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तीसरी बार जागा जापान का ‘चंद्रयान’, स्लिम लैंडर ने फिर भेजी तस्वीर

जापान के चंद्रमा मिशन ने एक बार फिर कमाल कर दिया है। जापान का स्लिम लैंडर तीसरी बार जाग गया है। जापान एयरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी ने बताया है कि मंगलवार को लैंडर के साथ एक बार फिर संपर्क हो गया।
10:57 AM Apr 25, 2024 IST | BHUP SINGH

टोक्यो। जापान के चंद्रमा मिशन ने एक बार फिर कमाल कर दिया है। जापान का स्लिम लैंडर तीसरी बार जाग गया है। जापान एयरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी ने बताया है कि मंगलवार को लैंडर के साथ एक बार फिर संपर्क हो गया। लैंडर ने इस दौरान चंद्रमा के सतह की तस्वीर खींची है। तीसरी बार चांद की सख्त ठंड में यह बच रहा है। जापान पर जब चांद का स्लिम मिशन लैंड हुआ था, तब भी इसमें गड़बड़ी आ गई थी। यह कुछ इस तरह लैंड हुआ कि सोलर पैनल पर सूर्य का प्रकाश नहीं पड़ रहा था। इस कारण इसके लैंडर बिजली नहीं बना पा रहे थे।

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बुधवार को एजेंसी ने ट्वीट करते हुए लिखा, ‘पिछली रात हम स्लिम के साथ एक बार फिर संपर्क करने में सक्षम हुए। यह फिर से शुरू हो गया है। स्लिम ने तीसरी बार भी जीवित होने की पुष्टि की है। इसके नेविगेशन कैमरों से कल रात ली गई चंद्रमा के सतह की तस्वीर है। चूंकि यह तस्वीर चंद्रमा की अब तक की सबसे प्रारंभिक अवस्था में ली गई है। चंद्रमा कुल मिलाकर उज्जवल है और छाया बहुत छोटी हैं।’ इसका तीसरी बार जागना इसकी मजबूती को दिखाता है।

चंद्रमा पर की थी सटीक लैंडिंग

जापान का चंद्रमा लैंडर स्लिम 20 जनवरी को चांद की सतह पर उतरा था। इस लैंडर ने सटीक लैंडिंग की थी, लेकिन इस दौरान इसके सोलर सेल सूर्य से विपरीत दिखा में थे। इस कारण जापान के लिए यह कामयाबी भी एक फे लियर की ही तरह थी। जापानी लैंडर अपनी रिजर्वबैट्री के दम पर कुछ घंटों तक चला और फिर बाद में बंद हो गया। 28 जनवरी को एजेंसी ने बताया था कि सूर्य की रोशनी की दिशा बदलने के कारण वह लैंडर ने बिजली बनानी शुरू कर दी है और एक बार फिर संपर्क हो गया है।

चंद्रमा पर बेहद भीषण होता है तापमान

चंद्रमा पर 14 दिनों की सुबह और 14 दिनों की रात होती है। जब यहां रात होती है तो तापमान माइनस 170 डिग्री सेल्सियस होता है। वहीं दिन में यहां का तापमान 100 डिग्री तक पहुंच जाता है। इतने भीषण तापमान को झेलकर लैंडर के उपकरणों का बचा रहना एक बड़ी कामयाबी है। स्लिम का पूरा नाम स्मार्ट लैंडर फॉर इन्वेस्टिगेटिंग मून है। जापानी स्पेस एजेंसी का लक्ष्य इस लैंडर के जरिए चंद्रमा पर सटीक लैंडिंग कराना था।

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