kunal bhatnagar

K-9 Squad Team: दिल्ली में जी-20 शिखर सम्मेलन के कारण राजधानी दिल्ली को विशेष सुरक्षा के पहरे में रखने की हरसंभव कोशिश की जा रही है। इधर सभी राष्ट्राध्यक्षों की सुरक्षा के लिए कमांडो से लेकर खुफिया एजेंसियों को तैनात किया गया है।

सुरक्षा को और अधिक मजूबत करने के लिए केंद्र सरकार ने राजधानी दिल्ली में K-9 स्क्वॉड को तैनात करने का फैसला लिया है। K-9 स्क्वॉड में प्रशिक्षित कुत्तों को रखा जाता है यह हर परिस्थिति से निपटने को तैयार रहते है। आइए जानते है K-9 स्क्वाड टीम के बारे में..

K-9 स्क्वाड टीम क्या है?

K-9 स्क्वाड में प्रशिक्षित कुत्तों की एक विशेष टीम है, यह डॉग किसी सिपाही से कम नहीं होते हैं। इन्हीं को केंद्र सरकार ने दिल्ली में तैनात करने का फैसला किया है। इस टीम में शामिल डॉग की सूंघने की क्षमता अधिक होती है।

ये किसी भी छिपे हुए विस्फोटक पदार्थ को सूंघकर तुरंत इसकी जानकारी का पता लगा सकते हैं। अधिकांश सुरक्षा बलों के पास K-9 की टीम है, चाहे वह सीआरपीएफ हो, दिल्ली पुलिस हो या सेना। हर किसी की अपनी K-9 टीम है। ये सभी कुत्ते बेल्जियन मैलिनॉइस नस्ल के हैं।

मैलिनोइस नस्ल के कुत्ते

मैलिनोइस नस्ल के कुत्ते आम कुत्तों से काफी अलग होते हैं। ये दुनिया भर की स्पेशल फोर्सेज में शामिल हैं। मैलिनोइस नस्ल के इन कुत्तों का सिर सामान्य कुत्तों की तुलना में बड़ा होता है, जबकि इनकी नाक भी काफी चौड़ी होती है। इसी नाक की वजह से ये कुत्ते हर तरह के विस्फोटक और आईईडी की गंध पहचानकर उनका पता लगा लेते हैं।

राष्ट्राध्यक्षों की सुरक्षा में तैनात होंगे K 9

इनका उपयोग अधिकतर हवाई अड्डों और बचाव कार्यों में किया जाता है। इसके साथ ही इनका उपयोग युद्ध स्थितियों में भी किया जाता है। हालांकि, दिल्ली में इन कुत्तों का इस्तेमाल बड़े देशों के राष्ट्राध्यक्षों की सुरक्षा के लिए किया जाएगा।

'जैमिंग तकनीक’ में प्रशिक्षित

टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट की माने तो के-9 सेंटर के ऑफिसर कमांडिंग लेफ्टिनेंट कर्नल राज भरत शर्मा बताते है कि कार्यस्थलों के आसपास बड़े पैमाने पर स्क्रीनिंग के लिए, कुत्तों को गंध और वेपोर वेक डिटेक्शन के प्रति संवेदनशील बनाया गया है। इन डॉग्स को 'जैमिंग तकनीक’ में भी प्रशिक्षित किया गया है जो तात्कालिक विस्फोटक उपकरणों का पता लगाने में काम आएगी।

हथियारों को छीन सकते है K 9 डॉग्स

यह डॉग्स संदिग्धों से राइफल के साथ ही दुश्मन के हथियारों को छीन सकते हैं और उन्हें हैंडलर तक ले जा सकते हैं। इन डॉग्स में बम को सूंघकर पता लगाने की क्षमता होती है। K-9 यूनिट के सभी डॉग्स में विस्फोटक प्रणालियों के साथ-साथ जैविक और रासायनिक पदार्थों का पता लगाने के लिए विशेष ट्रेनिंग दी जाती है।

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