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राजस्थान विधानसभा में लगी उपराष्ट्रपति की क्लास, विधायकों से धनखड़ बोले- सदन को परिवार की तरह चलाएं

05:59 PM Jan 16, 2024 IST | Avdhesh

Rajasthan Assembly News: 16वीं राजस्थान विधानसभा के पहले सत्र से पहले मंगलवार को उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सभी विधायकों को सदन में नियमों और आचरण की ट्रेनिंग दी. उपराष्ट्रपति ने कहा कि लोकतंत्र भारत की सबसे बड़ी ताकत है और पूरी दुनिया के लिए भारत प्रजातांत्रिक मूल्यों की दृष्टि से आदर्श राष्ट्र है. उन्होंने कहा कि सदन में प्रत्येक सदस्य का आचरण अनुकरणीय और मर्यादित होना चाहिए क्योंकि यदि सदन परिवार की तरह चलेगा तो देश-प्रदेश का हित होगा. वहीं विधानसभा अध्यक्ष जनता की समस्याओं को प्रभावी ढंग से प्रस्तुत करें.

16वीं विधानसभा के नवनिर्वाचित विधायकों के लिए आयोजित प्रबोधन कार्यक्रम में विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी, मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा भी मौजूद रहे. बता दें कि विधायकों की ट्रेनिंग के इस कार्यक्रम के समापन समारोह को लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला संबोधित करेंगे.

विपक्ष सरकार के कामों की करे सकारात्मक आलोचना - धनखड़

वहीं इस दौरान धनखड़ ने कहा कि लोकतंत्र में विकास रूपी गंगा की शुरूआत विधायिका से होती है। विधायिका का यह दायित्व है कि वह न्यायपालिका और कार्यपालिका को सही दृष्टिकोण में रखकर कार्य करे। उपराष्ट्रपति ने कहा कि विपक्ष का कर्तव्य सरकार के कार्यों की सकारात्मक आलोचना करना होता है, जिसका लाभ सरकार को मिलता है।

उन्होंने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष किसी दल से जुड़े नहीं होते हैं। उनका पहला कर्तव्य है कि वह प्रतिपक्ष का संरक्षण करें। हालांकि कई बार उन्हें कठोर निर्णय लेने पड़ते हैं। यदि वे अपने कर्तव्य पर अडिग रहते हैं तो नतीजे सर्वदा अनुकूल ही प्राप्त होते हैं। उन्होंने कहा कि सदन को चलाने की जिम्मेदारी पक्ष-विपक्ष, दोनों की होती है।

विधायिका और कार्यपालिका के बीच सौहार्द्रपूर्ण हों सम्बन्ध - धनखड़

धनखड़ ने चिन्ता व्यक्त करते हुए कहा कि प्रभावी बात वही होती है जो सदन में नियमों के माध्यम से रखी जाए। व्यवधान के लिए कही जाने वाली बातों का असर ज्यादा दिनों तक नहीं रहता है। उपराष्ट्रपति ने कहा कि संविधान सभा के समक्ष कई प्रकार की चुनौतियां और जटिल विषय थे, लेकिन संविधान सभा द्वारा किया गया कार्य सभी के लिए अनुकरणीय है।

धनखड़ ने यह भी कहा कि भारत के संविधान में समाहित चित्र देश की 5000 साल की संस्कृति का सार है। उन्होंने कहा कि भारत की कार्यपालिका ने दुनिया को दिखा दिया है कि यदि उसे सही नीति दी जाती है तो नतीजे बेहतरीन हो सकते हैं। विधायिका और कार्यपालिका के बीच सौहार्द्रपूर्ण सम्बन्ध होने चाहिएं। यदि जनप्रतिनिधि और अधिकारी साथ मिलकर चलते हैं तो प्रगति का मार्ग प्रशस्त होता है।

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