चांद पर होगी भारत की छाप, भीलवाड़ा पहुंचे ISRO वैज्ञानिक ने बताया- कैसे लैंड करेगा चंद्रयान
जयपुर। हर किसी की नजरें इसरो के मिशन चंद्रयान पर टिकी हुई है। लोगों में इसको लेकर काफी उत्साह भी देखने को मिल रहा है। सोशल मीडिया पर भी लोग अपने-अपने तरीके से इसकी सफलता को लेकर कामना कर रहे है। रूस का मिशन मून फेल हो गया है।
इससे पहले भारत के मिशन चंद्रयान-2 को भी सफलता नहीं मिली, लेकिन इस बार भारत की तैयारियां पूरी है। हाल ही में चंद्रयान-2 और मंगलयान मिशन में शामिल रहे वैज्ञानिक मनीष पुरोहित ने भीलवाड़ा पहुंच कर चंद्रयान मिशन सफल होने की बात कही।
चंद्रयान 3 चांद पर जरूर लैंड करेंगा- मनीष पुरोहित
चंद्रयान के अब तक के सफर को लेकर वैज्ञानिक मनीष पुरोहित ने भीलवाड़ा में मीडिया से बात की। इस दौरान मनीष पुरोहित ने बताया कि चंद्रयान-2 में हुई गलतियों से सबक लेकर सुधार किया गया है। चंद्रयान 3 चांद पर जरूर लैंड करेंगा। विश्व में भारत का गौरव बढ़ेगा। आने वाले समय में भारत वैश्विक स्तर पर एक बड़ी शक्ति के रूप में प्रतिनिधित्व करेगा।
लैंडिंग प्रक्रिया में लगेगा 17 से 18 मिनट का समय
वैज्ञानिक मनीष पुरोहित ने चंद्रयान की पूरी प्रक्रिया को समझाते हुए कहा कि 23 अगस्त को हम 25 किलोमीटर दूर चंद्रयान 3 को लैंड कराने की कोशिश करेंगे। इस पूरी प्रक्रिया में लगभग 17 से 18 मिनट का समय लगता है, उस समय हमारा विक्रम लैंडर चंद्रमा की सतह से नीचे उतरने के लिए 17 मिनट में 25 किलोमीटर की दूरी तय करेगा। जहां 10 सेकंड में 1 बिंदु 6 किलोमीटर की दूरी तय करेगा।
सेंसर भेजता है सारी जानकारी
चंद्रयान-3 में लगे सेंसर से पहले जमीन से 800 मीटर की दूरी से तस्वीरें ली जाएंगी, फिर यह धीरे-धीरे आगे बढ़ेगा। जहां चंद्रयान-3 में इसे ले जाकर सेंसर की सारी जांच के बाद यह चंद्रमा की धरती पर उतरेगा। वैज्ञानिक मनीष पुरोहित ने आगे बताया कि हमने चंद्रयान-2 में हुई सभी गलतियों को विस्तार से पढ़ा। इसके बाद इसमें सुधार किया गया। चंद्रयान-3 में हर चीज का ध्यान रखा गया और सेंसर और कैमरे में सुधार किया गया।
चंद्रमा की धरती पर होगी भारत की छाप
वैज्ञानिक मनीष पुरोहित ने चंद्रयान-2 की तुलना करते हुए कहा कि चंद्रयान-2 में डिजाइन और रोटेशन प्रक्रिया को बढ़ाया गया है। इस बार लैंडिंग पोजीशन दूर होने पर भी यह लैंड करेगा। चंद्रयान-2 में पांच इंजन थे, इस बार एक इंजन कम कर दिया गया है और केवल चार इंजन के भरोसे ही गए है।
इस बार ज्यादा ईंधन लिया, क्योंकि ईंधन की कमी अधिक घातक है। कई छोटे-मोटे बदलाव किए गए हैं। जब चंद्रयान चंद्रमा की सतह पर चलेगा, तो उसके एक पहिये पर भारत का एंलबम और दूसरे पहिये पर इसरो का लोगो होगा, जो चंद्रमा की धरती पर भारत की छाप छोड़ेगा।