धीरे-धीरे दरक रहा है जोशीमठ, आखिर क्या है वजह…
जोशीमठ। आदि गुरु शंकराचार्य की तपोभूमि के रूप में जाना जाने वाला जोशीमठ धीरे-धीरे दरक रहा है। यहां पर बसे घरों, सड़कों और खेतों में बड़ी-बड़ी दरारें आ रही हैं। स्थानीय लोगों ने कहा कि कई घर धंस गए हैं। बद्रीनाथ, हेमकुंड साहिब और अंतरराष्ट्रीय स्कीइंग स्थल औली जैसे प्रसिद्ध स्थलों का प्रवेश द्वार जोशीमठ अब आपदा की कगार पर खड़ा है। वहीं क्षेत्र में बड़े पैमाने पर चल रहीं निर्माण गतिविधियों के कारण इमारतों में दरारें पड़ने संबंधी चेतावनियों की अनदेखी करने को लेकर स्थानीय लोगों में सरकार के खिलाफ भी भारी आक्रोश व्याप्त है।
स्थानीय लोगों ने एनटीपीसी को ठहराया जिम्मेदार
दरअसल स्थानीय लोग इमारतों की खतरनाक स्थिति के लिए राष्ट्रीय तापविद्युत निगम लिमिटेड (एनटीपीसी) की तपोवन-विष्णुगढ़ परियोजना को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। जोशीमथ बचाओ संघर्ष समिति के संजोयक अतुल सती ने कहा कि ‘हम पिछले 14 महीनों से अधिकारियों का ध्यान इस ओर खींचने की कोशिश कर रहे थे। लेकिन हमारी बात पर ध्यान नहीं दिया गया। अब जब स्थिति हाथ से निकल रही है तो वे चीजों का आकलन करने के लिए विशेषज्ञों की टीम भेज रहे हैं।’ उन्होंने कहा कि ‘अगर समय रहते हमारी बात पर ध्यान दिया गया होता तो जोशीमठ में हालात इतने चिंताजनक नहीं होते।’
बद्रीनाथ मंदिर के पूर्व धर्माधिकारी ने कही ये बात
वहीं बद्रीनाथ मंदिर के पूर्व धर्माधिकारी भुवन चंद्र उनियाल ने भी इमारतों में दरार पड़ने के लिए एनटीपीसी की परियोजनाओं को जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने कहा कि तपोवन-विष्णुगढ़ बिजली परियोजना की सुरंग जोशीमठ के ठीक नीचे स्थित है। जिसके निर्माण के लिए बड़ी बोरिंग मशीनें लाई गई थीं, जो पिछले दो दशक से इलाके में खुदाई कर रही हैं। उन्होंने कहा कि सुरंग के निर्माण के लिए रोजाना कई टन विस्फोटकों का इस्तेमाल किया जा रहा है। जिसके चलते इस साल तीन जनवरी को जमीन धंसने की रफ्तार बढ़ गई।
सीएम धामी ने जारी किए आदेश
गौरतलब है कि जोशीमठ में शुक्रवार की शाम एक मंदिर के ढह। जिसके बाद से स्थानीय लोगों में भय व्याप्त है। हालांकि गनीमत ये रही कि इस घटना में कोई भी हताहत नहीं हुआ। वहीं अब इस मामले को लेकर सीएम पुष्कर सिंह धामी ने जोखिम वाले घरों में रह रहे 600 परिवारों को तत्काल अन्यत्र भेजे जाने का आदेश जारी किया है।