पहले रोबोट ‘व्योम मित्र’ और फिर मानव को अंतरिक्ष में भेजेगा भारत, जानें-क्यो खास है गगनयान मिशन?
Gaganyaan Mission : नई दिल्ली। चंद्रयान-3 की चन्द्रमा की सतह पर सुरक्षित लैंडिंग और आदित्यएल1 की लॉन्चिंग के बाद भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) द्वारा शनिवार को गगनयान के पहले टेस्ट व्हीकल एबॉर्ट मिशन-1 (टीवी-डी1) को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से सफलतापूर्वक लॉन्च करने से भारत के भविष्य में दुनिया की अग्रणी अंतरिक्ष ताकत बनने की राह और आसान हो गई है। अब इसरो की नजर गगनयान मिशन पर है जिसके तहत तीन भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को अंतरिक्ष में ले जाया जाएगा। यदि यह मिशन सफल होता है, तो भारत, रूस, चीन और अमेरिका जैसे देशों वाली एक खास सूची में शामिल हो जाएगा, जिन्होंने खुद चालक दल अंतरिक्ष यान लॉन्च किया है।
अंतरिक्ष में मानव भेजने से पहले इसमें ‘व्योम मित्र’ नाम की महिला रोबोट को भेजा जाएगा जिसके शरीर पर एयर प्रेशर, हीट इफेक्ट और अन्य चुनौतियों को समझा जाएगा। उसके मुताबिक भारत के अंतरिक्ष यात्रियों को तैयार किया जाना है। मिशन के लिए अंतरिक्ष यात्रियों को बेंगलुरु के एस्ट्रोनॉट ट्रेनिंग फैसिलिटी में खास ट्रेनिंग दी जा रही है। उन्हें फिजिकल, क्लासरूम, फिटनेस, सिम्युलेटर व फ्लाइट सूट का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इसमें भारतीय वायुसेना के अधिकारियों को भी शामिल किया गया है।
90.23 अरब रुपए का है बजट आवंटित
भारत सरकार ने मिशन गगनयान के लिए 90.23 अरब रुपए का बजट आवंटित किया है. मिशन की सफलता के बाद वर्ष 2035 तक अंतरिक्ष में भारत का अपना स्पेस स्टेशन स्थापित करने का लक्ष्य है। 2024 के अंत या 2025 की शुरुआत तक अंतरिक्ष में मिशन गगनयान के तहत यात्रियों को भेजा जाना है। उसके पहले कई दौर की टेस्टिंग होगी। कई चरणों में पहुंचेगा सफलता के मुकाम तक गगनयान मिशन को कई चरणों के जरिए सफलता के अंजाम तक पहुंचाया जाएगा। इसरो ने बताया कि गगनयान में क्रू एस्केप सिस्टम (सीईएस) सबसे खास है।
परीक्षण वाहन टीवी-डी1 का प्रक्षेपण गगनयान कार्यक्रम के चार मिशनों में से पहला है। इसके बाद दूसरा परीक्षण वाहन टीवी-डी2 मिशन और गगनयान (एलवीएम3-जी1) का पहला मानव रहित मिशन होगा। परीक्षण वाहन मिशन (टीवी-डी3 और डी4) की दूसरी श्रंखला और रोबोटिक पेलोड के साथ एलवीएम3-जी2 मिशन की अगली योजना बनाई गई है। चालक दल मिशन की योजना सफल परीक्षण वाहन के नतीजे और उन मिशनों के आधार पर बनाई गई है जिनमें कोई चालक दल नहीं है।
यह हैं मिशन के अहम चरण
यह पूरी तकनीक स्वदेशी है और इसरो के साथ मिलकर भारत की तकनीकी कंपनियों ने इन्हें विकसित किया है. इसकी सफलता भविष्य में भारत की स्वदेशी स्पेस नेविगेशन, रिमोट सेंसिंग, रिमोट ड्राइविंग, रिमोट नेविगेशन जैसी स्वदेशी तकनीक में नई इंडस्ट्रीज के द्वार खुलेंगे। गगनयान में क्रू एस्केप सिस्टम एक बहुत ही महत्वपूर्ण प्रणाली है। यदि रॉकेट को कुछ भी होता है, तो रॉकेट के विस्फोट में जलने से पहले कम से कम दो किमी दूर चालक दल को ले जाकर बचाना है।
इसलिए यह परीक्षण क्रू मेंबर्स के एस्केप की प्रणाली को प्रदर्शित करने के लिए है। इसे ट्रांसोनिक स्थिति कहा जाता है। गगनयान का क्रूमॉड्यूल इतना आधुनिक है कि इसमें कई तरह की खास सुविधाएं हैं। जैसे नेविगेशन सिस्टम, फूड हीटर, फूड स्टोरेज, हेल्थ सिस्टम और टॉयलेट आदि। यह अंतरिक्ष यात्रियों की सुविधा के लिए विकसित किए गए हैं।
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