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राजस्थान में कैसा होगा नया मंत्रिमंडल? शपथ समारोह के बाद खुलेंगे पत्ते...राजे की भूमिका पर असमंजस 

सीएम भजनलाल शर्मा की टीम कैसी होगी? इसको लेकर प्रदेश भाजपा ने मंथन शुरू कर दिया है।
08:43 AM Dec 14, 2023 IST | Anil Prajapat
राजस्थान में कैसा होगा नया मंत्रिमंडल  शपथ समारोह के बाद खुलेंगे पत्ते   राजे की भूमिका पर असमंजस 

जयपुर। प्रदेश में सीएम तय होने के बाद अब सबसे बड़ी चर्चा नए मंत्रिमंडल के गठन को लेकर है। सीएम भजनलाल शर्मा की टीम कैसी होगी? इसको लेकर प्रदेश भाजपा ने मंथन शुरू कर दिया है। नई सरकार में पहले फेज में 20 विधायक मंत्रिमंडल में शामिल हो सकते हैं। बताया यह भी जा रहा है कि इनमें 10 कैबिनेट व 10 राज्यमंत्री मंत्रिमंडल में शामिल हो सकते हैं। इसके लिए जातीय समीकरण साधने के साथ विधायकों की वरिष्ठता व अनुभव का भी पूरा ध्यान रखा जा सकता है।

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इधर, मनोनीत सीएम भजनलाल शर्मा बुधवार सुबह प्रदेश भाजपा पहुंचे जहां विधायकों व अन्य नेताओं ने उनसे मुलाकात की। कयास यह भी लगाए जा रहे हैं कि सीएम की घोषणा के बाद से ही प्रदेश नेतृत्व ने संभावित मंत्रिमंडल में शामिल होने वाले विधायकों का खाका तैयार कर लिया है। हालांकि, बुधवार को प्रदेश कार्यालय में हुई बैठक में केवल शपथ ग्रहण समारोह की तैयारियों को लेकर ही चर्चा हुई।

किसान वर्ग व वैश्य समुदाय भी बाकी 

प्रदेश में भाजपा ने अपने कोर वोट बैंक को तो साध लिया, लेकिन किसान वर्ग को भी अब साधना बाकी है। हालांकि, वैश्य समुदाय को भी अभी कोई बड़ा प्रतिनिधित्व नहीं मिला है। ऐसे में कैबिनेट और संगठन में अब जाट, यादव, नागर, धाकड़, कुमावत और सैनी समाज के चेहरों को बड़ी भूमिका में लाया जा सकता है। पूर्वी राजस्थान के भजनलाल को सीएम बनाकर उस क्षेत्र को तो साध लिया है। अब भाजपा की मेवाड़ और मारवाड़ और हाड़ौती क्षेत्र पर नजर है। ऐसे में मंत्रिमंडल में इन इलाकों की साफ झलक दिखने को मिल सकती है।

वसुंधरा राजे की भूमिका पर असमंजस

आलाकमान ने मंगलवार को भजनलाल शर्मा को सीएम बनाने के चौंकाने वाले फै सले के बाद अब प्रदेश के राजनैतिक गलियारों में सबसे ज्यादा चर्चा पूर्व सीएम वसुंधरा राजे की भावी भूमिका को लेकर है। इसमें कोई दो राय नहीं कि लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा आलाकमान की अपनी रणनीति अवश्य होगी। अलबत्ता, हाईकमान यह भी जानता है कि वसुंधरा राजे के समूचे सूबे में प्रभाव को नकारा नहीं जा सकता।

यह भी कि राजे को बड़ी जिम्मेदारी नहीं देने से परेशानी खड़ी हो सकती है। भाजपा ने दो लोकसभा चुनाव में 25-25 सीटें जीतीं और अब चंद महीनों बाद वापस इस रिकॉर्ड को बनाए रखने का दवाब है। इन सब परिस्थितियों के बीच राजे खेमे के विधायकों ने फिलहाल चुप्पी साध ली है। बुधवार को वसुंधरा के बंगले के बाहर सन्नाटा पसरा रहा, हालांकि कुछ विधायक बुधवार को भी राजे से मिले।

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