सैनी समाज का आंदोलन : अब एक और आंदोलनकारी ने जान देने के लिए पिया पेट्रोल, मोहन सैनी का हुआ पोस्टमार्टम, सीएम से रद्द हुई वार्ता
भरतपुर में आरक्षण को लेकर सैनी समाज का आंदोलन उग्र होता जा रहा है। मोहन लाल सैनी आत्महत्या के बाद आज एक आंदोलनकारी ने अपनी जान देने के लिए पेट्रोल पी लिया। जिससे आंदोलन स्थल पर अफरा-तफरी मच गई। पेट्रोल पीने वाले व्यक्ति की तबीयत खराब होने के चलते हैं उसे आनन-फानन जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया,जहां उसका इलाज किया गया।
आरक्षण नहीं मिला इसलिए शहीद होना चाहता हूं
पेट्रोल पीने वाले व्यक्ति का नाम ओमप्रकाश कुशवाहा है। उसने पेट्रोल पीने से पहले एक वीडियो भी जारी किया था। जिसमें उसने कहा था कि हमें आरक्षण नहीं दिया गया इसलिए मैं इसमें शहीद होना चाहता हूं। हमें आरक्षण नहीं मिला इसलिए मैंने पेट्रोल पिया है। अपने भाइयों के लिए मुझे शहीद होना है।
सीएम गहलोत से रद्द हुई वार्ता
इस घटना के बाद समाज के प्रतिनिधिमंडल और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बीच सीकर में होने वाली आज की वार्ता रद्द कर दी गई। आज समाज के प्रतिनिधिमंडल सीकर में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के दौरे के दौरान बातचीत करना चाहते थे लेकिन ओमप्रकाश कुशवाहा की तबीयत खराब होने के बाद यह वार्ता रद्द कर दी गई।
मोहन सैनी का हुआ पोस्टमार्टम
इधर मोहन लाल सैनी की आत्महत्या के बाद आज तीसरे दिन उसका पोस्टमार्टम किया गया। भाजपा नेता दौलत सिंह ने मृतक के परिजनों को 2.50 लाख रुपए की सहायता राशि दी है और कहा है कि आपके दुख में मैं हमेशा खड़ा रहूंगा। पोस्टमार्टम हाउस के बाहर उच्चैन सीओ अजय शर्मा मौके पर मौजूद रहे।इसके अलावा मृतक के परिजन सहित संघर्ष समिति के कई सदस्य भी मौजूद रहे।
मुरारी लाल ने की थी सीएम से बात
बीते मंगलवार को सैनी आरक्षण संघर्ष समिति के संयोजक मुरारी लाल सैनी के नेतृत्व ने समाज के प्रतिनिधि मंडल ने जयपुर में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से मुलाकात की थी। जिसमें 12 प्रतिशत आरक्षण समेत सभी मांगे रखी गीं। मुरारी लाल सैनी ने बताया था सरकार ओबीसी आयोग को पत्र लिखकर समाज की जनसंख्या की गणना कर आर्थिक, सामाजिक, राजनीतिक स्थिति से अवगत कराएगी। 1 मई को प्रशासन के अधिकारियों से बात होगी।
सैनी ने ये भी कहा था कि सरकार का फैसला वे आंदोलन कर रहे लोगों को बताएंगे, वे जो फैसला करेंगे, कमेटी वही मानेगी। लेकिन ऐसा लगता है कि प्रदर्शनकारियों ने मुरारी लाल सैनी की भी नहीं मानी है,वे आंदोलन पर डटे हुए हैं।