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क्या सच में खतरनाक है कोरोना का नया वेरिएंट JN.1? WHO का इस पर क्या है कहना, पढ़िए

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने कोविड-19 के नए उप-वेरिएंट को जेएन.1 'वेरिएंट ऑफ इंटरेस्ट' के रूप में वर्गीकृत किया है, लेकिन कहा है कि यह सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए ज्यादा खतरा पैदा नहीं करता है।
08:16 PM Dec 20, 2023 IST | Kunal Bhatnagar
क्या सच में खतरनाक है कोरोना का नया वेरिएंट jn 1  who का इस पर क्या है कहना  पढ़िए

New Variant of Corona JN.1: विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने कोविड-19 के नए उप-वेरिएंट को जेएन.1 'वेरिएंट ऑफ इंटरेस्ट' के रूप में वर्गीकृत किया है, लेकिन कहा है कि यह सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए ज्यादा खतरा पैदा नहीं करता है। JN.1 को पहले इसके मूल वंश, BA.2.86 के हिस्से के रूप में रुचि के एक प्रकार के रूप में वर्गीकृत किया गया था।

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जेएन.1 का जोखिम कम- WHO

डब्ल्यूएचओ ने कहा, "मौजूदा सबूतों के आधार पर, जेएन.1 द्वारा उत्पन्न अतिरिक्त वैश्विक सार्वजनिक स्वास्थ्य जोखिम को वर्तमान में कम माना जाता है।" समाचार एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक, WHO ने कहा कि मौजूदा JN.1 और COVID-19 वायरस से बचाते हैं। रोग के अन्य प्रचलित रूपों के कारण होने वाली गंभीर बीमारी और मृत्यु से बचाव करें।

वायरल का बदल रहा है रूप

इससे पहले, विश्व स्वास्थ्य संगठन ने सदस्य देशों से मजबूत निगरानी और अनुक्रम साझाकरण जारी रखने का आग्रह करते हुए कहा था कि वायरस बदल रहा है और विकसित हो रहा है।

डब्ल्यूएचओ ने दी सलाह

वहीं, WHO ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा था, ''डॉ. मारिया वान केरखोव (अमेरिकी विशेषज्ञ) ने श्वसन संबंधी बीमारियों में मौजूदा उछाल COVID-19 और JN.1 सब-वेरिएंट के बारे में बात की है। WHO लगातार स्थिति का आकलन कर रहा है । इस छुट्टियों के मौसम में अपने परिवार और दोस्तों को सुरक्षित रखने के लिए WHO की सार्वजनिक स्वास्थ्य सलाह का पालन करें।

भारत में सामने आया का JM.1

आपको बता दें कि 8 दिसंबर को भारत में भी JN.1 वैरिएंट का पहला मामला सामने आया था। केरल में 79 साल की एक महिला इससे संक्रमित हुई थी। यह मामला सामने आने पर केरल समेत पड़ोसी राज्य अलर्ट हो गए। वहीं, केंद्र सरकार ने सोमवार (18 दिसंबर) को राज्यों को कोरोना की स्थिति पर नजर रखने और सतर्क रहने को लेकर सलाह जारी की थी। केंद्र ने राज्यों को आरटी-पीसीआर सहित पर्याप्त परीक्षण सुनिश्चित करने और जीनोम अनुक्रमण के लिए आईएनएसएसीओजी प्रयोगशालाओं में सकारात्मक नमूने भेजने की सलाह दी है।

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