अपनी मंजिल के करीब भारत का मून मिशन… आज ‘दो टुकड़ों’ में बंट जाएगा चंद्रयान-3, 23 को रचेगा इतिहास
Chandrayaan-3 : भारत के महत्वाकांक्षी तीसरे चंद्रमा मिशन के तहत चंद्रयान-3 बुधवार को पृथ्वी के इकलौते उपग्रह की पांचवी और अंतिम कक्षा में सफलतापूर्वक प्रवेश कर गया तथा चंद्रमा की सतह के और भी करीब आ गया। इसरो ने कहा कि इसके साथ ही चंद्रयान-3 ने चंद्रमा तक पहुंचने की अपनी प्रक्रिया पूरी कर ली है और अब यह प्रणोदन मॉड्यूल और लैंडर मॉड्यूल को अलग करने की तैयारी करेगा।
राष्ट्रीय अंतरिक्ष एजेंसी ने ट्वीट किया, ‘आज की सफल प्रक्रिया संक्षिप्त अवधि के लिए आवश्यक थी। इसके तहत चंद्रमा की 153 किलोमीटर गुना 163 किलोमीटर की कक्षा में चंद्रयान-3 स्थापित हो गया, जिसका हमने अनुमान किया था।
इसके साथ ही चंद्रमा की सीमा में प्रवेश की प्रक्रिया पूरी हो गई। अब प्रणोदन मॉड्यूल और लैंडर अलग होने के लिए तैयार हैं।’ इसरो ने कहा कि 17 अगस्त को चंद्रयान-3 के प्रणोदन मॉड्यूल से लैंडर मॉड्यूल को अलग करने की योजना है।
5 को हुई थी चंद्रमा की कक्षा में एंट्री
14 जुलाई को प्रक्षेपण के बाद चंद्रयान-3 ने 5अगस्त को चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश किया, जिसके बाद इसने छह, 9 और 14 अगस्त को चंद्रमा की अगली कक्षाओ में प्रवेश किया तथा उसके और निकट पहुंचता गया। चंद्रयान-3 को चंद्रमा के ध्रुवों पर स्थापित करने का अभियान आगे बढ़ रहा है। इसरो चंद्रयान-3 को चंद्रमा की कक्षा में पहुंचाने का प्रयास कर रहा है। चंद्रमा से उसकी दूरी धीरे-धीरे कम होती जा रही है। चंद्रयान-3 के 23 अगस्त को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुवीय क्षेत्र पर सॉफ्ट लैंडिंग करने की उम्मीद है।
लैंडर को एक कक्षा में करेंगे स्थापित
इसरो के सूत्रों ने बताया कि अलग होने के बाद लैंडर को एक कक्षा में स्थापित करने के लिए ‘डीबूस्ट’ (धीमा करने की प्रक्रिया) से गुजरने की उम्मीद है, जहां पेरिल्यून (चंद्रमा से निकटतम बिंदु) 30 किलोमीटर और अपोल्यून (चंद्रमा से सबसे दूर का बिंदु) 100 किलोमीटर दूर है। यहीं से 23 अगस्त को यान की चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुवीय क्षेत्र पर सॉफ्ट लैंडिंग का प्रयास किया जाएगा।
रूस केलूना-25 की 21 को सॉफ्ट लैंडिंग!
रूस का दावा है कि लूना-25 की चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग 21 अगस्त को हो जाएगी। वह चांद पर पानी की खोज करेगा। रूस का लूना-25 स्पेसक्राफ्ट बुधवार को भारतीय समयानुसार दोपहर 2:27 बजे चांद की 100 किलोमीटर की ऑर्बिट में पहुंच गया।